इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में अपनी पत्नी और बेटी को खोने वाले ८४ वर्षीय याची की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के गृह सचिव (सांप्रदायिक नियंत्रण) से हलफनामा तलब किया है। याची की ओर से मुआवजे की मांग की गई है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए आठ फरवरी २०२३ की तिथि तय की है। यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की खंडपीठ ने पीलीभीत के प्यारा सिंह की याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने कहा, याचिका 2018 से लंबित है और यूपी सरकार की ओर से इसका समाधान नहीं किया गया। याची की पत्नी भजन कौर और बेटी जीत कौर को दंगे में बेरहमी से मार दिया गया। गृह मंत्रालय भारत सरकार ने पीडि़तों केपुनर्वास के लिए एक नीति तैयार की। इसके तहत प्रत्येक मृतक को 20 हजार रुपये मुआवजा दिया जाना था। इस तरह से याची को 40 हजार रुपये मिलने थे।
वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने मुआवजे की रकम बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी लेकिन, याची को इसका लाभ नहीं मिल सका। याची ने इसी मांग पर याचिका दाखिल की, जो वर्ष २०१८ से लंबित है। कोर्ट ने याची का पक्ष सुनने के बाद गृह सचिव (सांप्रदायिक नियंत्रण) से हलफनामा तलब किया है।
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