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Editorial :- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ 2008 में राहुल गांधी ने एमओयू संधि पर हस्ताक्षर क्यों किये ?

19 June 2020

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ भारत की कम्युनिस्ट पार्टियों का ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी का भी चोली दामन का भी साथ रहा है। २००८ में कांग्रेस पार्टी की ओर से बीजिंग में राहुल गांधी ने सोनिया गांधी की उपस्थिति मे कम्युनिस्ट पार्टी के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किय थे। प्रश्र यह उठता है कि राहुल गांधी ने उक्त दुर्लभ संधि पर हस्ताक्षर क्यों किये।

उसके बाद २४ सितंबर २०१९ को  नेपाल और चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टियों ने दोनों पक्षों के बीच भ्रातृत्व स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन में दोनों दलों के बीच उच्च स्तरीय यात्राओं, साम्यवादी विचारधारा, अनुभवों और प्रशिक्षण को साझा करने और विकास मॉडल साझा करने का उल्लेख है। कई पर्यवेक्षकों का कहना है, नेपाल के प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली नेपाल में चीनी राजदूत के हाथों में मोहरा हैं।

तात्पर्य यह है कि नेपाल और भारत की कम्युनिस्ट पार्टियों तथा कांग्रेस पार्टी का चोली दामन का संबंध है चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से। यहॉ यह स्मरण रखना चाहिये कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का मतलब है चीन में सत्तारूढ़ पार्टी।

>> यही कारण है कि कांगे्रस पार्टी के लोकसभा में नेता अधीररंजन चौधरी ने चीन के बारे में जो ट्विट किया था उससे राहुल गांधी और सोनिया गांधी नाराज हो गये थे। इसके कारण से अधीर रंजन चौधरी को अपना ट्विट डिलीट भी करना पड़ा था। 

लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता ने चीन को चेताते हुए ट्वीट किया, ‘चीन! सावधान हो जाओ। भारतीय बलों को पता है कि तुम जैसे जहरीलों सर्पों का फन कैसे कुचला जाए। पूरी दुनिया की नजर विस्तारवाद की तुम्हारी कुटिल चाल पर है।Ó

>> यही कारण है कि  राहुल गांधी अब सेना ने गलवान घाटी पर हुई मुठभेड़ पर चीनी सैनिकों पर गोली क्यों नही चलाई इस प्रकार की ट्विट किये हैं। 

इसका प्रतियोत्तर टीवी चैनल के डिबेट में संबित पात्रा ने दिया है।

संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी को 1996 में हुए चीन के साथ समझौता याद होना चाहिए. अगर आप पढ़े लिखे नहीं हैं, जानकारी नहीं हैं तो घर में बैठकर लॉकडाउन का इस्तेमाल करते हुए कुछ किताबें ही पढ़ कर तथ्यों को समझ लेते. कांग्रेस की सरकारों के वक्त में ही चीन से हुए समझौते में तय किया गया था कि एलएसी के दो किलोमीटर रेंज में गन, बम इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. दोनों और से कोई गोली नहीं चलाई जाएगी, विस्फोटक का इस्तेमाल नहीं होगा और न ही हथियार के साथ सैनिक रहेंगे.

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि अगस्त 2008 में कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के तब के उपाध्यक्ष शी जिंगपिंग (वर्तमान चीनी राष्ट्रपति) के बीच सोनिया गांधी की मौजूदगी में एक एमओयू हुआ था. दो देशों के बीच तो हमने समझौते होते सुना है, लेकिन दो पार्टियों के बीच समझौता क्यों हुआ?

>> यहॉ यह उल्लेखनीय है कि यूपीए शासनकाल के १० वर्ष में नेपाल में इसाइ धर्म के फैलाव और माओवादियों के सत्तारूढ़ होने मेें कांग्रेस का भी बहुत बड़ा रोल है, कम्युनिस्ट पार्टियों का तो है ही। जब नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी उस समय सीपीएम के सीताराम येचुरी भी गये थे।

>> सोनिया गांधी की ईसाई लॉबी और नेपाली माओवादी ईसाई गतिविधियों के संबंध में  संध्या जैन डेली पायनियर अखबार ने ठीक ही कहा है: “जबकि दूसरी कमान में बाबूराम भट्टराई  और उसका परिवार खुलेआम ईसाई है, प्रचंड अपने धार्मिक होने की घोषणा नहीं करता है संबद्धता लेकिन उनकी पत्नी का पूरा परिवार ईसाई है। उनके गुरु, चंद्र प्रदेश गजुरेल, एक ईसाई उपदेशक था। सूत्रों का अनुमान है कि 42,000 मजबूत माओवादी सेना 30 फीसदी ईसाई होगी, लेकिन कैडर को अंधेरे में रखा गया है शीर्ष नेतृत्व मुख्यत: ईसाई है। ”  

>> मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सोनिया की कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी

3 सितंबर, 2007 को माओवादी सुप्रीमो प्रचंड और उनके डिप्टी बाबूराम भट्टाराई से मुलाकात हुई एक होटल में। सांसद और कानूनी विशेषज्ञ सिंघवी को कांग्रेस के रूप में देखा जाता है।

>> सोनिया गांधी के संबंध माओवादियों से रहे हैं यह भी आरोप लगते रहा है।

अंत में इस बात का उल्लेख यहॉ करना आवश्यक है कि नेपाल में १९४७ में एक भी ईसाइ नहीं थी। विश्व में नेपाल ही एक ऐसा राष्ट्र था जो संवैधानिक द़ृष्टि से हिन्दू राष्ट्र था। १९५० में 1950 में केवल 50 ईसाई थे। 1993 तक यह संख्या 100.000 अंक को पार कर गई।

अब नेपाल में कितने इसाइ होंगे इसकी कल्पना की जा सकती है।

यूपीए शासनकाल में सोनिया गांधी की क्रिस्चिय लॉबी भारत में हिन्दुओं का धर्मांतरण इसाई धर्म में करवाने में किस प्रकार से सहायक हुई यह सर्वविदित है।