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Noida के डूब क्षेत्र में अवैध जमीन की रजिस्ट्री कैसे हो रही है? गुनाहगार कौन, उठ रहे बड़े सवाल

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Noida News in Hindi: नोएडा के डूब क्षेत्र की जमीन पर निर्माण कार्य न किए जाने का बोर्ड लगा है। अथॉरिटी की ओर से इस प्रकार की दावेदारी लगातार की जा रही है। इन दावों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर इलाके में निर्माण अवैध है तो फिर जमीन की रजिस्ट्री किस आधार पर की गई।

 

नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा के डूब क्षेत्र में जमीन की खरीद-बिक्री हुई। घर बना लिए गए। लोग रहने लगे। फिर नोएडा अथॉरिटी की ओर से निर्माणों को अवैध ठहराया गया। डूब क्षेत्र में हुए निर्माणों को ढाहने के आदेश हुए। पिछले सालों में कई बार अभियान चले। लेकिन, कानपुर देहात की घटना ने विवाद को एक अलग ही रूप दिया है। जिस प्रकार से कानपुर देहात के गांव में अवैध निर्माण को ढाहने गई प्रशासन की टीम के सामने झोपड़ी में आग से मां और बेटी की जलकर मौत हो गई। राजनीति अब तक चल रही हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि इस प्रकार की नौबत आने तक इंतजार क्यों किया जा रहा है? आखिर अतिक्रमण होने के समय में ही क्यों नहीं रोक लगाई जाती है? इसका कारण प्रशासन की गलत नीति है। नोएडा के डूब क्षेत्र में होने वाले निर्माण ही इसका कारण हैं।

नोएडा के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण के सबसे अधिक मामले हैं। नोएडा में सस्ते दाम में जमीन दिलाने का दावा किया जाता है। किसानों से जमीन लेकर बिचौलिए लाखों में गरीबों को बेच देते हैं। गरीब अपना घर बना लेते हैं। इसके बाद पहुंचता है बुलडोजर और गरीबों का सपना टूट कर पल भर में बिखड़ जाता है। बिसरख थाना क्षेत्र के डूब इलाकों में हर रोज घर तोड़े जाने की कार्रवाई चलती है।

लोग करते हैं सवाल
नोएडा के डूब क्षेत्र में मकान तोड़ने की प्रशासनिक धमकी से परेशान एक परिवार का कहना है कि हमें क्या पता, जमीन वैध है या अवैध? अगर अवैध है तो फिर इसकी रजिस्ट्री किस आधार पर की गई? रजिस्ट्री कराने को लेकर मैंने 63 हजार रुपए का स्टांप शुल्क चुकाया है। सरकार जब पैसे ले रही थी, तभी बताया जाना चाहिए था कि यह अवैध जमीन है। यहां निर्माण नहीं कराया जा सकता है। एक अन्य व्यक्ति का कहना है, जमीन की खरीद के समय में कोई कुछ नहीं बताता। घर बना रहे हैं तो रोकने प्रशासन की टीम आती है। रात में छुपकर निर्माण करना पड़ता है।जमीन पर लगा है बोर्ड
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के एसीईओ दीपचंद का कहना है कि पूरे डूब क्षेत्र में बोर्ड लगा हुआ है। वहां निर्माण कराए जाने पर रोक लगाई गई है। बोर्ड पर भी लिखा कि जमीन पर निर्माण करना अवैध है। अथॉरिटी की ओर से कार्रवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के तहत ही की जाती है। हालांकि, अवैध जमीन की रजिस्ट्री कैसे हो रही है? इस सवाल का जवाब अधिकारियों के पास नहीं है। ऐसे में कानपुर देहात की घटना डराती है। बुलडोजर एक्शन पर भी कई प्रकार की चर्चा हो रही है।
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