भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर हुई झड़प में शहीद हुए नायब सूबेदार मनदीप सिंह का सैन्य सम्मान के साथ गुरुवार शाम को उनके पैतृक गांव सील में अंतिम संस्कार कर दिया गया। चिता को मुखाग्नि रिटायर्ड फौजी भाई निर्मल सिंह और बेटे ने दी। इससे पहले जहां सैकड़ों ग्रामीणों ने शहीद को नमन किया, वहीं अंतिम दर्शन करके पत्नी और बुजुर्ग मां की आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ी। यहां तक कि सलामी के लिए मां से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। इस दौरान गांव में राजपुरा के एसडीएम और पुलिस अधिकारी पहुंचे हैं।
15 दिन पहले ही छुट्टी काटकर ड्यूटी पर लौटे मनदीप सिंह शहादत से पहले मनदीप जिस दिलेरी से दुश्मन सेना से लड़ रहे थे, उसके बारे में उन्हीं की टीम में शामिल एक जवान ने बताया है, जो इसी ऑपरेशन के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया और फिलहाल अस्पताल में भर्ती है। बहादुरी का यह किस्सा बयां करते मनदीप सिंह के भाई निर्मल का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है। उन्होंने बताया कि मनदीप किसी के रोके नहीं रुक रहा था। दुश्मन सैनिकों का सफाया करते हुए वह लगातार आगे बढ़ रहा था। उसने जिस पर भी वार किया, वह दोबारा नहीं उठा।
मनदीप के भाई निर्मल सिंह बीते 30 अप्रैल को उसी पोस्ट से रिटायर होकर लौटे हैं, जहां मनदीप शहीद हुए थे। निर्मल भावुक होकर अपने भाई की दिलेरी की दास्तान सुनाते हैं। उन्होंने बताया कि मनदीप अपने दल का लीडर था। जब चीन की ओर से हमला किया गया तो वह हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने लगा। उसने दो चीनी सैनिकों को पकड़ रखा था, तभी तीसरे ने मनदीप पर वार कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
निर्मल सिंह ने बताया कि मनदीप के दल में शामिल एक सैनिक बुरी तरह जख्मी हो गया था। वह अस्पताल में भर्ती है। उसने ही मनदीप की बहादुरी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मनदीप किसी के रोके नहीं रुक रहा था। दुश्मन सैनिकों का सफाया करते हुए वह लगातार आगे बढ़ रहा था। उसने जिस पर भी वार किया, वह दोबारा नहीं उठा।
मनदीप की वीरता की कहानी बताते हुए निर्मल सिंह भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि मनदीप 15 दिन पहले अपने घर से छुट्टी बिताकर वापस लौटे थे। उनके पास बुधवार सुबह फोन आया और बताया गया कि मनदीप घायल हो गया है। जब उन्होंने इस बारे में और जानकारी मांगी तो बताया गया कि अभी संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसके बाद दोपहर में उनके पास फिर फोन आया, जिसमें बताया गया कि मनदीप बहादुरी से चीनी सेना से लड़ते हुए शहीद हो गया।
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