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जलस्तर नीचे जाने के कारण डीप बोरिंग भी फेल

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गर्मी की वजह से जमीन तेजी से सूख रही है
जमकर बारिश नहीं हुई तो बढ़ेंगी मुश्किलें

Ranchi: अप्रैल का महीना खत्म हो चुका है. गर्मी की वजह से जमीन तेजी से सूख रही है.जलस्तर नीचे जाने के कारण अब डीप बोरिंग भी फेल होने लगी है. नदी, तालाबों का हाल तो पहले ही बुरा हो चुका है. हालांकि राज्य के आसमान में बादल घुमड़ रहे हैं, पर वैसी वर्षा नहीं हो रही है कि सूखे कुंओं और नदियों में पानी भर सके. पानी की कमी के कारण खेतों की जमीन सूखकर फटने लगी है. लोग आसमान ताक रहे हैं कि कब वर्षा होगी और जल समस्या से राहत मिलेगी. सरकारी स्तर पर जितने भी चापानल गाड़े गए हैं, उनमें से ज्यादातर खराब हैं, तो कइयों से जलस्तर नीचे चल जाने के कारण पानी नहीं निकल रहा है. जलमीनार की बहुत सारी योजनाएं पूरी नहीं हो पाई हैं, जिसके कारण पानी की कमी महसूस की जा रही है. शुभम संदेश की टीम ने विभिन्न जिलों से जल समस्या से जुड़ी जानकारी हासिल की है. पेश है रिपोर्ट.

चक्रधरपुर : बुरुनलिता गांव के ग्रामीण गड्ढे और चुआं का पानी पीने को मजबूर

चक्रधरपुर प्रखंड मुख्यालय से लगभग 28 किलोमीटर दूर नलिता पंचायत के बुरुनलिता गांव के ग्रामीण गड्ढे और चुआं का पानी पीने को मजबूर हैं. गांव के हेसाडीह टोला में दो चापकाल हैं, लेकिन उनसे  गंदा पानी निकलता है. दोनों चापाकल भी टोला से दूर हैं. इसके कारण ग्रामीण पहाड़ों के बीच छोटे से चुआं से पीने का पानी निकालते हैं. टोले की आबादी करीब 250 की है. पीने का साफ पानी नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों में नाराजगी है. ग्रामीणों के अनुसार क्षेत्र में डीप बोरिंग करने की आवश्यकता है, ताकि सही तरीके से पानी मिल सके. पंचायत की मुखिया आंति सामड और पंचायत समिति सदस्य ने बताया कि पूर्व में 180 फीट बोरिंग कराई गई थी, लेकिन पानी नहीं निकल पाया. अगर डीप बोरिंग कराकर नल जल योजना के तहत घर-घर पानी की आपूर्ति की जाएगी तो समस्या से निजात मिलेगी.

पानी के लिए तय करनी पड़ती है लंबी दूरी: प्रियो

बुरुनलिता गांव की प्रियो देवी ने कहा कि हमें पीने का पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. गांव में लगे चापाकल खराब पड़े हैं. इसके कारण मजबूरी में चुआं से पानी निकालना पड़ता है. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के अधिकतर ग्रामीण चुआं का ही पानी पीते हैं. अधिकारी इस ओर जरूर ध्यान दें.

चुआं से निकलता है गंदा पानी : सावित्री

बुरुनलिता गांव की महिला सावित्री डांगिल ने कहा कि भीषण गर्मी में चुआं का पानी भी सूख जाता है. इससे ग्रामीणों को पानी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. चुआं व क्षेत्र का तालाब सूखने के कारण ग्रामीणों को पानी के लिए लंबी दूरी तय कर दूसरे टोला जाना पड़ता है.

वर्षों पुरानी है क्षेत्र में पानी की समस्या : गुरुचरण

गांव के गुरुचरण डांगिल ने कहा कि क्षेत्र में पानी की समस्या वर्षों पुरानी है, लेकिन इसका समाधान नहीं हो पा रहा है. इसे लेकर कई बार विभाग के अधिकारियों को जानकारी दी गई है, लेकिन अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. गर्मी आ चुकी है, पानी की समस्या का समाधान किया जाना चाहिए.

सोलर जल मीनार और चापाकल खराब : मानकी

हेसाडीह टोला के मानकी डांगिल ने बताया कि क्षेत्र में कई सोलर जल मीनार व चापाकल खराब पड़े हुए हैं. इन खराब चापाकलों की मरम्मत नहीं किए जाने के कारण गर्मी में ग्रामीणों को पानी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. क्षेत्र के नदी तालाब इत्यादि सूखने के कगार पर हैं.

हजारीबाग :  खीरगांव पांडेयटोला में दो चापाकल के भरोसे है 108 परिवार

हजारीबाग शहर में पांडेयटोला में पानी की बड़ी परेशानी है. यहां दो चापाकलों के भरोसे 108 परिवार हैं. कभी इस मुहल्ले में नौ चापाकल हुआ करते थे. धीरे-धीरे सात चापाकल खराब हो गए. यहां सरकारी बोरिंग भी थी, जिससे दूसरे मुहल्ले के लोग अपनी टंकी भरते हैं. पानी के कारण इस मुहल्ले के लोग उन्हें मना भी नहीं करते हैं. लेकिन खुद परेशानी उठा रहे हैं. अधिकारियों से की गई बार-बार शिकायत भी काम नहीं आ रही है.

एक बार का पानी 3-3 दिन चला रहे : देवनाथ

खीरगांव पांडेय टोला निवासी देवनाथ पांडे कहते हैं कि एक बार का भरा पानी तीन-तीन दिन चला रहे हैं. सरकार ने बोरिंग करवा कर नल जल योजना चालू कराई थी. लेकिन इस बोरिंग से दूसरे मोहल्ले के लोग अपने घर में लगे टंकी को भरने में जुटे रहते हैं.

सुबह से शाम तक पानी की जुगाड़ में रहते हैं: योगेंद्र

योगेंद्र पांडेय कहते हैं कि सुबह से शाम पानी की जुगाड़ में वक्त गुजर जाता है. फिर भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है. गर्मी में मुश्किल हालत में जीवन गुजार रहे हैं. कई बार पानी लेने में फसाद भी हो जाता है.

कई लोग मोटर से पानी खींच लेते हैं : मोहन गोप

मोहन गोप ने बताया कि पूर्व विदेश सह वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के सौजन्य से पांडेयटोला में पानी का एक टंकी बनवाया गया था. कुछ लोग उसी में अपने-अपने घर का मोटर लगाकर घर की टंकी में पानी चढ़ा लेते हैं. अन्य लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है.

जनप्रतिनिधियों को पहल करनी चाहिए: विजय राम

विजय राम कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों को पहल करने की जरूरत है. मुहल्लेवासी की प्यास नहीं बुझ रही है, लेकिन इन परेशानियों से जनप्रतिनिधि को कोई फिक्र ही नहीं है. कहने को चापाकल, पर एक बूंद पानी नहीं निकलता है.

न पीने, न नहाने के लिए मिल रहा पानी: सालिक

सालिक पांडेय कहते हैं कि आसपास के जलस्रोत भी सूख चुके हैं. ऐसे में उन लोगों को पानी के लिए दिक्कत हो रही है. अगर कोई बाहर से आते हैं, तो समस्या और भी बढ़ जाती है. न पीने के लिए और न नहाने की कोई व्यवस्था कर पा रहे हैं.

चिराग तले अंधेरा : वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से महज 200 मीटर दूर है 150 घरों की कॉलोनी

टैंकर के भरोसे डॉक्टर्स कॉलोनी के लोग

 टैंकर व जार का पानी खरीद रहे लोग

मैथन के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से महज 200 मीटर के फासले पर स्थित वीआईपी इलाका ‘डॉक्टर्स कॉलोनी’ वनमेढ़ा में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. जबकि इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पूरे निरसा विधानसभा क्षेत्र में जलापूर्ति की जाती है. यानी चिराग तले अंधेरा. करीब 150 घरों की कॉलोनी के लोग पानी के लिए कुआं पर निर्भर हैं. यहां प्रायः सभी घरों में कुंए हैं, लेकिन गर्मी शुरू होते ही जलस्तर नीचे जाने के कारण कुंए सूखने लगते हैं. इस साल तो मार्च के अंत तक कॉलोनी के सभी कुएं सूख गए. तब से लोग पानी के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं. ड्राई एरिया होने के कारण यहां चापाकल सक्सेस नहीं है. कुछ लोगों ने डीप बोरिंग तो कराई थी, लेकिन पर्याप्त पानी नहीं निकलने से वह भी बेकार साबित हुई. भीषण पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों को 600 से 700 रुपए खर्च कर टैंकर से अपने कुएं में पानी डलवाना पड़ रहा है. हर चार-पांच दिन पर कुएं में पानी डलवाने का सिलसिला जारी है. इसके साथ ही पीने के लिए अलग से 30-35 रुपये प्रति जार खरीदना पड़ रहा है. जो लोग टैंकर और जार का पानी खरीदने में सक्षम नहीं हैं, वे पीएचईडी कैंपस और डीवीसी कॉलोनी से पानी लाकर काम चला रहे हैं. कॉलोनी के लोगों ने बताया कि पेयजल संकट दूर करने के लिए सांसद, विधायक, पूर्व विधायक, मुखिया सहित संबंधित अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई. सभी ने आश्वासन दिया कि जल्द ही पाइपलाइन से पेयजलापूर्ति शुरू होगी, लेकिन आजतक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. इस संबंध में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं.

धरातल पर उतरने से पहले  ही मेगा  ग्रामीण जलापूर्ति योजना समाप्त हुई

विभागीय सूत्रों ने बताया कि कॉलोनी में मेगा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत जलापूर्ति करनी थी. इसके लिए वर्ष 2018 में टहल कंसल्टेंट कंपनी को टेंडर भी मिल गया था. कंपनी को वर्ष 2020 तक का काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी ने बीच में ही काम दिया. सरकार ने 2022 में कंपनी को ब्लैकलिस्टेड कर दिया, जिसके कारण पेयजलापूर्ति योजना धरातल पर उतरने से पहले ही समाप्त हो गई.

पीएचईडी के अधिकारियों संग बैठक कर 10 दिन में हैंडओवर करने का दिया आदेश

जलापूर्ति व्यवस्था जिंदल को सौंपने का निर्णय

आदित्यपुर में जल संकट को दूर करने के लिए नगर निगम ने संपूर्ण आदित्यपुर का जलापूर्ति व्यवस्था जिंदल को सौंपने का  निर्णय लिया है. पीएचईडी के अधिकारियों संग शनिवार की देर शाम बैठक कर उन्हें 10 दिन में जलापूर्ति व्यवस्था को जिंदल पावर को हैंडओवर करने का दिया आदेश दिया है. इसकी जानकारी देते हुए अपर नगर आयुक्त गिरिजा शंकर प्रसाद ने बताया कि आदित्यपुर में जल संकट को देखते हुए पुरानी जलापूर्ति योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए पीएचईडी आदित्यपुर के साथ एक बैठक की गई है, जिसमें कार्यपालक अभियंता जेसन होरो के साथ मैकेनिकल व सिविल अभियंता और लाइन मैन को जलापूर्ति व्यवस्था जिंदल पावर को सौंपने को कहा गया है.

जिंदल ने अपर नगर आयुक्त को किया आश्वस्त

उन्होंने बताया कि आदित्यपुर में वृहद जलापूर्ति योजना का काम कर रही जिंदल पावर को अब आदित्यपुर दो के साथ आदित्यपुर एक की  जलापूर्ति के लिए कहा गया है, जिसे वह 10 दिन के अंदर हैंड ओवर ले लेगी.  इसके लिए सरकार की ऐजेंसी जुडको से समन्वय स्थापित करने का निर्देश उन्होंने पीएचईडी के अभियंताओं को दिया है. वहीं जिंदल पावर के प्रतिनिधि भी अब संपूर्ण आदित्यपुर का जलापूर्ति व्यवस्था संभालने को तैयार हैं. जिंदल पावर ने 10 दिन के अंदर संपूर्ण आदित्यपुर का जलापूर्ति संभालने और उसका संचालन का हैंड ओवर लेने पर सहमति दे दी है. जिंदल के प्रतिनिधि ने अपर नगर आयुक्त को आश्वस्त किया कि वह  क्षमता के साथ आम नागरिकों को समान रूप से जलापूर्ति देने का कार्य करेंगे.

आम जन की  शिकायतों का समाधान त्वरित गति से करने का दिया निर्देश

अपर नगर आयुक्त ने बताया कि उन्होंने पीएचईडी के कनीय अभियंता पूरन चंद को निगम के जलापूर्ति शाखा से समन्वय स्थापित कर जलापूर्ति एवं आम जनों के शिकायतों का समाधान त्वरित करने का निर्देश दिया है. अपर नगर आयुक्त ने निगम क्षेत्र में जल के स्तर  में कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए सभी अपार्टमेंट व निजी मकानों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग स्थापित करने की अपील की है.

एक वर्ष की कार्यावधि बीती सोलर जलमीनार नहीं बनी

बसंतराय प्रखंड क्षेत्र के राहा पंचायत में निर्माणाधीन सोलर जलमीनार एक वर्ष की कार्य अवधि बीत जाने के बाद भी अधूरा पड़ा है. बीते वर्ष जनवरी 2022 में जिला पार्षद मो. एहतेशामुल हक की उपस्थिति में इस जलमीनार के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. शिलान्यास के दूसरे दिन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन बोरिंग गड़ाया जा रहा था. ठेकेदार ने निर्धारित गहराई तक बोरिंग गाड़ी जाने की बात कही थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. ग्रामीणों के विरोध करने पर किसी तरह 150 फीट बोरिंग किया गया. इसके बाद बीच में ही काम अधूरा छोड़कर ठेकेदार चल गया. प्रखंड प्रमुख अंजर अहमद एवं स्थानीय जिला पार्षद के बार-बार आग्रह किए जाने के बाद कनीय अभियंता ने चापाकल तो लगवा दिया, लेकिन दूसरे ही दिन चापाकल पानी देना बंद कर दिया. अब तक न चापाकल ठीक कराया गया है और न ही सोलर जलमीनार का काम पूरा किया गया है. स्थानीय मुखिया सुशीला देवी ने संबंधित विभाग के कनीय अभियंता से भीषण गर्मी को देखते हुए सोलर जलमीनार निर्माण कार्य पूरा कराने की मांग की है. उनका कहना है कि जलमीनार निर्माण कार्य पूरा नहीं होने और चापाकल खराब रहने के कारण लोग पानी के लिए परेशान हैं.

वार्ड नं. 18 के चैनगड्ढा-अलकडीहा तुरी टोला में पानी के लिए लाइन

रामगढ़ नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 18 चैनगड्ढा अलकडीहा तुरी टोला में पानी की घोर किल्लत है. यहां के लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. इस टोले में लगभग 50 घर है. सभी एकमात्र चापाकल पर निर्भर है. चापाकल से सिर्फ 10 मिनट ही पानी निकलता है. उसके बाद पानी निकलना बंद हो जाता है. 10 मिनट निकलने वाले पानी को लेकर दर्जनभर ग्रामीण सुबह से ही पानी लेने के लिए खड़े रहते है. 10 मिनट तक पानी मिला तो मिला नहीं तो ग्रामीण 1 किलोमीटर दूर से दामोदर नदी से पानी लाते हैं. जिनके घरों में कुएं हैं, वे भी गर्मी के दिनों में सूख जाते हैं.

गर्मी में पेयजल का इंतजाम बड़ी चुनौती : सावित्री

हरहरगुटू काली मंदिर के समीप रहने वाली सावित्री देवी ने बताया कि गर्मी के मौसम में पेयजल का इंतजाम करना एक बड़ी चुनौती है. घर का प्रत्येक सदस्य पानी के इंतजाम में जुटा रहता है. उनके पति ठेकेदारी में काम करते हैं. जब वे घर में रहते हैं तो पानी की व्यवस्था करते हैं. उनके ड्यूटी चले जाने और बच्चों के स्कूल चले जाने के बाद वह पानी के इंतजाम में जुट जाती हैं. प्रतिदिन दोपहर में घाघीडीह जेल रोड स्थित टंकी से पानी लाना पड़ता है. यह उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है.

माथे पर ढोकर दूर से लाना पड़ता है पानी : दुपली पूर्ति

घाघीडीह बस्ती की रहने वाली दुपली पूर्ति ने बताया कि गर्मी के सीजन में पानी की काफी किल्लत हो जाती है. दूसरे मुहल्ले से पानी लाना पड़ता है. तब घर में चौका-बर्तन एवं अन्य जरूरी काम निपटा पाती हैं. उन्होंने कहा कि चौका -बर्तन की शुरूआत पानी से शुरू होती है. सुबह उठकर पहले पानी का इंतजाम करना पड़ता है. दो किलोमीटर दूर से माथे पर ढोकर पानी लाना पड़ता है. घाघीडीह जेल रोड स्थित पानी टंकी पर सुबह से ही काफी भीड़ रहती है. घाघीडीह में ही दूसरी  बोरिंग कराने की मांग की.

तालाब का पानी करते हैं इस्तेमाल : सुनीता हेम्ब्रम

हरहरगुटू बड़ा तालाब के समीप रहने वाली सुनीता हेम्ब्रम ने बताया कि पीने का पानी उन्हें काफी दूर से लाना पड़ता है. घाघीडीह जेल चौक पर पानी भरने के लिए काफी लंबी कतार रहती है. इसके कारण वहां काफी इंतजार करना पड़ता है. नहाने-धोने के लिए बड़ा तालाब का पानी इस्तेमाल करती हैं. तालाब का धीरे-धीरे अतिक्रमण किया जा रहा है. उन्होंने जिला प्रशासन से तालाब की सफाई कराने तथा क्षेत्र में व्याप्त पेयजल संकट को दूर करने की दिशा में कदम उठाने की मांग की.

बुढ़ापे में पानी ढोने को मजबूर : रेखा बानरा

घाघीडीह टीआरएफ कॉलोनी से सटी बस्ती की रहने वाली रेखा बानरा ने बताया कि उसके पति का निधन हो गया है. बेटा और  बहू ड्यूटी चले जाते हैं. इसके कारण पानी का इंतजाम उन्हें खुद करना पड़ता है. डेगची में अपने सामर्थ्य के अनुसार पानी लाना पड़ता है. उसने बताया कि जब तक शरीर चल रहा है तब तक पानी ढो रहे हैं. हालांकि ड्यूटी से आने के बाद बेटा थोड़ा-बहुत पानी लाता है, जबकि बहू घर का चौका-बर्तन करती है. उसने बताया कि यहां पानी की तकलीफ सभी लोगों को है.

देवघर : डीप बोरिंग बन रहा है पानी की किल्लत का सबब

नगर निगम से पानी की नियमित सप्लाई नहीं होने से पेयजल की समस्या बराबर बनी रहती है. चापाकल में लाल पानी निकलने से वह पीने योग्य नहीं है. कई जगहों पर अवैध रूप से डीप बोरिंग होने के से पानी का स्तर नीचे जा रहा है. यही वजह है कि कुआं सूख गया है और चापाकल से पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है.  स्थानीय लोगों को पानी के लिए खुद ही इंतजाम करना पड़ता है.  पानी खरीदकर गुजारा कर रहे हैं स्थानीय लोग. गर्मी में परेशानी और बढ़ गई है.

पिछले पांच सालों से यही स्थिति बनी हुई है : प्रदीप वार्ड नंबर 11 मोहल्ला कल्याणपुर के रहने वाले प्रदीप कुमार वर्मा की मानें तो पानी की समस्या हमारे मोहल्ले में पिछले 5 साल से यूं ही बनी हुई है. 200 घर पर एक चापाकल है. सभी की निर्भरता इसी चापाकल पर है. कभी-कभी खराब हो जाने पर हम लोग निजी स्तर से उसकी मरम्मत कराते हैं.

निगम सिर्फ तीन दिन ही पानी देता है: मदन रावत

वार्ड नंबर 19 के निवासी मदन रावत की मानें तो नगर निगम की तरफ से सप्ताह में 3 दिन पानी आता है. इसके बाद मोहल्ले में चापाकल से ही सभी लोग पीने का पानी लेते हैं. कई बार चापाकल खराब होने से हमलोग नगर निगम को सूचना देते हैं. उसके बाद भी निगम कोई एक्शन नहीं लेता है.

चापाकल का पानी भी पीने के लायक नहीं है : शंभू शर्मा

वार्ड नंबर 12 के शंभू शर्मा की ने कहा कि हमलोग पीने का पानी बाहर से लाते हैं. चापाकल का पानी में लाल रंग का आता है, जो पीने लायक नहीं है. पानी खरीद कर पीते हैं. दिनभर में लगभग 5 डब्बे पानी की खपत होती है. देवघर के कई इलाकों में पताल बोरिंग भी कराया गया है, जो पानी की समस्या का मुख्य कारण है.

चाकुलिया : सेरकाडीह टोला में एक चापाकल के भरोसे 15 परिवार

चाकुलिया नगर पंचायत में कई ऐसे गांव और टोले हैं, जहां के निवासियों को स्वच्छ पेयजल भी नसीब नहीं है. भीषण गर्मी में लोग पेयजल के लिए परेशानी झेल रहे हैं. वार्ड नंबर 12 के दिघी गांव के सेरकाडीह टोला में 15 आदिवासी और कालिंदी परिवार को नगर पंचायत के जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों की उदासीनता के कारण स्वच्छ पेयजल भी नसीब नहीं है. एकमात्र चापाकल से ही ग्रामीण पेयजल लेते हैं और उसी के पानी से नहाते भी हैं. टोला में पाइपलाइन तो बिछाई गई है  और घर – घर में पेयजल का कनेक्शन दिया गया है, परंतु आज तक जलापूर्ति शुरू नहीं हुई. यहां के ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी में भीषण पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है. टोला के भागवत कालिंदी, जसवंत कालिंदी, कलावती कालिंदी और  दुर्गी कालिंदी ने बताया कि पेयजल के लिए हम परेशान हैं. एक पुराना कुआं है. इसकी मरम्मत के लिए कई बार गुहार लगाई गई, परंतु किसी ने पहल नहीं की. ग्रामीणों ने कहा कि जलापूर्ति के लिए एक साल पूर्व ही पाइप लाइन बिछाई गई है. लेकिन, यह सिर्फ दर्शन के लिए है. आज तक जलापूर्ति नहीं हुई. चापाकल खराब हो जाने से अपने पैसे से बनवाना पड़ता है.

धनबाद :  निरसा के पांड्रा बाउरी टोला में पेयजल की समस्या

आबादी-300, 1 चापाकल, 1 मिनी जलमीनार, वह भी खराब, कैसे बुझे प्यास

निरसा प्रखंड के पांड्रा पूरब पंचायत अंतर्गत बाउरी टोला के लोग पेयजल समस्या से जूझने को मजबूर हैं. बाउरी टोले की आबादी लगभग 300 है. टोले के लोग मात्र एक चापाकल एवं एक मिनी जलमीनार पर निर्भर हैं. लगभग 6 माह से चापाकल एवं मिनी जल मीनार भी खराब पड़ा है. लोगों को टोले से आधा किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है.  ग्रामीणों का कहना है कि मुखिया समेत प्रखंड के बाबुओं से गुहार लगायी, परंतु सिर्फ आश्वासन ही मिला. बीडीओ की पहल पर एमपीएल द्वारा टैंकर से जलापूर्ति शुरू कराई गयी है, जो पर्याप्त नहीं है. प्रशासनिक अधिकारी जल्द से जल्द चापाकल एवं मिनी जल मीनार मरम्मत कराकर चालू करा दें तो पानी की समस्या से काफी हद तक मुक्ति मिल जाएगी.

महिलाओं को करनी पड़ती है जद्दोजहद: अजीत

गांव के अजीत बाउरी कहते हैं पानी की समस्या कोई नई बात नहीं है. जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक समस्या से अवगत हैं. परंतु सभी अंजान बने हुए हैं. पानी के लिए पुरुष से लेकर महिलाओं को दिन भर जद्दोजहद करनी पड़ती है.

सिर्फ आश्वासन से ही संतोष कर रहे हैं लोग : राजू

उसी टोले के राजू शेख का कहना है कि चुनाव के समय सभी पार्टी के नेता पानी की समस्या को दूर करने की बात करते हैं.  पानी के लिए जनप्रतिनिधियों के साथ प्रशासनकि अधिकारियों का दरवाजा खटखटा चुके हैं. सभी ने सिर्फ आश्वासन का घूंट पिलाया.

चापाकल-जलमीनार छह माह से पड़े हैं बेकार: राजू रवानी

राजू रवानी ने कहा कि गर्मी के दिनों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है. पानी के लिए एक चापाकल और एक मिनी जलमीनार हैं, जो पिछले छह माह से बेकार पड़े हुए हैं. सभी का दरवाजा खटखटाया, परंतु किसी ने नहीं सुनी.

दो डैम रहते पेयजल के लिए लोग कर रहे त्रहिमाम : सोहराब

शेख सोहराब कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों के पास कोई नींति व सिद्धांत नहीं है. दो-दो डैम रहते पूरे निरसावासी पेयजल के लिए त्रहिमाम कर रहे हैं. पानी के लिए काम-धंधा छोड़कर गांव से करीब दो किलोमीटर प्रतिदिन चक्कर लगाना पड़ता है.