सुबह सात बजे स्कूल लगता है, तो आपका बच्चा भी नींद की कमी के कारण चिड़चिड़ापन का शिकार हो सकता है। उसे बात-बात पर गुससा हो सकता है। उसे इस बात पर गुस्सा भी आ सकता है। स्कूलों में पढ़ाई कर रहे किशारों के स्वभाव में नींद की कमी चिड़चिड़ापन का कारण बनती जा रही है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। यह बात अखिल भारततीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के शोध में सामने आई है। चिकित्सकों ने सुबह जल्दी और देर से स्कूल लगने वाले बच्चों के स्वभाव पर शोध किया है। फिजियोथैलाजी विभाग के डॉ. श्रची सिंह ने बताया कि सुबह सात बजे जो बच्चे स्कूल जाते हैं, उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन मिला है, जबकि देर से स्कूल जाने वाले बच्चे लगभग पूरी तरह से सामान्य थे। चिकित्सकों का मानना है कि देरी से स्कूल जाने वाले बच्चों की नींद पूरी हो जाती है, इसलिए वे सामान्य रहते हैं। चिड़चिड़ापन एक उत्त्तेजना की भावना होती है। जब आप चिड़चिड़े होते हैं, तो आप आसानी से निराश हो जाते हैं या आसानी से परेशान हो जाते हैं। तनावपूर्ण स्थितियों में आप चिड़चिड़ाहट का अनुभव कर सकते हैं।
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