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कर्नल संतोष 18 महीने से लद्दाख में थे; कुंदन 17 दिन पहले पिता बने थे, लेकिन बेटी का चेहरा तक नहीं देख पाए

लद्दाख की गालवन घाटी में सोमवार रात को भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें 18 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हो गए। जान गंवाने वाले अन्य जवान भी इसी रेजिमेंट के बताए जा रहे हैं। कर्नल संतोष 18 महीने से लद्दाख में भारतीय सीमा की सुरक्षा में तैनात थे। वहीं, शहीद कुंदन ओझा 17 दिन पहले ही पिता बने थे, लेकिन बेटी का चेहरा तक नहीं देख पाए।

सैन्य सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख में पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर कर्नल संतोष, शहीद कुंदन और हवलदार पलानी के साथ चीन के सैनिकों की झड़प हुई थी। शहीद संतोष बाबू तेलंगाना के सूर्यापेट के रहने वाले थे। उनकी मां ने कहा- ”मैं दुखी हूं, क्योंकि इकलौता बेटा खो दिया। लेकिन उसने देश के लिए कुर्बानी दी, इस पर गर्व है।”

शहीद कर्नल संतोष बाबू के माता-पिता को बेटे की शहादत पर गर्व है।

अब कर्नल संतोष के परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। उनके पिता फिजिकल एजुकेशन टीचर हैं। शहीद संतोष ने हैदराबाद के सैनिक स्कूल में पढ़ाई की, फिर वे एनडीए के लिए चुने गए थे।

परिवार के साथ कर्नल संतोष बाबू। (फाइल)

शहीद कुंदन के पिता झारखंड के गांव में किसान

झारखंड के साहेबगंज जिले के दीहारी गांव के 26 साल के शहीद कुंदन ओझा 17 दिन पहले ही पिता बने थे, लेकिन अपनी बेटी का चेहरा तक नहीं देख पाए। उनके पिता रविशंकर ओझा किसान हैं। कुंदन 2011 में बिहार रेजिमेंट कटिहार में भर्ती हुए थे। तीन साल पहले उनकी शादी हुई थी। परिजन के मुताबिक, शहीद कुंदन पांच महीने पहले घर आए थे। 15 दिन पहले उनसे फोन पर बात हुई थी।

शहीदों में बिहार के सुनील कुमार भी शामिल
गालवन घाटी में बिहार के सुनील कुमार (38) भी शहीद हो गए। वह छपरा जिले के दीघरा परसा गांव के रहने वाले थे। शाम को उनकी पत्नी मेनका राय को अधिकारियों ने फोन कर शहादत की सूचना दी। इसके बाद पूरे गांव में मातम पसरा है। शहीद सुनील के पिता सुखदेव राय 12 साल पहले सेना से रिटायर हुए थे, फिलहाल वे प. बंगाल में दूसरी सर्विस कर रहे हैं। सुनील दो भाइयों में बड़े थे। तीन साल की एक बेटी है।

सुनील कुमार की शहादत के बाद उनके गांव में मातम पसरा। (फाइल)

तमिलनाडु शहीद पलानी के परिवार को मदद

तमिलनाडु सरकार ने शहीद पलानी (28) के परिवार को 20 लाख रुपए की आर्थिक मदद और परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है। 

यह शहीद हवलदार पलानी की परिवार के साथ आखिरी फोटो है।

45 साल पहले चीन बॉर्डर पर भारत के जवान शहीद हुए थे
20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर एम्बुश लगाकर हमला किया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे।

मई से तनाव, जून में चार बार बातचीत हुई, फिर भी हिंसा भड़की
भारत-चीन के बीच 41 दिन से सीमा पर तनाव है। इसकी शुरुआत 5 मई से हुई थी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच जून में ही चार बार बातचीत हो चुकी है।

बातचीत में दोनों देशों की सेनाओं के बीच रजामंदी बनी थी कि बॉर्डर पर तनाव कम किया जाए या डी-एक्स्केलेशन किया जाए। डी-एक्स्केलेशन के तहत दोनों देशों की सेनाएं विवाद वाले इलाकों से पीछे हट रही थीं।