आंद्रे डोलगोव या STS-50. हां यही नाम था उसका. कभी-कभी इसे सी ब्रीज़-1 नाम से भी पुकारा जाता था. ये वो जहाज़ था जो महासागरों को लूटता था.
आंद्रे डोलगोव जहाज़ एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क का हिस्सा था, जो बहुत संगठित तरीक़े से काम करता था. ये जहाज़ क़रीब 10 साल तक महासागरों से दुर्लभ मछलियां पकड़कर उनकी तस्करी करता रहा. इसे पकड़ने की कई कोशिशें नाकाम रहीं. क्योंकि ये जहाज़ हर बार चकमा देने में सफल हो जाता था.
लेकिन एक दिन लुटेरों का ये दल इंडोनेशिया की टास्क फ़ोर्स के हत्थे चढ़ गया. इस ज़ंग लगे, पुराने जहाज़ को देखकर कोई भी ये नहीं कह सकता था कि ये दुनिया का मोस्ट वॉन्टेड जहाज़ था.
जिस वक़्त इंडोनेशियाई नौसेना के अधिकारी आंद्रे डोलोगोव पर चढ़े तो वहां मछली पकड़ने वाले विशाल जालों का ढेर पड़ा था. ये इतने विशाल जाल थे कि इन्हें 29 किलोमीटर तक फैलाया जा सकता था.
इन्हीं की मदद से ये जहाज़, एक बार में साठ लाख डॉलर की मछलियां पकड़ लेता था. फिर या तो इनकी कालाबाज़ारी होती थी. या फिर, इन्हें वैध तरीक़े से पकड़ी गई मछलियों के साथ मिलाकर बेचा जाता था.
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