माना जाता है कि जगन्नाथ यात्रा से 15 दिन पहले तक भगवान बीमार होते हैं। यात्रा के दिन उन्हें भोग लगाया जाता है। मंगलवार को सब कुछ हुआ, मगर शहर में रथ यात्रा नहीं निकली। करीब 500 सालों से शहर में इस आयोजन की परंपरा रही है। कोरोना संकट को देखते हुए इसे टालना पड़ा। दूधाधारी मठ के महंत डॉ. रामसुंदर दास बताते हैं कि 500 साल पहले टूरी हटरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से शहर की पहली रथयात्रा निकाली गई थी, तब से हर साल यहां से रथयात्रा निकली जाती रही है।
पुरानी बस्ती के टूरी हटरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में मंगलवार को पूजा के बाद रथ पर भगवान जगन्नाथ को लाया गया। आसपास के लोगों ने दर्शन भी किए। रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर से भी पिछले 18 सालों से रथयात्रा निकाली जा रही है। हर साल राज्यपाल, मुख्यमंत्री और बड़े जनप्रतिनिधि यहां प्रथम सेवक के रूप में भगवान के लिए सोने के झाड़ू से छेरा पहरा की रस्म निभाते थे। मंदिर समिति के अध्यक्ष पुरंदर मिश्रा ने बताया कि इस बार रथयात्रा निकालने की तैयारी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। मंगलवार को आम दिनों की तरह मंदिर में भगवान की पूजा की गई। भक्तों के लिए मंदिर 1 जुलाई से खोला जाएगा।
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