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एमपी का नाम और यूपी के दस्तावेज से बने फर्जी आयुष्मान कार्ड,

आयुष्मान निरामय योजना में फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने का मामला सामने आया है। इस गड़बड़ी को अंजाम दिया है, आयुष्मान विभाग के द्वारा हायर की गई थर्ड पार्टी एजेंसी विउाल के एक कर्मचारी ने। इस मामले में सबसे रोचक बात यह है कि फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाए जाने का मामला करीब दो साल पहले सामने आया था, लेकिन इस मामले में पहली एफआईआर दर्ज की गई। इसमें भ बड़ी चौंकाने वालली बात यह है कि विडाल कंपनी के जिस संदिग्ध कर्मचारी की आईडी से फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाए गए, उसे शासन ने नौ महीने पहले नौकरी से निकाल दिया गया, लेकिन उसकी आईडी बंद नहीं की गई। जिसका फायदा उठाकर वह अपने घर या दूसरे किसी पोर्टल पर मदद से लोगों के फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाता रहा। इस मामले में एफआइआर कराने वाले मप्र आयुष्मान निरामय योजना के लीगल मैनेजर डॉ. आदश्र शुक्ला ने बताया कि फर्जी या बोगस आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए गए हैं। डॉ. शुल्का के अनुसार थर्ड पार्टी एजेंसी के कर्मचारी द्वारा ऐसे लोगों का डाटा इक_ा किया जाता था, जो आयुष्मान कार्ड बनवाना चाहते हैं, लेकिन नियमों के चलते वह आरोग्य है। ऐसे लोग से संपर्क कर किया जाता। फिर उनके नाम जैसे व्यक्ति के दस्तावेजों को उत्तर प्रदेश या राजस्थान के किसी योग्य व्यकित से मैच करा दिया जाता और पोर्टल पर अपलोड कर अप्रूवल ले लिया जाता। इस रास्ते के माध्यम से लगभग २१८६ फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाए गए। गरीब लोगों को निजी अस्पताल में मुफ्त इलाज के लिए बनाई गई इस योजना को कुछ शातिर लोगों ने मिलकर जमकर पलीता लगाया गया है। इस योजना में एमपी का नाम और यूपी के दस्तवेजों से बने फर्जी आयुष्मान कार्ड से लगभग १.८४ करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है।

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