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बाल कहानी संग्रह टीनू का पुस्तकाल पर चर्चा गोष्ठी

बाल साहित्य में विज्ञान की गल्प कथाएं भी लिखी जानी चाहिए, यह बात मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने बाल कहानी संग्रह टीनू का पुस्तकालय पर बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र में आयोजित चर्चा गोष्ठी में कही। मुख्य अतिथि कुंकुम गुप्ता ने कहा कि बच्चों को बाल कहानियां पढऩे के लिए प्रेरित किया जाना आवश्यक है। विशेष अतिथि सुमन ओबेराय ने कहा कि बाल कहानियां बच्चोुं के आज के मनोविज्ञान के अनुसार लिखी जानी चाहिए। वहीं अन्य विशेष अतिथि इंदिरा त्रिवेदी का कहना था कि बाल कहानिया सरल, सरस और बच्चों की जिज्ञासा के अनुसार होनी चाहिए। इस अवसर पर समीक्षक अनिल अग्रवाल ने कहा कि इस संग्रह की कहानियंा बच्चों के पास अभिभावकों के पढऩे के योग्य हैं। विनीत राहुरिकर ने कहा कि बचपन कहानियां के बिना अधूरा होता है। इस कहानी संग्रह की कहानियों में विपक्षी की विविधता और वात्सल्य भावना है। इस मौके पर अन्य बाल साहित्यकारों ने भी संग्रह पर विचार व्यक्त किए।