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ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों का अलग से मोबाइल खरीदें फीस भी जमा करें, पालकों का विरोध- स्कूल में हंगामा

संक्रमण काल में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए सरकारी से लेकर निजी स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा शुरुआत की जा रही है।लेकिन शहर के अभिभावकों ने इस प्रकिया के शुरू होने से पहले इसका विरोध करना शुरू कर दिया। पालकों के अनुसार इस व्यवस्था में तकनीकी दिक्कतों के साथ बच्चों की आंखें खराब होने का डर है। क्योंकि एक-एक घंटे की ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों पर मोबाइल की छोटी सी स्क्रीन का असर ज्यादा होगा। लॉकडाउन के बाद स्कूल प्रबंधकों द्वारा अभिभावकों को नए सत्र की फीस जमा करने के साथ प्रत्येक बच्चे का अलग अलग मोबाइल सेट खरीदी का दबाव बनाया जा रहा है। इसी के चलते गुरुवार को शहर के एमजी काॅन्वेंट स्कूल पहुंचे अभिभावकों ने हंगामा कर दिया। एक घंटे तक स्कूल प्रबंधन से हुई बातचीत का कोई हल नहीं निकला तो कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
सुबह 11 बजे एमजी काॅन्वेंट स्कूल के छात्र-छात्राओं के अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन को घेर लिया। हाथों में नो स्कूल नो फीस के पैम्फलेट लिए अभिभावकों ने फीस जमा नहीं करने को लेकर नारेबाजी करना शुरू कर दी। स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच एक घंटे तक बहस होती रही। प्रबंधन के अनुसार हर बच्चे के लिए अलग-अलग मोबाइल सेट के माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी, लेकिन पालकों ने स्कूल की इस व्यवस्था का सीधे तौर पर विरोध करना शुरू कर दिया। अधिकांश अभिभावकों का कहना था कि इससे बच्चों की आंखों पर असर पड़ेगा।

पालकों का सोशल मीडिया के मंच से विरोध, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
अभिभावकों ने सोशल मीडिया को मंच बना लिया। पेरेंट्स ग्रुप के माध्यम से गुरुवार को एकत्रित हुए लोगों ने कलेक्टर दिनेश जैन को भी ज्ञापन सौंपा। इसमें मांग की गई कि 80 प्रतिशत फीस ट्यूशन के नाम पर ली जा रही है। इसके अलावा जब बच्चे स्कूल ही नहीं जाएंगे तो एडमिशन फीस क्यों ली जा रही है। इस दौरान रोहित सोनी, अंकित आचार्य, चिंटू सिकरवार, तबस्सुम, यूनुस, मनीष सोलंकी, सचिन चौहान, मोनिका सिकरवार आदि मौजूद थे।

ज्यादा मोबाइल चलाने से बच्चों की आंखों में ड्राइनेस बढ़ेगी
ऑनलाइन क्लास को लेकर अभिभावकों की चिंता से आंखों के डाॅक्टर भी सहमत हैं। शहर के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. सुनील सोनी ने बताया कि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए ऑनलाइन क्लास भी जरूरी है, लेकिन इसके लिए बच्चों के साथ अभिभावकों को ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत है। मोबाइल का ज्यादा उपयोग आंखों में ड्राइनेस को बढ़ा सकता है। इससे आंखों में खुजली और जलन जैसी प्रारंभिक बीमारियां हो सकती है।
स्कूल प्रबंधन ने दिखाया आदेश, बोले- कोर्ट के आदेश से ले रहे ट्यूशन फीस
अभिभावकों के विरोध के दौरान स्कूल प्रबंधन ने अपने हाथ खड़े कर दिए। स्कूल के फादर अगस्टीन ने अभिभावकों की समस्याओं के आगे कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का हवाला देते हुए साफ कह दिया कि हम ऑनलाइन क्लास नि:शुल्क चला रहे हैं, लेकिन ट्यूशन फीस कोर्ट के आदेश से ही ली जा रही है। 

अभिभावकों की जुबानी

  • स्कूल क्लास और घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई में बहुत अंतर है। ऑनलाइन क्लास में शिक्षक पूरी तरह से बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। वे अपनी ओर से बस होमवर्क दे देंगे, बच्चे अपनी ओर से सवाल नहीं कर पाएंगे। -मोनिका सिकरवार, अभिभावक
  • मेरे परिवार के आठ बच्चे अलग-अलग क्लास के हैं। ऐसे में मुझे आठ मोबाइल खरीदना पड़ेंगे। इसके बाद भी स्कूल प्रबंधन को स्कूल फीस जमा करना होगी। -अरुण सोलंकी, अभिभावक
  •  ऑनलाइन क्लास के लिए मोबाइल या लैपटाप होना जरूरी है। इंटरनेट की स्पीड और कनेक्टिविटी जैसी समस्याओं के कारण ऑनलाइन क्लास खानापूर्ति रहेगी। क्योंकि ट्रायल क्लास के दौरान हमने देखा है कि मोबाइल पर कॉल आने के दौरान स्कूल से कनेक्टिविटी टूट जाती है। बार-बार ऐसी स्थिति होने पर एक घंटे की क्लास कब खत्म हो जाएगी पता ही नहीं चलेगा। या फिर हम अपना मोबाइल बंद रखें- उमेश (बंटी) पाटीदार, अभिभावक
  • कई अभिभावकों के पास लैपटाप या कम्प्यूटर नहीं होने के कारण स्कूल प्रबंधन स्मार्ट फोन पर एप के जरिए ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था कर रहे हैं। ऐसे में बच्चे मोबाइल स्क्रीन पर घंटों तक नजरें जमाए रखेंगे, जिससे आंखों पर असर पड़ेगा। – तबस्सुम मंसूरी, अभिभावक