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Deoria News : Prayagraj Riots के आरोपी Javed Pump से मिलने जेल पहुंचा सपा का प्रतिनिधिमंडल

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देवरिया: इलाहाबाद दंगे का मुख्य आरोपी जावेद पंप से मिलने सपा का तीन सदस्य प्रतिनिधि मंडल देवरिया जिला कारागार पहुंचा। पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर देवरिया कारागार पहुंचे इस प्रतिनिधिमंडल में इलाहाबाद के सपा जिला अध्यक्ष योगेश चंद्र यादव, मेजा विधानसभा क्षेत्र के सपा विधायक संदीप सिंह पटेल और देवरिया के जिला अध्यक्ष दिलीप यादव शामिल थे। इस मौके पर प्रतिनिधिमंडल ने भाजपा सरकार पर सपा कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

सपा कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न कर रही है भाजपा
बीते साल भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा के एक बयान के बाद इलाहाबाद में दंगा भड़क उठा था। दंगे का मुख्य आरोपी जावेद पंप देवरिया जेल में बंद है। मंगलवार को सपा का तीन सदस्य प्रतिनिधि मंडल जेल में बंद जावेद पंप से मुलाकात की और उन्हें अखिलेश यादव का संदेश बताया। मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा कि भाजपा सरकार सपा कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न कर रही है। जावेद पंप को फर्जी तरीके से दंगे का अभियुक्त बनाया गया है। घटना के दौरान जावेद पंप वहां मौजूद भी नहीं थे और ना ही उस घटना से जावेद का कुछ लेना देना है। यही नहीं जिस मकान को जावेद पंप का मकान बता कर तोड़ा गया वह मकान भी जावेद पंप के नाम पर नहीं था।

‘राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के चलते जावेद को बनाया गया दंगे का आरोपी’
मेजा के विधायक संदीप पटेल ने कहा कि वर्तमान सरकार जावेद भाई के साथ बहुत ही ज्यादती कर रही है। जावेद का कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है। उन्होंने हमेशा सामाजिक सौहार्द बनाने का काम किया है। हमारे नेता अखिलेश यादव उन सभी कार्यकर्ताओं पर निगाह बनाए हुए हैं जो भाजपा सरकार के निशाने पर हैं। जहां घटना हुई जावेद वहां के रहने वाले भी नहीं है। मगर राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते उन्हें उस दंगे का आरोपी बनाया गया है। उन्हें थाने में बैठाकर प्रताड़ित किया गया और बाद में देवरिया जेल भेज दिया गया। उनके ऊपर न केवल एन एस ए लगाया गया है बल्कि हर महीने एक नया मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।

रामचरितमानस का नहीं बल्कि कुछ चौपाइयों का विरोध
प्रश्नों के जवाब में विधायक संदीप पटेल ने बताया कि रामचरितमानस के मुद्दे पर हमारे सभी बड़े नेताओं का बयान व स्पष्टीकरण आ चुका है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरितमानस का विरोध नहीं किया बल्कि उसकी कुछ चौपाइयों का ही विरोध किया है। धर्म ग्रंथों में हमें पैर से पैदा होना बताया गया है यह ठीक नहीं है।