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उपचुनाव में वोट देने के बाद अंगुली होगी सैनिटाइज, बढ़ाएंगे पोलिंग बूथ

कोरोना के संक्रमण काल में उपचुनाव कराना बड़ी चुनौती जैसा होगा। मतदाता की अंगुली सैनिटाइज होगी तभी वोट के लिए बटन पर पहुंच सकेगी। पोलिंग बूथों को बढ़ाया जाएगा, जिससे मतदाता की संख्या को बांटा जा सके और सुरक्षित शारीरिक दूरी का नियम का पालन भी कराया जा सके। कोरोना संक्रमण के रोकथाम मानकों के साथ ही ग्वालियर में तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर ग्वालियर जिले में पोलिंग बूथों की जांच और स्थिति को जानने के लिए जांच कराई जा रही है। पोलिंग बूथों को बढ़ाने के लिए सहायक पोलिंग बूथ का विकल्प चुना जाएगा।

ज्ञात रहे कि प्रदेश में उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों की नियुक्ति और वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की प्रक्रिया भी चल रही है। स्थिति कोरोना की है इसलिए पोलिंग बूथों की स्थिति को सामने लाना सबसे अहम काम है। इसी कारण निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव होने वाले विधानसभा क्षेत्रों के जिलों को जांच कराने के लिए निर्देश दिए हैं। ग्वालियर जिले में ग्वालियर विधानसभा,पूर्व विधानसभा और डबरा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। मतदान केंद्रों का होमवर्क आयोग को भेजा गया है, जिसपर आगामी निर्देश मिलने का इंतजार है।

उपचुनाव इस बार कोरोना के समय में है इसलिए तीन सबसे बड़े कोरोना को रोकने के फैक्टर ही उपचुनाव में लागू रहेंगे। इसमें वोटर के हाथ-अंगुली को सैनिटाइज करना,चेहरे पर मास्क और मतदाताओं के बीच शारीरिक दूरी का पालन जरूरी होंगे। इसके अलावा चुनाव के कार्य में लगा अमला भी सख्ती से मापदंडों का पालन करेगा।

सरकारी ढांचे बनेंगे सहायक पोलिंग बूथ

एक पोलिंग बूथ पर करीब 1200 से 1400 तक की सामान्यतः पोलिंग रहती है, जिन्हें सहायक पोलिंग बूथों की मदद से कम किया जाएगा। आमतौर पर सरकारी-निजी स्कूल, धर्मशाला, सामुदायिक भवन के साथ लोकल बॉडी की इमारतों को पोलिंग बूथ बनाया जाता है। वहीं इसके अलावा भी सरकारी ढांचों की कमी नहीं है। क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र से लेकर वार्ड ऑफिस तक काफी संभावनाएं है, जहां सहायक मतदान केंद्र आसानी से बनाए जा सकते हैं।