Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

कोतवाली थाना क्षेत्र में 3 माह में दो दर्जन से अधि

एफआईआर दर्ज कर फाइल बंद कर देती है पुलिस, ट्रेसलेस बता कोर्ट में भेज देती है फाइनल रिपोर्ट
चोरी के वाहन ग्रामीण इलाकों में बेच दिया करता है गिरोह

Vinit Upadhyay

Ranchi : राजधानी रांची के कोतवाली थाना क्षेत्र में दुपहिया वाहनों की लगातार चोरी हो रही है. लेकिन पुलिस को किसी भी मामले में सफलता नहीं मिल रही है. पुलिस एफआईआर दर्ज कर मामले को फाइल में दबा कर रख देती है. दुपहिया वाहन चोरों के खिलाफ कभी सख्त अभियान नहीं चलाती, जिससे चोरों का मनोबल बढ़ा हुआ है. कभी कभार जांच अभियान चलाती भी है, तो सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही. कोतवाली थाना क्षेत्र में शहर के सबसे व्यस्त और भीड़भाड़वाले इलाके आते हैं. भीड़ भरे इलाके से हर दो-तीन दिन में चोर गिरोह के सदस्य एक-दो बाइक चुरा ले भागते हैं. सीसीटीवी कैमरे लगे लगे होने और बाइक चोरों की तस्वीरें उसमें नजर आने के बावजूद पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाती है या उन्हें ढूंढ़ने के लिए अभियान नहीं चला पाती है. तीन महीने में वाहन चोर गिरोह ने कोतवाली थाना क्षेत्र से दो दर्जन से भी अधिक बाइक-स्कूटी तो चोरी की ही है, ऑटो व चारपहिया वाहन पर भी हाथ साफ किया है. चोरों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ है कि एक ही दिन में अलग-अलग इलाकों में तीन-तीन गाड़ियां चुरा कर भाग निकल रहे हैं. (पढ़ें, निलंबित IAS पूजा सिंघल की डिस्चार्ज याचिका पर सुनवाई पूरी, ED कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा)

पहले रेकी करते हैं, फिर गिरोह के दूसरे सदस्य को देते हैं सूचना

वाहन चोर गिरोह के सदस्य बहुत ही शातिर हैं. गिरोह के सदस्य पूरी प्लानिंग के तहत वाहन टपाते हैं. किसी बाजार, मार्केट कांप्लेक्स, बैंक या दफ्तर के बाहर बाइक-स्कूटी खड़ी कर काम से अंदर जानेवाले वाहन मालिक के पीछे चोर गिरोह का एक सदस्य लगा रहता है. वह वाहन मालिक की रेकी करता है, जबकि गिरोह के दूसरे वाहन के आसपास ही मंडराते रहते हैं. वाहन के लॉक खोलने से लेकर अन्य तरकीब पर मंथन करता रहता है. उधर वाहन मालिक जब किसी दुकान या ऑफिस में जाता है, तो गिरोह का सदस्य उस पर नजर रखता है. पता लगा लेता है कि संबंधित वाहन मालिक को दुकान, बैंक या मार्केट या ऑफिस में कितना समय लगेगा. फिर वहीं से गिरोह के दूसरे सदस्यों को सिग्नल दे देता है और गिरोह का सदस्य वाहन का लॉक तोड़ या खोल कर वाहन टपा कर भाग निकलता है.

इसे भी पढ़ें : राहुल पर ओबीसी का अपमान करने का बेतुका आरोप लगाकर हमारी समझ का अपमान कर रही है भाजपा : कपिल सिब्बल

सीसीटीवी फुटेज देने पर भी पुलिस नहीं करती कार्रवाई

बाइक-स्कूटी चोरी होने के बाद भुक्तभोगी सीसीटीवी फुटेज के साथ एफआईआर दर्ज कराने पहुंचते हैं. फुटेज में वाहन चुरानेवाले की तस्वीर साफ-साफ नजर आती है. पुलिस सीसीटीवी फुटेज तो रख लेती है, लेकिन उसके आधार पर चोर की शिनाख्त करने या उसे तलाश करने की दिशा में कोई पहल नहीं करती.

आसपास के ग्रामीण इलाकों में खपाये जाते हैं चोरी के वाहन

वाहन चुराने के बाद अपराधी पहले उसे शहर के ही किसी अस्थायी ठिकाने पर छुपा देते हैं. फिर नंबर प्लेट बदल कर ग्रामीण इलाकों में पहुंचा देते हैं. ग्रामीण क्षेत्र के भोलेभाले ग्रामीणों को सस्ती कीमत पर बाइक बेचे देते हैं, लेकिन वाहन से संबंधित कोई कागजात नहीं देते. सादे कागज पर ही वाहन बिक्री का लेटर तैयार कर रेवेन्यू स्टांप पर दस्तखत कर बेच देते हैं.

वाहनों की कटिंग कर पार्ट-पुर्जे भी बेचता है गिरोह

शहर से चुराये गये वाहन यदि ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं बिकते हैं, तो चोर गिरोह के सदस्य गैराज में वाहनों की कटिंग करा कर पार्ट-पुर्जा अलग-अलग कर ऑटो पार्टस दुकानों को बेच दिया करते हैं. इससे भी उन्हें अच्छी खासी कमाई हो जाती है. वैसे चोर गिरोह का प्रयास रहता है कि फर्जी कागजात के आधार पर ही वाहनों को ग्रामीण इलाकों में खपा दिया जाये, क्योंकि इससे उन्हें एकमुश्त मोटी कमाई होती है.

इसे भी पढ़ें : पलामू : TSPC के टॉप कमांडर रंजय सहित पांच नक्सली गिरफ्तार

तीन महीने में कब-कब चोरी हुईं गाड़ियां
9 जनवरी को कोतवाली थाना क्षेत्र से 4 गाड़ियों की चोरी हुई, जिसमें एक बाइक और तीन स्कूटी थी. 12 जनवरी, 16 जनवरी, 18 जनवरी, 23 जनवरी और 28 जनवरी को भी कोतवाली थाना क्षेत्र से दो पहिया वाहनों की चोरी की एफआईआर दर्ज कराई गयी.
9 फरवरी को चोरों ने अलग-अलग इलाकों से तीन गाड़ियां चोरी की, जिसकी प्राथमिकी दर्ज हुई. 14 फरवरी, 15 फरवरी, 17 फरवरी, 20 फरवरी, 25 फरवरी और 27 फरवरी को भी कोतवाली थाना में दो पहिया वाहनों की चोरी के की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी.
10 मार्च को भी चोरों ने 3 गाड़ियों पर हाथ साफ कर लिया. 10 मार्च के बाद भी कई गाड़ियों की चोरी हुई है.