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एक गांव के 70 लोग तिब्बत बॉर्डर पर, लोगों ने लगाए शांति मंत्र के झंडेनवादा: पुल बनना तो दूर 77 साल में नाव तक नहीं चली; सरगुजा

बिहार में नवादा जिले के गोसाई बिगहा गांव में बारिश आते ही जिंदगी जुगाड़ पर ‘तैरने’ लगती है। दरअसल, यहां से सकरी नदी गुजरती है, जो 60 हजार ग्रामीणों के जीवन का मुख्य हिस्सा है। लोगों को क्षेत्र के मुख्यालय गोविंदपुर जाने के लिए नदी पार करनी होती है। सिर्फ इंसान ही नहीं, दिनचर्या की सामग्री, दो पहिया वाहनों और मवेशियों को ले जाने के लिए भी जुगाड़ से बनाई गई नाव का सहारा लेना पड़ता है। यहां के बुजुर्ग बताते हैं- साल बदलते हैं, लेकिन समस्या नहीं। जो समस्या बचपन में थी, वो 77 साल बाद भी है। न तो पुल बने और न ही नाव चली। 

मैनपाट के 70 जवान भारत-तिब्बत बाॅर्डर पर तैनात

यह छत्तीसगढ़ में सरगुजा जिले का मैनपाट गांव। चीन द्वारा पैदा किए गए तनाव के बाद से यहां घरों में ऐसे झंडे लहरा रहे हैं, जिन पर लिखा है- ‘हमारे जवान सुरक्षित रहें, बाॅर्डर में तनाव खत्म हो और युद्ध के हालात बनते हैं तो भारत की जीत हो।’ ऐसा इसलिए- क्योंकि यहां के 70 जवान भारत-तिब्बत बॉर्डर पर तैनात हैं। चीन ने 1962 में जब तिब्बत पर कब्जा किया था, तो तिब्बतियों को भारत में शरण मिली थी। इस गांव में पूर्वी तिब्बत के 3 हजार लोगों को शरण मिली। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा यहां दो बार आ चुके हैं। यहां तिब्बती कैंप और बौद्ध मंदिर भी हैं। 

रस्सी बांधकर लोगों और पशुओं को किया रेस्क्यू

फोटो ऐतिहासिक बंदरगाह मांडवी की है। यहां रविवार और सोमवार को 48 घंटे में 15 इंच बारिश होने से अतिवृष्टि जैसे हालात बन गए। पहली बारिश में नदी, तालाब सब लबालब हो गए। शहर के रुक्मावती में बाढ़ आ गई। निचले इलाके रामेश्वर में पानी भरने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। रस्सी बांधकर लोगों और पशुओं को रेस्क्यू किया गया। 

कयाघाट के नजदीक एनीकट पर बहाव तेज फिर भी आ-जा रहे हैं लोग

फोटो छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की है। शहर में सोमवार को जमकर बारिश हुई। सुबह से ही बादल छाए रहे। दिन भर बादल रुक-रुककर और रात 8 बजे के बाद झमाझम बारिश शुरू हुई। ऐसे में कयाघाट के नजदीक एनीकट पर बहाव तेज होने के बाद भी लोग आ-जा रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटे हल्की बारिश का अनुमान है।

टनल की खूबसूरती में चार चांद लगाती हरियाली

फोटो राजस्थान के बूंदी की है। पहाड़ों को काटकर निकली टनल यूं तो आम दिनों में भी खूबसूरत लगती है, पर जब बारिश में पहाड़ हरियाली से लद जाते हैं तो टनल की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। बहुत जल्द बूंदी में भी मानसून आने वाला है। लगता है पहले ही बूंदी की धरती ने मानसून के वेलकम के लिए ग्रीन कारपेट बिछा दिया हो। महीनेभर से रुक-रुककर हो रही बारिश ने इस बार बूंदी को तपने ही नहीं दिया तो हरियाली भी बाग-बाग हो उठी। 

चौमासी बौछारों में बस दो दिन की ही दूरी

फोटो राजस्थान के जयपुर की है। आसमान में सोमवार शाम बादल घुमड़ आए। ये बता रहे हैं कि अब गर्मी की विदाई का वक्त आ गया है। मानसून राजस्थान से 48 घंटे और जयपुर से अधिकतम 72 घंटे की दूरी पर है। माैसम विभाग के अनुसार 2013 के बाद पहली बार मानसून तय तारीख को आएगा। जयपुर में मानसून एंट्री की 29 जून तक होती है, जबकि इस बार गुरुवार तक आने की संभावना बन रही है।