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हाथरसी रंग-गुलाल पर चढ़ा महंगाई का रंग,

होली पर हाथरसी रंग-गुलाल से देश-विदेशों में भी लोग सराबोर हो जाते हैं। लेकिन इस बार हाथरस का रंग-गुलाल के दामों में उछाल हुआ है। कारोबारियों का कहना है कि कच्चे माल के दामों में पांच से सात प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में हाथरसी रंग-गुलाल भी महंगा बेचा जाएगा।

बीते दो साल से कोरोना संक्रमण के कारण होली का त्योहार फीका रहा था। इस बार अभी से ही बजार में होली का खुमार छाने लगा है। जैसे-जैसे होली का पर्व नजदीक आ रहा है, बाजार में रौनक बढ़ना शुरू हो गई है। हाथरस की फैक्टरियों में दूसरे शहरों, प्रदेशों के व्यापारियों ने एक माह पहले ही रंग-गुलाल के भारी मात्रा में ऑर्डर बुक करा दिए हैं।

साफ है कि इस बार जमकर होली खेली जाएगी।

रंग-गुलाल का कारोबार करने वाले कारोबारियों के मुताबिक पिछले वर्ष की तुलना में कच्चे माल के दाम में उछाल हुआ है। निर्माण लगात जोड़ने के बाद बजार में रंग-गुलाल और ज्यादा महंगा बेचा जाएगा। इसके बावजूद बड़ी मात्रा में रंग-गुलाल के ऑर्डर मिले हैं और यह माल यहां से भेजा भी जाने लगा है।

पांच से सात प्रतिशत बढ़े कच्चे माल के दाम

गुलाल और रंग बनाने में पक्के रंग व स्टार्च का प्रयोग किया जाता है। मक्का से स्टार्च बनाया जाता है। इस बार बारिश के कारण मक्का की फसल प्रभावित हुई है। ऐसे में स्टार्च का 1800 रुपये में मिलने वाला 50 किलो का कट्टा दो हजार रुपये में मिल रहा है। पैकिंग की बात करें तो जो बैग पहले सौ रुपये का आता था वह 130 रुपये पर पहुंच गया है। 120 रुपये प्रति किलो में मिलने वाली पॉलीथिन 140 रुपये प्रति किलो बेची जा रही है। पक्के रंग अहमदाबाद, मुम्बई से आते हैं। वह भी पांच से सात प्रतिशत महंगे आ रहे हैं। पेट्रोल-डीजल महंगा होने से ट्रांसपोटेशन में 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। लेबर चार्ज जो पहले 400 रुपये से बढ़कर 450 रुपये प्रतिदिन हो गया है। इस कारण लोगों को महंगा रंग और गुलाल मिलेगा।

कच्चे माल के दामों में पिछले साल की अपेक्षा इजाफा हुआ है। इस कारण रंग गुलाल के दाम बढ़ गए हैं। स्टार्च के रेटों में एक कट्टे पर 200 रुपये की वृद्धि हुई है। मालभाड़े और मजदूरी भी मंहगी हुई है। ऐसे में रंग-गुलाल के दाम भी बढ़ाए गए हैं। – विनोद मित्तल, रंग उद्यमी

माल की मांग बढ़ती है तो दाम भी बढ़ जाते हैं। पिछली बार अपेक्षा इसमें प्रयुक्त होने वाले कच्चे रंग, स्टार्च की कीमत बढ़ी है। इस कारण बाजार में गुलाल और रंग मंहगा बेचा जा रहा है। कोरोना का प्रभाव भी नहीं है तो काफी आर्डर आए हैं और अधिकतर माल बाहर भेजा जा रहा है। – देवेंद्र गोयल, रंग उद्यमी