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लखनऊ के गोमतीनगर से एक लाख का इनामी बांग्लादेशी असलम गिरफ्तार, 15 माह से पुलिस कर रही थी तलाश

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखनऊ से बांग्लादेशी बदमाश असलम को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस की असलम की तलाश करीब 15 माह से थी। असलम बांग्लादेशी डकैत हमजा का साथी है। हमजा को पुलिस ने अक्टूबर 2021 में सहारा हॉस्पिटल फ्लाईओवर के नीचे एनकाउंटर में मार गिराया था। उस दौरान असलम का नाम भी उसके गिरोह के सदस्य के रूप में सामने आया था। इसके बाद से पुलिस और असलम के बीच आंखमिचौली जारी थी। आखिरकार, गोमतीनगर से ही असलम को पकड़ लिया गया। चिनहट पुलिस को यह सफलता हाथ लगी है। डीसीपी पूर्वी हृदेश कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस में असलम के पकड़े जाने की जानकारी दी। हमजा का एनकाउंटर 17 अक्टूबर 2021 को हुआ था। सहारा हास्पिटल के पास रेलवे ट्रैक पर स्थानीय पुलिस और डीसीपी पूर्वी क्राइम टीम के साथ हमजा की भिड़ंत हुई। इस मुठभेड़ में सिपाही मुकेश चौधरी, आर्यन शुक्ला और नरेंद्र बहादुर को गोली लगी थी।

अक्टूबर 2021 में हमजा एनकाउंटर के बाद से ही असलम की तलाश चल रही थी। लखनऊ से लेकर वाराणसी पुलिस तक उसकी खोज में जुटी थी। यहां उस पर लूटपाट, डकैती और अन्य गंभीर मामले दर्ज हैं। असलम की गिरफ्तारी के संबंध में एडीसीपी पूर्वी सैयद अली अब्बास ने कहा कि चिनहट थाना क्षेत्र में किसान पथ के पास से असलम को गिरफ्तार किया है। उस पर एक लाख का इनाम था। असलम खान बांग्लादेश के बुरसल जिला के चौर खली के पंडारिया गांव का रहने वाला है। उसकी गिरफ्तारी से अपराधी के नेटवर्क को तोड़ने में पुलिस को कामयाबी मिलेगी।चिनहट पुलिस ने बिछाया जाल
चिनहट पुलिस को असलम की टिप मिली थी। इलाके में उसके छिपे होन की जानकारी के बाद पुलिस ने जाल बिछाया। चिनहट इंस्पेक्टर अनिल कुमार पाण्डेय, क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर सतीश कुमार साहू और शिवानन्द मिश्रा की टीम ने घेराबंदी की। इसके बाद किसान पथ के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। असलम के चार साथियों नासिर उर्फ नासीर, नूर इस्लाम, सुमान और शाहीन की तलाश चल रही है। ये सभी बांग्लादेशी हैं। असलम की गिरफ्तारी के बाद उसके गिरोह की घटनाओं और साथियों के बारे में पुलिस जानकारी जुटा रही है।ऐसा था अपराध का तरीका
असलम गैंग के अपराध करने का तरीका अलग है। वह अपने साथियों के साथ दुकानों पर घरों में धावा बोलते थे और डकैती की घटनाओं को अंजाम देते थे। क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर सतीश साहू ने कहा कि विरोध पर ये लोग महिलाओं को बंधक बनाते थे। इससे घर के लोग उनकी डकैती की वारदात को अंजाम नहीं देते थे। ये लोग महिलाओं से अभद्रता भी करते थे। घटनाओं को अंजाम देने के बाद ये लोग रेलवे लाइन को पकड़ कर भागते थे। रेलवे ट्रैक के आसपास के जर्जर भवन इनका ठिकाना होता था।

पुलिस की पकड़ में न आ पाने के लिए इन लोगों की अलग ही रणनीति थी। दिन के समय में ये अपने शिकार की रेकी करते थे और रात को घटना को अंजाम देते थे। असलम ने पूछताछ में कबूला है कि लूटपाट की बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के बाद ये शहर छोड़ देते थे।

फ्लाइट वाला सफर करते थे लुटेरे
बड़ी लूट की घटनाओं के बाद लुटेरे शहर को छोड़ने के लिए हवाई जहाज का सहारा लेते थे। इससे इन पर किसी को शक न हो सके। फ्लाइट में टिकट न मिलने की स्थिति में ये लोग राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों का भी सहारा लेते थे। असलम इस बार अपने साथियों से मिलने आया था। उसके साथी रवीबुल और बिलाल जिला कारागार गोसाइगंज में बंद है। मुलाकात नहीं हो पाने के बाद वह चिनहट के एक ठिकाने पर रुकने जा रहा था। इसी दौरान उसे गिरफ्तार किया गया।