संदीप तिवारी, लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बीते 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या कर दी गई थी। इसमें संदीप निषाद आरक्षी भी शहीद हो गए थे। वहीं एक और सुरक्षाकर्मी राघवेंद्र सिंह भी घायल हो गए थे। जिनका इलाज लखनऊ स्थित SGPGI अस्पताल में इलाज चल रहा था। लेकिन बुधवार शाम करीब 6 बजे संदीप ने भी दम तोड़ दिया। सिपाही की मौत की खबर मिलते ही लखनऊ पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर भी अस्पताल पहुंचे हैं। बता दें कि राघवेंद्र को बीते रविवार को प्रयागराज से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर राजधानी में भर्ती कराया गया था।
ग्रीन काॅरिडोर बनाकर लाया गया था लखनऊ
मूल रूप से लालगंज के कोरिहर गांव निवासी राघवेंद्र के पिता रामसुमेर सिंह पुलिस विभाग में सिपाही थे। बीमारी की वजह से उनका देहांत हो गया था। इसके बाद राघवेंद्र को मृतक आश्रित के रूप में नौकरी मिली थी। घायल सिपाही राघवेंद्र सिंह को प्रयागराज से लखनऊ ले जाया गया था। इस दौरान प्रतापगढ़ से लेकर लखनऊ जिले की सीमा तक करीब 80 किमी. का ग्रीन काॅरिडोर बनाकर सिपाही को लखनऊ के एसजीपीआई ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया गया था।
राजू हत्याकांड का मुख्य गवाह था उमेश पाल
18 वर्ष पहले 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई थी। उस हत्या का मुख्य गवाह उमेश पाल था। उसकी सुरक्षा के लिए दो गनर तैनात किए गए थे लेकिन सुरक्षा में हुई चूक की वजह से उमेश पाल की घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी गई। इतनी बड़ी घटना में पुलिस और एलआईयू समेत अन्य एजेंसियों से चूक हुई इसके बाद भी किसी प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं की गई।
डीजीपी ने कहा-अतीक के मददगारों ने दिया घटना को अंजाम
वहीं डीजीपी डीएस चौहान ने दावा किया कि उमेश पाल और गनर की हत्या का खुलासा जल्द होगा। एसटीएफ और प्रयागराज कमिश्नरेट के अधिकारी सुबूतों को एकत्र करने का काम कर रहे हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अतीक के स्थानीय मददगारों ने घटना को अंजाम दिया है। डीजीपी ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि इस केस को जल्द ही अंतिम अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।
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