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एएमयू में मिले मोदी पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के क्यूआर कोड वाले पोस्टर

जेएनयू के बाद अब बीबीसी द्वारा पीएम मोदी पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी तक पहुंच गया है. यूनिवर्सिटी में कई जगहों पर डॉक्यूमेंट्री के पोस्टर लगाए गए हैं. इन पोस्टरों पर डॉक्यूमेंट्री का एक क्यूआर कोड भी प्रदर्शित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री को स्कैन करके देखा जा सकता है. विवि प्रशासन ने इन पोस्टरों को कई जगहों से हटाया भी है।

इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर देश भर के कई शैक्षणिक परिसरों में विवाद देखा गया है। गुजरात दंगों पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री को सरकार ने बैन कर दिया है. लेकिन इसके बावजूद विश्वविद्यालयों में छात्रों द्वारा इसे दिखाने का प्रयास किया जा रहा है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में ‘छात्र’ नेताओं ने वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग पर पहले ही विवाद खड़ा कर दिया है। अब ये विवाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी तक पहुंच गया है.

कैंपस में अधिकांश छात्रों के मोबाइल फोन पर क्यूआर कोड के माध्यम से बीबीसी डॉक्यूमेंट्री देने का प्रयास किया गया था। कैंपस में कई जगहों पर डॉक्यूमेंट्री के क्यूआर कोड वाले पोस्टर चिपकाए गए थे। इस क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद डॉक्यूमेंट्री सीधे खुल जाएगी। गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से डॉक्यूमेंट्री पर रोक को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह सतर्क था. सुरक्षाकर्मियों को संबंधित दिशा-निर्देश दिए गए। लेकिन इस बीच ये पोस्टर कब और कैसे चिपकाए गए इसकी जानकारी कैंपस में किसी को नहीं है. सूचना मिलते ही कई जगहों से पोस्टर हटा दिए गए।

गुरुवार, 26 जनवरी 2023 को बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” को कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्यों द्वारा प्रदर्शित किया गया। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में ऐसा करने में विफल रहने के बाद स्क्रीनिंग हुई। अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में डॉक्यूमेंट्री के क्यूआर कोड को पोस्टर के जरिए छात्रों तक पहुंचाने की कोशिश का मामला सामने आया है.