सुनील गावस्कर. यह सिर्फ एक नाम नहीं, श्रेष्ठता का पैमाना है. बेहतरीन क्रिकेटर, खासकर बल्लेबाज होने का. 1970-80 के दशक में अगर किसी बल्लेबाज को आउट करना सबसे मुश्किल था, तो वे सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ही थे. लेकिन उसी दौर में एक गेंदबाज ऐसा भी था, जिसके सामने गावस्कर असहज हो जाते थे. वे उस गेंदबाज को पूरे यकीन के साथ नहीं खेल पाते थे. नाम था राजिंदर गोयल (Rajinder Goel). विडंबना देखिए, इस बाएं हाथ के स्पिनर को नेशनल टीम में कभी जगह नहीं मिली. 77 साल के राजिंदर गोयल की रविवार (21 जून) को मौत हो गई.
निदा फाजली का एक शेर है, ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता…’ राजिंदर गोयल पर यह बात बखूबी फिट बैठती है. घरेलू क्रिकेट के इस महारथी ने रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट (Ranji Trophy) में सबसे अधिक 640 विकेट लिए. वे 44 साल तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलते रहे. सुनील गावस्कर ने अपनी किताब ‘आइडल्स’ में जिन खिलाड़ियों को जगह दी थी, उसमें राजिंदर गोयल भी शामिल थे.
पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने अपनी किताब में लिखा है, ‘मैंने अपने घरेलू क्रिकेट करियर में जिन गेंदबाजों का सामना किया, उनमें गोयल (राजिंदर) का नाम सबसे ऊपर आता है. मैं गोयल को फेस करते वक्त कभी सहज नहीं रहा.’ इसे वक्त का तकाजा ही कहा जा सकता है कि ऐसे राजिंदर गोयल को भारत की राष्ट्रीय टीम में कभी जगह नहीं मिली.
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