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2022 : पहली बार कोई राष्ट्रपति पहुंची उलिहातू, मनरेग

खूंटी जिला प्रशासन के काम से शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, आजीविका के क्षेत्र में मारी लंबी छलांग

सपनों की उड़ान अभियान और देलाबु इस्कुल तेबुआ ने सरकारी स्कूल के बच्चों को दिया नया आयाम

Nitesh Ojha

Ranchi/Khunti : वर्ष 2022 का आज अंतिम दिन है. रांची से महज 35 किमी दूर खूंटी जिला ने पूरे साल शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, आजीविका आदि के क्षेत्र के कई उपलब्धि हासिल की. जिला के उपायुक्त शशि रंजन लगातार जिले के विकास को प्राथमिकता देने की दिशा में काम दिखे. साल 2022 में ही देश का पहला कोई राष्ट्रपति भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थली उलिहातू आयी. देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बनने वाली द्रौपदी मुर्मूं ने राज्य स्थापना दिवस पर उलिहातू पहुंच भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि दी. जिले की सबसे अधिक चर्चा मनरेगा पार्क और ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर हुई.

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जानिए, खूंटी जिले के उन प्रमुख उपलब्धियों को, जिससे चर्चा में रहा खूंटी

कृषि के क्षेत्र में

समेकित आजीविका कृषि फार्म- 25 एकड़ भूमि पर बहुद्देशीय प्रयासों का मॉडल बनाया गया. इसमें नगदी फसलों के उत्पादन व किसानों को प्रशिक्षण की व्यवस्था है.
दुग्ध उत्पादन, मनरेगा के तहत शेड निर्माण, गीर गाय, मुर्गा भैंस, मुर्गी, इटालियन मधुमक्खी पालन सह शहद उत्पादन पर जोर.
सब्जियों को सुरक्षित रखने के लिए “सोलर कोल्ड स्टोरेज” का संचालन.
टपक सिंचाई की सुविधा एवं तालाबों का निर्माण.
किसानों के बेहतर कल के लिए जिले में मनरेगा पार्क का शुभारंभ हुआ.
किसान पाठशाला – किसान पाठशाला की चर्चा पूरे राज्य में हुई. इसे अत्याधुनिक और किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए 30 बेड का हॉस्टल बन रहा है. किसान यहां आवासीय प्रशिक्षण ले सकेंगे.

ड्रेगन फ्रूट कैपिटल – खूंटी जिले को ड्रेगन फ्रूट कैपिटल बनाने का लक्ष्य है. 52 एकड़ भूमि पर ड्रेगन फ्रूट की खेती की जा रही है. 90 किसान ड्रेगन फ्रूट की खेती से जुड़ चुके हैं.

स्ट्रॉबेरी या लेमन ग्रास की खेती की जा रही है.
जिले में हार्टिकल्चर (फलों की बागवानी) पर विशेष ध्यान दिया गया है.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में-

खूंटी में उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधा के लिए काम किए गए. जिले के लोगों को अनुभवी डॉक्टरों द्वारा उपचार सुविधा मिल रहा है. सभी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई कामों का लक्ष्य रखा गया है.

सदर अस्पताल परिसर (एमसीएच) में 100 बेड का क्रिटिकल केयर ब्लॉक और 50 बेड की प्री फेब्रीकेटेड फील्ड अस्पताल की योजना.
एमसीएच में डायलिसिस यूनिट जनवरी में शुरू होगी.
सेंट्रल लैब (डायगनोस्टिक सुविधा) के साथ-साथ आरटीपीसीआर लैब बनकर तैयार है. लैब में सीटी स्कैन, रेडियोग्राफी सुविधा होगी.
तोरपा में 50 बेड का अस्पताल बन रहा है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मुरहू राज्य का पहला केंद्र जहां पर डेडीकेटेड एमटीसी बन रहा है.
जिले के खूंटी टोली में अटल मोहल्ला क्लीनिक एवं अर्बन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और मारंगहाड़ा में नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनेगा.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मुरहू, कर्रा, रनिया, बिरबांकी एवं मारंगहादा में ऑपरेशन थियेटर की सुविधा.
फार्मेसी काउंटर एवं ममता वाहन कॉल सेंटर की सुविधा.
नॉलेज सिटी के अंदर मेडिकल कॉलेज बनाने की योजना है.

पर्यटन का केंद्र बनता खूंटी जिला

लतरातू डैम – वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी से रोजगार की सुविधा मिली है.

पेरवाघाघ – कैंपिंग व रोपवे, वुड ब्रिज की व्यवस्था की योजना.

उलूंग व पेरवाघाघ – विलेज नेचर टूरिज्म को बढ़ावा दिया गया है.

शिक्षा के क्षेत्र में भी नवीन प्रयास

सपनों की उड़ान अभियान – कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय व झारखण्ड बालिका आवासीय विद्यालय की 11वीं एवं 12वीं की छात्राओं को साइंस, गणित के साथ आईआईटी एवं मेडिकल की तैयारी के लिए नई दिल्ली के विद्या मंदिर क्लासेस से कोचिंग की व्यवस्था.
साइंस विषय की 48 छात्राओं ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, कालामाटी, खूंटी में नामांकन कराया.
डिजिटल शिक्षा के लिए 26 उच्च व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी लैब और 115 स्कूलों में टैब लैब की स्थापना.
“देलाबु इस्कुल तेबुआ” – कोरोना बाद बच्चों को फिर से स्कूल से जोड़ने के लिए यह योजना शुरू हुई. बच्चों की उपस्थिति 45 से 75 प्रतिशत तक बढ़ी. 5000 नए बैंक खाते खुले. 2033 बच्चों के एडमिशन हुए.
मुरहू, अड़की एवं कालामाटी के कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में साइंस लैब बनाए गए हैं.

आजीविका –

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 78,938 परिवारों को संगठित किया गया.
4445 स्वयं सहायता समूहों का बैंक लिंकेज किया गया. इसके होने से 125 करोड़ रुपए का लोन बिना किसी बैंक सुरक्षा के मिला है.
किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए 2249 परिवारों को मछलीपालन से जोड़ा गया.
35 किसानों के साथ स्ट्रोबेरी की खेती की गई.
1398 किसानों के द्वारा 449 एकड़ में लेमनग्रास की खेती की गई.

तेजस्विनी परियोजना – सभी प्रखंडों में कुल 465 तेजस्विनी क्लब बनाकर कुल 29,502 किशोरियों को जोड़ा गया ताकि आर्थिक व सामाजिक उत्थान हो.

सिंचाई परियोजना

जनशक्ति से जलशक्ति अभियान – जिला प्रशासन, ग्राम सभाओं एवं सेवा वेलफेयर सोसाइटी के सामूहिक प्रयासों से शुरू बोरी बांध आंदोलन इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया. जिले को दो राष्ट्रीय पुरस्कार (स्कॉच अवार्ड (राष्ट्रीय जलशक्ति मंत्रालय द्वारा) मिल चुका है.

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