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कोर्ट ने सफूरा जरगर से कहा- ऐसा कोई काम मत करना जिससे जांच पर असर पड़े

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली हिंसा मामले की आरोपी और जामिया की छात्रा सफूरा जरगर (27) को जमानत दे दी।पुलिस ने मानवीय आधार पर उसकी जमानत याचिका का विरोध नहीं किया। सफूरा पर फरवरी में दिल्ली में नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के दौरान दंगे भड़काने की साजिश में शामिल होने का आरोप है। पुलिस ने आतंक विरोधी कानून के तहत उसे 10 अप्रैल गिरफ्तार किया था। वह गर्भवती है और पांच महीने से तिहाड़ जेल में बंद थी।
कोर्ट ने सफूरा को 10 हजार रूपए के मुचलके पर जमानत दी। कोर्ट ने उससे कहा कि वह कोई ऐसा काम नहीं करे जिससे जांच पर असर पड़े। सफूरा बिना इजाजत दिल्ली से बाहर नहीं जा सकेगी। इसके साथ ही उसे 15 दिन में एक बार जांच करने वाले अफसर से फोन पर संपर्क भी करना होगा।

सफूरा को दो बार गिरफ्तार किया गया था

सफूरा को अप्रैल में दो बार गिरफ्तार किया गया था। पहली बार उसे जमानत मिल गई थी। हालांकि बाद में उसे गैर कानून गतिविधि रोकथाम (यूपीए) कानून के तहत दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया था। उसकी गिरफ्तारी की छात्रों और एक्टिविस्ट्स ने आलोचना की थी। जेल भेज जाने के बाद उसके गर्भवती होने की बात सामने आई थी।

कोर्ट ने 25 जून तक बढ़ाई थी सफूरा की हिरासत
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में पुलिस का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि सफूरा को मानवीय आधार पर रिहा किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में अभी कोई फैसला नहीं सुनाया गया है। उसे जमानत मिलने का कोई दूसरा मायने नहीं निकाला जाना चाहिए। कोर्ट ने 26 मई को सफूरा जरगर की न्यायिक हिरासत 25 जून तक बढ़ा दी थी।  इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि उसे मानवीय आधार पर जमानत दी गई थी।

सोमवार को पुलिस ने जमानत का विरोध किया था
सोमवार को भी हाईकोर्ट में सफूरा की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने उसकी जमानत का विरोध किया था। पुलिस ने कोर्ट से कहा था कि गर्भवती होने की वजह से सफूरा जमानत की हकदार नहीं होती। उसके पर गंभीर आरोप हैं और पुलिस के पास इसके सबूत हैं। उसे जेल में जरूरी मेडिकल सुविधाएं दी जा रही हैं। बीते दस साल में जेल में 30 गर्भवती महिला कैदियों के बच्चे हुए हैं।