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सैलानियों का पसंदीदा हिल स्टेशन बनता मैनपाट

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समुद्र तल से करीब 1085 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तथा विलग जलवायु के कारण छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट अब सैलानियों का पसन्दीदा हिल स्टेशन बनते जा रहा है। चारो ओर से पहाड़ी व सुरम्य वादियों से घिरा मैनपाट प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होने के साथ तिब्बती व जनजातीय संस्कृति का संगम स्थल भी है। यहां संस्कृतियां सद्भाव के साथ फल-फूल रही हैं। मैनपाट में पर्यटन को बढ़ावा देने तथा विकास को गति देने के लिए हर वर्ष मैनपाट महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें देश के नामी कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति व विभागीय स्टॉलों के द्वारा विकास की झलक देखने को मिलती है। मैनपाट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रशासन ने सड़क विकास के साथ सुविधायें और टूरिस्ट पॉइंट को बेहतर करने का प्रयास प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। पर्यटकों के ठहरने के लिए रिजॉर्ट व विश्राम गृह भी बनाये गए हैं। अम्बिकापुर से दरिमा होते हुए मैनपाट जाते जैसे ही घाट शुरू होता है दूर-दूर तक हरियाली नजर आती है। पहाड़ी पर घुमावदार रास्ते के दोनों ओर ऊंचे-ऊंचे पेड़ व नयनाभिराम दृश्य देखते ही बनता है। मैनपाट पुंहचने पर बौद्ध मंदिर, तिब्बती, लामा को देखकर अलग ही एहसास होता है। इस वर्ष जिला प्रशासन द्वारा 14 से 16 फरवरी तक मैनपाट महोत्सव का आयोजन रोपाखार जलाशय के समीप किया जा रहा है। नपाट के महत्वपूर्ण प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट में टाइगर प्वाइंट का अपना विशेष महत्व है। टाइगर प्वाइंट एक खूबसूरत प्राकृतिक झरना है जिसमंे पानी इतनी तेजी से गिरता है कि शेर के गरजने जैसी आवाज आती है। टाइगर प्वाइंट देखने के लिए बहुत ही अच्छी जगह है यहां का ठण्ड भी अच्छा लगता है तथा देखने के लिए चारों तरफ घनघोर जंगलों के बीच पहाड़ से गिरता हुआ झरना बहुत ही आकर्षक लगता है। टाइगर प्वाइंट दर्शनीय स्थल में बहुत पहले शेर हुआ करते थे जो झरने का पानी पीने आते थे। इसलिए इस स्थान का नाम टाइगर प्वाइंट पड़ा। टाइगर प्वाइंट इको प्वाइंट के नाम से भी जाना जाता है।