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Kanpur Dehat : पहले भी फरियाद लेकर गया था परिवार, SDM-लेखपाल की नीयत में था खोट! जानिए इनसाइड स्टोरी

कानपुर देहात: जिस जमीन के टुकड़े को खाली कराने में मां बेटी की जान चली गई। अब उसी परिवार को अधिकारी जमीन आवंटन के लिए पात्र मान रहे हैं। इससे मैथा एसडीएम व लेखपाल कठघरे में खड़े हो गए हैं। अफसरों की पड़ताल में ये साफ हो गया है कि दोनों ने ये जमीन खाली कराने को लेकर विशेष रूचि दिखाई है। इसके पीछे वजह क्या रही ये जांच का विषय है। अफसरों में इस कार्रवाई को लेकर कड़ी नाराजगी है। कमिश्रर ने कहा कि है ये परिवार पात्र है इसे पांच बीघा जमीन आवंटित कराई जाएगी। अब सवाल ये है आखिर ये पात्रता स्थानीय अफसरों को पहले क्यों नहीं दिखी।

कानपुर कमिश्रर राजशेखर के बयान के बाद एक बात साफ हो गई है कि मैथा एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद व मड़ौली के लेखपाल अशोक चौहान ने कब्जा हटाने की कार्रवाई में पूरी तरह से मनमानी की। अगर वह निष्पक्ष ढंग से कार्रवाई करते तो ये घटना बचाई जा सकती थी। दोनों आरोपियों की भूमिका व नियति में खोट दिख रहा है। जिस परिवार के पास गांव के अंदर आबादी में मवेशी बांधने की जगह नहीं थी वो मवेशी पालने के लिए गांव के बाहर कई दशक से झोपड़ी रखकर पशुपालन कर रहे थे। अब कई साल से परिवार यहीं रहने लगा था।

सवालों के घेरे में एसडीएम!
इसके बावजूद इस जमीन को खाली कराने के लिए एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद ने एक महीने में दो बार चढ़ाई की। 14 जनवरी को दलबल के साथ जाकर वहां खंभें गिरवा दिए थे। इसके बाद अब सोमवार को फिर बुल्डोजर लेकर पहुंचे और बिना कोई मौका दिए झोपड़ी व खंभे गिरवाने लगे। वहां लगा हैंडपंप तोड़ दिया। ये देख मां बेटी झोपड़ी के अंदर पहुंची। दोनों की जलकर मौत हो गई। अब जिला प्रशासन के लोगों को ये परिवार जमीन आंवटन के लिए पात्र नजर आने लगा। कमिश्रर राजशेखर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि परिवार बेहद गरीब है। इसे जमीन आवंटित कराने के साथ आवास भी दिया जाएगा।

डीएम से फरियाद करने पहुंचा था परिवार, दर्ज हो गया था बलवा
मैथा तहसील के मड़ौली गांव में 14 जनवरी को इसी जमीन को खाली कराने एसडीएम पुलिस बल के साथ पहुंचे थे। तभी झोपड़ी के आसपास का काफी हिस्सा क्षतिग्रस्त करके वहां रहने वाले कृष्णगोपाल दीक्षित को जमीन खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया था। इस पर कृष्णगोपाल, पत्नी, बेटे, बेटी व बकरियों को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंच गए थे। कलेक्ट्रेट परिसर में धरना पर बैठ गए थे। उन्होंने डीएम से समस्या बता जमीन न खाली कराने की गुहार लगाई थी।

मृतका के बेटे शिवम ने बताया कि तब डीएम ने उनकी बात नहीं सुनी। बल्कि शाम होते ही एडीएम प्रशासन समेत पुलिस बल को भेजकर वहां से भगा दिया था। साथ ही कृष्णगोपाल व उनके परिवार पर अकबरपुर कोतवाली में तहसीलदार अकबरपुर रणविजय सिंह की तहरीर पर बलवा व धारा 144 के उल्लंघन की रिपोर्ट दर्ज करा दी गई थी। पीडि़त परिवार इससे परेशान हो गया था।

सांसद ने भीड़ के बीच एसडीएम को कहा था बेईमान
मैथा तहसील के सरैंया गांव के व्यापारी बलवंत की पुलिस कस्टडी में पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद पीडि़त परिवार को जमीन आवंटन के निर्देश दिए गए थे। इसमें एसडीएम ने मनमानी की थी। संवेदनशील मामले में जमीन आवंटन में की जा रही मनमानी से नाराज अकबरपुर सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने डीएम व अन्य अफसरों के सामने भीड़ के बीच एसडीएम को बेईमान कहा था। साथ ही कहा था कि बिना पैसे लिए कोई काम नहीं करता है। तब मैथा एसडीएम को वहां से हटाने की बात कही गई थी लेकिन मामला शांत होते ही फिर बात खत्म हो गई। इसके बावजूद एसडीम की मनमानी खत्म नहीं हुई। उन्होंने पिछली घटना से कोई सबक भी नहीं लिया।

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इनपुट-गौरव राठौर

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