देश नियम, कानून और संविधान से चलता है। जहां संसद इसमें समय-समय पर एक स्थापित प्रक्रिया के तहत संशोधन और बदलाव करती रहती है, वहीं इसे लागू करने की जिम्मेदारी कार्यपालिका और न्यापालिका पर है। लेकिन कांग्रेस नेहरू-गांधी परिवार को इन तीनों संवैधानिक संस्थाओं से ऊपर समझती है। कांग्रेस चाहती है कि न्यापालिका, कार्यपालिका और संसद फैसला करने से पहले नियम, कानून और संविधान का पालन नहीं कर गांधी परिवार के रूतबे और प्रभाव को ध्यान में रखें।
इसलिए कांग्रेस को गांधी पारिवार के खिलाफ कोई भी फैसला उनके शान के खिलाफ लगता है। मोदी सरनेम मामले में भी ऐसा ही हुआ है। राहुल गांधी को सजा सुनाने में सूरत कोर्ट ने कानून का पालन किया। कानून के तहत ही राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हुई और उन्हें सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया। इसमें मोदी सरकार की कोई भूमिका नहीं है, फिर भी कांग्रेस नेता काले कपड़े पहनकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस के नेता काले कपड़े पहनकर कानून और कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं ?
दरअसल लोकसभा में कांग्रेस का जो रूप देखने मिला, वो काफ ी हैरान करने वाला था। कांग्रेस के सांसदों ने सदन को युद्ध का मैदान बना दिया और सदन की गरिमा को तार-तार करने की पूरी कोशिश की। भारी हंगामा के बीच कांग्रेस के कुछ सांसदों ने कागज फाड़कर आसन की ओर फेंके। यहां तक कि सदन की मर्यादा का हनन करते हुए आसन के सामने काला कपड़ा रखने का प्रयास किया।
कांग्रेस सांसदों का रौद्र रूप देखकर लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के एक मिनट के अंदर ही 2 बजे के लिए स्थगित कर दी गई। इसी तरह का नजारा राज्यसभा में भी देखने को मिला। सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब दस मिनट बाद ही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही फिर हंगामा शुरू हो गया। एक मिनट से भी कम समय में कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
काले कपड़े पहने कुछ विपक्षी सदस्यों ने सदन के वेल में विरोध किया। इस दौरान कांग्रेस के सांसद टी एन प्रतापन ने एक काला दुपट्टा संसद में उछाल दिया। कांग्रेस सांसदों के हंगामे की वजह से आज प्रश्नकाल फिर नहीं हो पाया।
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