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Indian Railway: कोहरा बढ़ने पर ट्रेनों की लेटलतीफी होगी बीते दिन की बात, ‘कवच’ से अब सुरक्षित होगा सफर

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बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) में बनने वाले इलेक्ट्रिक इंजन में अब स्वदेशी ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (कवच) डिवाइस लगाई जाएगी। इसका सफल परीक्षण हो गया है। रेलवे बोर्ड से जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है। कवच डिवाइस लगने के बाद ट्रेनें घने के कोहरे के बीच भी तेज गति से चल सकेंगी। मेट्रो की तरह ही सामान्य ट्रेनों के लोको पायलट को सिग्नल की जानकारी मिलती रहेगी। यात्री सुरक्षा को लेकर रेल महकमा गंभीर है। इसी वजह से रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ से कवच डिवाइस तैयार कराई गई।

अब बरेका की मदद से इसे इंजन में लगाकर सुरक्षा व संरक्षा मजबूत बनाई जा रही है। कवच टक्कर रोधी तकनीक है। यह ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने में मददगार होगी। अगर एक ही ट्रैक पर आमने-सामने से दो ट्रेनें आती हैं और दोनों में डिवाइस लगी रहेगी तो लोको पायलट को पहले ही जानकारी मिल जाएगी। ट्रेनों के आपस में टकराने की नौबत नहीं आएगी। निश्चित दूरी पर ही ट्रेनें खड़ी की जा सकेंगी। 

कोहरे में ट्रेनों की सामान्य गति 65 किलोमीटर प्रतिघंटा रहती है। जब सिग्नल की सटीक जानकारी नहीं मिलती है तो गति और कम हो जाती है। इस लिहाज कवच डिवाइस महत्वपूर्ण रहेगी। इंजन व रेलवे स्टेशन के पास बने टॉवर में लगी डिवाइस से सिग्नल सिस्टम और बेहतर हो जाएगा। इससे ट्रेनों की गति सामान्य से अधिक रखी जा सकेगी। 

इतना ही नहीं, यदि लोको पायलट किसी परिस्थितियों में स्टॉप सिग्नल (लाल सिग्नल) के पास पहुंचता है और ट्रेन की रफ्तार कम नहीं करता है तो एक निश्चित दूरी के बाद स्वत: ब्रेक लग जाएगा। यह डिवाइस एक निश्चित दूरी के भीतर उसी ट्रैक पर दूसरी ट्रेन का पता लगाती है। 

कैंट स्टेशन के निदेशक गौरव दीक्षित के मुताबिक, स्टेशन पर एक टॉवर लगाया जाएगा, जिसे सिग्नल से लिंक किया जाएगा। इससे कवच डिवाइस जुड़ी रहेगी। डिवाइस को पहले ही माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और रेडियो संचार के माध्यम से जोड़ा गया है। लिहाजा, सिग्नल की सही व सटीक जानकारी मिलती रहेगी। सब कुछ आधुनिक हो जाएगा। 

बरेका उपमहाप्रबंधक विजय ने बताया कि बरेका में बनने वाले रेल इंजनों में कवच लगाने की तैयारी पूरी है। रेलवे बोर्ड से अनुमति का इंतजार है।