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कृषि बिल का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा, पूरे राज्य में आंदोलन तेज, काला बिल्ला लगाकर प्रदर्शन

Ranchi : कृषि बिल का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. राज्यभर के खाद्यान्न व्यापारियों, कृषकों एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों में बिल को लेकर गहरा आक्रोश है. शनिवार को विभिन्न जिलों में व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कृषि मंत्री के पुतले फूंके. वहीं राजधानी रांची में फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्श के तत्वावधान में व्यापारियों के काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रकट किया और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला फूंका. कहा गया कि बिल के विरोध में 15 फरवरी से कृषि मंडी की थोक दुकानें बंद रहेंगी. सरकार जहां बिल को प्रभावी बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है, वहीं इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है. शुभम संदेश की टीम ने व्यापारियों, राजनीतिक दलों के नेताओं से बात की है. पेश है रिपोर्ट.

रांची में पुतला दहन के दौरान व्यापारी
दुमका में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे को ज्ञापन सौंपते व्यापारी
झारखंड के कांग्रेस प्रभारी अविनाश पाण्डे से मिलते व्यापारी
.इरफान अंसारी से भी मिले व्यापारी
बिल के विरोध में सभी जिलों में व्यापारियों का क्रमवार आंदोलन जारी

रांची। कृषि शुल्क विधेयक के विरोध में फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्श के नेतृत्व में प्रदेश के सभी जिलों में क्रमवार आंदोलन का दौर जारी है. शनिवार को रांची सहित प्रदेश के सभी जिलों के चैंबर ऑफ कॉमर्स के नेतृत्व में कृषि उपज, वन उपज, खाद्यान्न व्यवसायी संघ, खाद्य प्रसंस्करण से जुडे व्यवसायियों ने कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला दहन कर विधेयक के प्रति विरोध जताया. कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे के दुमका प्रवास के दौरान हवाई अड्डे पर ही दुमका चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा मिलकर इस विधेयक की खामियों से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया. मौके पर उपस्थित झारखंड के कांग्रेस प्रभारी अविनाश पाण्डे, मंत्री आलमगीर आलम और विधायक (जामताडा) इरफान अंसारी से भी मिलकर मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया गया, जिसपर उन्होंने विचार के लिए आश्वासन दिया है.

15 से कृषि मंडी की थोक दुकानें बंद रहेंगी

दूसरी ओर फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्श अध्यक्ष किशोर मंत्री ने खाद्य आपूर्ति सचिव श्रीमती हिमानी पांडे, उपायुक्त रांची और एसडीओ को पत्राचार कर 15 फरवरी से झारखंड में खाद्य वस्तुओं की आवक-जावक एवं कृषि मंडी की थोक दुकानें अनिश्चितकालीन के लिए बंद होने की सूचना दी. यह कहा कि 15 फरवरी से राइस मिल्स एवं फ्लॉर मिल्स में भी प्रोडक्शन और सेल बंद कर दिया जायेगा. चैंबर अध्यक्ष ने कहा कि इस निर्णय से राज्य में खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता प्रभावित होगी. जिससे निकट भविष्य में उपभोक्ताओं को भी कठिनाई अवश्य होगी. किंतु इस विधेयक के प्रभावी होने से राज्य में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मूल्यवृद्धि के साथ ही इंस्पेक्टर राज को प्रोत्साहन मिलने की प्रबल संभावना को देखते हुए तथा उपभोक्ताओं को महंगाई से बचाने के लिए यह निर्णय लेना हमारी विवशता है.

काला बिल्ला लगाकर विरोध

राजधानी रांची के अपर बाजार में फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्श और रांची चैंबर पंडरा के नेतृत्व में खाद्यान्न व्यापारियों ने काला बिल्ला लगाकर विरोध जताया. विधेयक को स्थाई रूप से समाप्त करने के लिए रविवार को सभी जिलों के स्थानीय विधायक का घेराव कर उनका समर्थन लिया जायेगा.

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प्रदर्शन के दौरान ये थे उपस्थित

मौके पर चैंबर उपाध्यक्ष अमित शर्मा, सह सचिव रोहित पोद्दार, रांची चैंबर पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी, दीपक पोद्दार, गणेश अग्रवाल, बिजेंद्र कुमार, रीतेष जैन, अनिल शर्मा, आलू प्याज थोक विक्रेता संघ के अध्यक्ष मदन साहू, रोहित कुमार, वनोपज संघ के अध्यक्ष संजीत चौधरी, डब्बू अग्रवाल, बबलू छापरिया, अशोक मंगल, कौषिक भदानी, राजीव साहू, विक्रम गुप्ता, संतोष सिंह, कमल अग्रवाल, अजय जैन समेत कई खाद्यान्न व्यापारी शामिल थे.

श्यामलेंदु कुमारमंडी टैक्स लागू होने से खाद्यान्न महंगा होगा  

जमशेदपुर के खाद्यान्न व्यापारी श्यामलेंदु कुमार का कहना है कि मंडी टैक्स लागू होने से खाद्यान्न महंगा होगा और बड़े व्यापारी जियो रिलायंस जैसी कंपनी मंडी टैक्स से मुक्त होंगे. ऐसे व्यापारियों के लिए अपने घर में ही प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. व्यापारियों के सामने संकट उत्पन्न होगा. इतना ही नहीं यह विधेयक लागू होने से व्यापारी ही नहीं आम जनता पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा. क्योंकि मंडी टैक्स लागू होने से खाद्यान्न महंगा होगा. मंडी टैक्स के लागू होने बाजार शुल्क के लगाये जाने के उपरांत सीमावर्ती राज्य के थोक विक्रेता झारखंड राज्य में प्रचूर मात्रा में माल बेचेंगे. इससे झारखंड का खाद्यान्न व्यापार प्रभावित होगा और झारखंड सरकार को जीएसटी से प्राप्त हो रहे राजस्व की भारी क्षति होगी.

राजकुमार मोदीकिसी का फायदा नहीं, अधिकारियों की जेब भरेगी 

कोडरमा के राजकुमार मोदी ने बताया कि झारखंड सरकार 2% टैक्स लगाकर महंगाई को बढ़ावा देने का काम कर रही है. झारखंड सरकार को इसे वापस लेना ही होगा. कुछ अन्य राज्यों में भी यह कानून निरस्त हो गया है. मगर इसे झारखंड सरकार लागू कर सिर्फ महंगाई को बढ़ावा दे रही है . इससे किसी का फायदा नहीं होगा और सिर्फ अधिकारियों की जेब भरी जाएगी. बिल से चीजें महंगी हो जाएगी. इसलिए इस विधेयक को सराकार को वापस ले लेना चाहिए. पहले भी यह बिल लाया गया था, जिसे विरोध के बाद वापस लिया गया.

संजर मलिककिसानों के हित में है कृषि बिल विधेयक 

राजद जिलाध्यक्ष संजर मलिक ने कहा कि कृषि विधेयक किसानों के हित में है. व्यवसायियों को भी इस बिल का समर्थन करना चाहिए. अगर अन्न पैदा ही नहीं होंगे, तो व्यवसाय किस चीज का होगा. किसानों को अभी लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. सब्जियों के भाव गिर गए हैं. ऐसे में अगर सरकार किसानों को समृद्ध करना चाह रही है, तो इसमें व्यापारियों को क्या परेशानी हो रही है. व्यापारी बिल के सभी पहलुओं पर विचार करें और देखें कि इस बिल में क्या है.

संजय शर्मासरकार की अदूरदर्शिता को दर्शाता है विधेयक

जमशेदपुर के खाद्यान्न व्यापारी संजय शर्मा ने कहा कि यह विधेयक सरकार की अदूरदर्शिता को दर्शाता है. क्योंकि झारखंड सरकार ने यहां की आम जनता, व्यापारियों और अपने राजस्व की क्षति का आंकलन किये बगैर ही मंडी टैक्स को लागू करने का निर्णय ले लिया है. चूंकि मंडी टैक्स से अनाज की कीमतों में वृद्धि होगी, जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा. मंडी टैक्स का सीधा असर आम लोगों पर इसलिए पड़ेगा कि व्यापारी खाद्यान्न पर दो प्रतिशत टैक्स लोगों से ही वसूल करेगा. दूसरी ओर सीमावर्ती राज्यों में मंडी टैक्स नहीं होने के कारण खाद्यान्न वहां सस्ता होगा, तो राज्य में सीमावर्ती राज्यों से खाद्यान्न की आवक बढ़ेगी. इससे राज्य में खाद्यान्न व्यापार घटेगा.

आदित्य कुमारसभी वर्गों पर इसका असर देखने को मिलेगा 

कोडरमा से आदित्य कुमार ने बताया कि झारखंड सरकार कृषि उत्पादन सामग्री पर दो प्रतिशत अधिक टैक्स लगाएगी. जिसका भार सीधे तौर पर आम लोगों पर पड़ेगा. साथ ही छोटे हो या बड़े सभी व्यापारियों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा. इसलिए कहीं न कहीं आज व्यापारियों द्वारा जो विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, वह जायज है. इस तरह के काले कानून हर हाल में निरस्त होना ही चाहिए, नहीं तो विधायक के लागू होने से सिर्फ अधिकारियों की जेब भरी जायेगी.

सीटूव्यापारियों की मांग जायज, लेकिन किसान हित में बिल  

राज्य सरकार के कृषि शुल्क विधेयक पर सीपीएम नेता गणेश कुमार वर्मा उर्फ सीटू ने कहा कि व्यवसायियों की मांग जायज है, लेकिन किसान हित में यह बिल है. वैसे सामान के मूल्य वृद्धि के मुद्दे पर वह व्यापारियों के आंदोलन के साथ हैं. इस बिल से महंगाई बढ़ेगी और आम जनता को प्रभावित करेगी. ऐसे में इस बिल पर बीच का रास्ता निकालने की जरूरत है. इसके लिए सरकार व्यापारियों से बात कर समाधन निकाले. सरकार को इस मामले में पहल करने की जरुरत है.

विकास शर्माइसका सीधा असर खाद्यान्न व्यापार पर पड़ेगा 

जमशेदपुर के खाद्यान्न व्यापारी विकास शर्मा का कहना है कि मंडी टैक्स लागू होने से इसका सीधा असर खाद्यान्न व्यापार पर पड़ेगा. खाद्यान्न महंगा होगा. आम लोगों पर इसका असर पड़ेगा और इंस्पेक्टर राज का बढ़ावा मिलेगा. देखा जाये, तो कृषि उत्पादन वाले राज्य बंगाल, ओड़िशा और बिहार में मंडी टैक्स लागू नहीं है. झारखंड तो कृषि उत्पादन वाला राज्य भी नहीं है, ऐसे में सरकार द्वारा बाजार अथवा मंडी टैक्स लगाना बेमानी है. इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा. मंडी टैक्स लागू करके सरकार ने यह बता दिया है की उसे न तो व्यापारियों की चिंता है और ना ही आम जनता की. मंडी टैक्स के विरोध के लिये खाद्यान्न व्यापारी एकजुट है. पूरे राज्यभर में मंडी टैक्स के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है.

आयुष पोद्दारपूर्व की सरकार ने इस कानून को निरस्त कर दिया था 

कोडरमा से आयुष पोद्दार ने बताया कि कृषि बाजार पर लगे 2 परसेंट शुल्क काला कानून है. इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. पूर्व की सरकार ने इसकी जांच करा कर इस कानून को निरस्त कर दिया था . पड़ोसी राज्यों में भी इसे समाप्त कर दिया गया है. एक महीना पहले उत्तर प्रदेश से भी इसे समाप्त कर दिया गया है. परंतु झारखंड में कुछ अधिकारियों के द्वारा मिलीभगत कर पुनः इसको लागू कराने का प्रयास किया जा रहा है. जिसके दूरगामी परिणाम झारखंड की जनता को भुगतना पड़ेगा.

कृषि शुल्क विधेयक का समर्थन होना चाहिए : अशोक कुमार

जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि कृषि बिल का समर्थन होना चाहिए. इस बिल के लागू होने से किसानों को फायदा होगा. व्यवसायियों को इसका विरोध नहीं करना चाहिए. लंबे समय बाद किसानों के हित में कोई नीति बनी है, तो उसका स्वागत होना चाहिए. यह कानून किसानों की सेहत में सुधार के लिए बनाया गया है. इसलिए इस मामले में भ्रम में नहीं रहना चाहिए,इस बिल से राज्य का विकास भी जुड़ा है.

अखिलेश अग्रवालयह बिल आम जनता के साथ धोखा है 

जमशेदपुर के खाद्यान्न व्यापारी अखिलेश अग्रवाल का कहना है कि सरकार ने इसे दोबारा से लागू कर दिया है यह व्यापारियों ही नहीं आम जनता के साथ भी धोखा है. इसके विरोध के लिये खाद्यान्न व्यापारी एकजुट है. पूरे राज्यभर में मंडी टैक्स के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है. इस काले विधेयक को लेकर खाद्यान्न व्यापारियों में काफी व्याप्त है. पूर्व में सरकार के सभी वरिष्ठ मंत्रियों के द्वारा व्यापारियों को आश्वासन दिया गया था कि कृषि बाजार विपणन समिति पर प्रस्तावित दो प्रतिशत मंडी शुल्क लागू नहीं किया जायेगा. लेकिन सरकार यदि व्यापारियों की मांग पर विचार नहीं करती है तो राज्य में खाद्यान्न के आवक को पूरी तरह से बाधित किया जाएगा.

विनोद गुप्तागलत तरीके से लागू किया गया है यह विधेयक 

धनबाद के कृषि बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विनोद गुप्ता ने कहा है कि हेमंत सरकार का बिल पास कराने का तरीका सरासर गलत है. उन्होंने विधानसभा सत्र के अंतिम अंतिम दिन गुपचुप तरीके से इस बिल को पास कराया है. यह सरकार की मनमानी और नाकामी को दर्शाता है. सरकार अगर समय रहते इस बिल को वापस नहीं लेती है तो इसका परिणाम प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलेगा. सरकार को इस बिल पर फिर से विचार करना चाहिए. अगर लोग इसका विरोध कर रहे हैं तो सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.

राज्य सरकार की नीति स्पष्ट नहीं, विरोध जायज : अनिल मिश्रा

भाजपा नेता अनिल मिश्रा कहते हैं कि कृषि बिल विधेयक पर राज्य सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है. व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं, जो जायज है. आखिरकार व्यवसायियों पर कर का कितना बोझ लादा जाएगा. व्यापारी वर्ग पर ही बाजार निर्भर है. कर बढ़ने से आम जनता पर बोझ बढ़ेगा. इसलिए सरकार को इस बिल पर फिर से विचार करना चाहिए. उसे व्यापारियों के साथ भी बिल को लेकर चर्चा करनी चाहिए.ताकि जो भी भ्रम है वह दूर हो सके.

विशाल भदानीबिल से परेशानी बढ़ेगी, निरस्त हो 

कोडरमा निवासी विशाल भदानी का कहना है कि जब दो परसेंट टैक्स लगाने के बाद खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ जाएंगे., तो आम जनता के समक्ष परेशानी उत्पन्न होगी. जबकि छोटे व्यापारी अपने पड़ोसी राज्य से खरीदारी करेंगे. जिससे उनका टैक्स बढ़ जाएगा. इस तरह से कालाबाजारी की आवक होगी और कालाबाजारी के कारण महंगाई भी बढ़ेगी.सरकार को यह बिल तुरंत निरस्त करना चाहिए. बिल को लेकर व्यापारियों में काफी आक्रोश है. इस ओर भी सरकार को ध्यान देने की जरुरत है. व्यापारियों के आंदोलन से बाजार प्रभावित होगा. सरकार को चाहिए कि इस मुद्दे पर व्यापारियों से बात करें और इस बिल के सभी पहलुओं पर विचार विमर्श करें.

विकास कंधवेन मानी सरकार तो भुगतना पड़ेगा अंजाम 

धनबाद के कृषि बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव विकास कंधवे ने कहा है कि अब हम अकेले नहीं हैं राज्य भर के खाद्यान्न व्यवसायियों के साथ तमाम संगठन एक हो चुके हैं. समय अब भी है, सरकार इस काले कानून को निरस्त करें, नहीं तो 15 फरवरी के बाद राज्य भर में आंदोलन विकराल रूप धारण करेगा. राज्य भर में खाद्यान्न आवक बंद कर व्यवसायी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. इसलिए आंदोलन को देखते हुए सरकार को व्यापारियों से बात कर इस समस्या का हल निकालना चाहिए.

कृषि विधेयक गलत नहीं, यह किसानों के हित में : नीलकंठ महतो

झामुमो के जिला सचिव नीलकंठ महतो ने कहा कि कृषि बिल विधेयक कहीं से गलत नहीं है. यह बिल किसानों के हित के लिए है. कोविड काल में किसानों ने ही भोजन उपलब्ध कराकर लोगों की जान बचाई. एक तरह से किसान सुरक्षा कवच हैं. अभी किसानों को उपज का लागत मूल्य तक नसीब नहीं है. विधेयक आने से किसान खुशहाल रहेंगे. किसान खुश रहेंगे, तो आम अवाम खुश रहेगी. इसलिए राज्यहित में व्यपारियों के इस बिल का समर्थन करना चाहिए. किसानों के साथ साथ इस बिल से राज्य का भी विकास होगा.

मुन्ना भदानीयह बिल अदूरदर्शिता को दर्शाता है

कोडरमा की मुन्ना भदानी का कहना है कि यह सरकार की अदूरदर्शिता को दर्शाता है. सीधी सी बात है कि मंडी टैक्स से अनाज की कीमतों में वृद्धि होगी, जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा. मंडी टैक्स व्यापारी अपने घर से तो देगा नहीं, वह खाद्यान्न पर 2 प्रतिशत का टैक्स लोगों से ही वसूल करेगा. वहीं सीमावर्ती राज्यों में मंडी टैक्स नहीं होने के कारण खाद्यान्न वहां सस्ता होगा, तो राज्य में सीमावर्ती राज्यों से खाद्यान्न की आवक बढ़ेगी. इससे राज्य में खाद्यान्न व्यापार घटेगा, तो सरकार को जीएसटी से प्राप्त होने वाले राजस्व में कमी आएगी. वहीं व्यापारियों के सामने संकट उत्पन्न होगा. वैसे भी ऑनलाइन बिजनेस एवं जियो रिलायंस फ्रेश जैसी कंपनियों के कारण खाद्यान्न व्यापार 50 प्रतिशत तक प्रभावित हो चुका है..

रंजीत साव15 के बाद आम जनता भी उतरेगी सड़कों पर 

धनबाद के कृषि बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य रंजीत साव ने कहा है कि 15 फरवरी तक अगर सरकार इस बिल को निरस्त नहीं करती है तो 15 फरवरी के बाद महंगाई अचानक बढ़ेगी. क्योंकि हमारा आवक तब तक बंद हो चुका होगा. व्यवसायी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. महंगाई से त्रस्त जनता भी सरकार के खिलाफ सड़कों पर नजर आएगी. सरकार के पास अभी समय है. आमजनों और व्यवसायियों के हित में फैसला लेते हुए बिल को निरस्त करें. सरकार को पहल करते हुए व्यापारियों से बात करनी चाहिए.

संदीप हिसारियामहंगाई बढ़ेगी, धंधों पर भी असर पड़ेगा 

कोडरमा से संदीप हिसारिया ने बताया कि सरकार को हर हालत में यह विधेयक वापस लेना होगा . इसे जहां महंगाई बढ़ेगी, वहीं अन्य उद्योग धंधों पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा. महंगाई बढ़ जाने से उसका असर अन्य उद्योगों पर भी पड़ता है. इस बिल से राज्य में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा और जनता पर कर का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. इसलिए सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है. कृषि बिल को लेकर इस समय व्यापारी आंदोलन कर रहे हैं.सरकार को चाहिए कि व्यापारियों से इस बिल को लेकर विस्तृत चर्चा करें और समाधान का प्रयास करें. इस बिल के प्रभाव में आने से चीजें महंगी हो जाएगी. जिससे आम लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. इसलिये सरकार को इस दिशा में शीघ्र पलह करनी चाहिए.

जितेंद्र अग्रवालसरकार जनता का खून चूसने में लगी है

धनबाद के कृषि बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य जितेंद्र अग्रवाल ने कहा है कि हेमंत सरकार इस बिल के माध्यम से व्यवसायी और आम जनता का खून चूसने का काम कर रही है. बिल का सीधा असर व्यवसायियों के साथ आम जनता की जेब पर पड़ने वाला है. बिल के लागू होने से झारखंड में महंगाई आग की तरह बढ़ेगी, जिससे आम जनता के घर का बजट भी डगमग हो जाएगा. पुनर्विचार कर इस विधेयक को निरस्त करना चाहिए. सरकार व्यापारियों से बात करें और इसका समाधन निकाले.

संजय शर्मासरकार महंगाई को बढ़ावा दे रही है

कोडरमा के संजय शर्मा का कहना है कि झारखंड में महंगाई के बोझ का आलम यह है कि एक व्यक्ति खाना खाने के लिए सोचता हैं. ऐसे में 2% टैक्स लगाकर महंगाई को बढ़ावा देने का काम सरकार कर रही है . इस दो पर्सेंट से जहां महंगाई अत्यधिक बढ़ जाएगी . वहीं इसका असर छोटे और बड़े सभी तरह के व्यवसायियों पर पड़ेगा . जबकि अन्य प्रकार के सामानों पर भी इसका असर पड़ेगा. सरकार को यह बिल वापस लेना ही पड़ेगा.इस बिल को लेकर व्यापारी वर्ग में काफी आक्रोश है. सरकार को चाहिए कि वह व्यापारियों से बात कर इसका समाधन निकाले. बिल को लेकर हो रहे आंदोलन से बाजार प्रभावित होगा और चीजें महंगी हो जाएगी.

सूर्यदेव यादवझारखंड से पलायन करेंगे व्यवसायी 

धनबाद के कृषि बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य सूर्यदेव यादव ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द अगर इस बिल को निरस्त नहीं करती है तो वह दिन दूर नहीं जब झारखंड के तमाम खाद्यान्न व्यवसायी एक साथ अपने पड़ोसी राज्य को कूच करेंगे. सरकार को व्यवसायियों द्वारा मिलने वाले 5% जीएसटी से भी हाथ धो कर कीमत चुकानी पड़ेगी. हेमंत सरकार की इस नीति से परेशान व्यवसायी अब अपने पड़ोसी राज्य में कूच करने का मन बना रहे हैं.

झारखंड में त्राहिमाम पैदा कर सकता है यह बिल: बिनोद गुप्ता

धनबाद। कृषि बिल से नाराज खाद्यान्न व्यवसायियों ने शनिवार को कृषि बाजार प्रांगण के मुख्य द्वार पर झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला दहन किया और हाय हाय के नारे लगाए. पिछले दिनों विधानसभा सत्र में राज्य सरकार द्वारा बिल पास कराए जाने के बाद से ही राज्य भर के खाद्यान्न व्यवसायियों में नाराजगी है. व्यवसायी पिछले 4 फरवरी से ही बिल का विरोध कर रहे हैं. पुतला दहन के बाद मौके पर मौजूद बाजार समिति चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विनोद गुप्ता ने कहा कि हेमंत सरकार ने इस बिल को गलत ढंग से जबरन पास कराया है. सरकार अधिक मुनाफा को लेकर व्यवसायियों पर तरह-तरह के नए कानून और नियम बनाकर गर्दन दबाने का काम कर रही है. यह बिल पूरे झारखंड में त्राहिमाम पैदा कर सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास अब भी 3 दिनों का समय है. इन 3 दिनों में एक बार पुनर्विचार कर बिल को निरस्त करने का काम करें नहीं तो 15 फरवरी के बाद झारखंड की दशा कुछ और देखने को मिलेगी जिसकी जिम्मेदार झारखंड सरकार होगी.