कोर्ट ने शर्तों के साथ रथयात्रा की इजाजत दी. मंदिर प्रबंधन समिति, राज्य सरकार और केंद्र सरकार आपस में तालमेल कर रथयात्रा का आयोजन करवाएंगे. कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का पालन करते हुए ऐसा किया जाएगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि पुरी में कोरोना के केसों की संख्या में बढ़ोतरी हो तो राज्य सरकार के पास रथ यात्रा रोकने की आजादी होगी. इससे पहले कॉलरा और प्लेग के दौरान भी रथ यात्रा सीमित नियमों और श्रद्धालुओं के बीच हुई थी. चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट केवल पुरी में यात्रा के बारे में विचार कर रहा है और ओडिशा में कहीं अन्य जगह पर नहीं.
हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि 12 दिनों की यात्रा के दौरान 10 लाख श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है. कोरोना को देखते हुए ये घातक हो सकता है क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में होने वाले आवागमन को ट्रैक करना मुश्किल होगा. 18-19 सदी में यात्रा के दौरान कॉलरा जैसी बीमारी फैली थी.
इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि शंकराचार्य , पुरी के गजपति और जगन्नाथ मंदिर समिति से सलाह कर यात्रा की इजाजत दी जा सकती है. केंद्र सरकार भी यही चाहती है कि कम से कम आवश्यक लोगों के ज़रिए यात्रा की रस्म निभाई जा सकती है.
मंदिर में 2.5 हजार पंडे हैं. सबको शामिल न होने दिया जाए
CJI- हम माइक्रो मैनेजमेंट नहीं करेंगे. स्वास्थ्य गाइलाइन के मुताबिक सरकार कदम उठाए. हम (यात्रा कैसे हो इस पर) कोई विस्तृत आदेश नहीं देंगे.
ओडिशा सरकार के वकील ने कहा कि हम मंदिर कमेटी और केंद्र के साथ समन्वय स्थापित कर यात्रा आयोजित करवाएंगे. श्रद्धालुओं की एक संस्था के वकील ने कहा कि यात्रा का सीधा प्रसारण हो तो हमें कोई समस्या नहीं है. इस तरह पूजा भी हो जाएगी और लोगों का स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहेगा.
दरअसल रथयात्रा पर रोक का आदेश 18 जून को चीफ जस्टिस की तीन जजों की बेंच ने दिया था. इस आदेश में संशोधन की मांग को लेकर दर्जन भर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया.
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