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ऐसे खराब हुई IAS की छवि, जमीन से जुड़े मामलों में सबसे ज्यादा खराब हुआ छवि का किरदार

Ranchi : रांची के बरियातू रोड स्थित सेना की जमीन की खरीद- बिक्री और चेशायर होम रोड की जमीन डील की जांच ईडी कर रही है. ईडी की अब तक की जांच में रांची में जमीन खरीद-बिक्री के धंधे में बड़ी जालसाजी का पर्दाफाश हुआ है. इस पूरे प्रकरण में आईएएस व रांची के पूर्व डीसी रहे छवि रंजन के कार्यकाल में जमीन से जुड़े मामलों में कई ऐसे कई कारनामों का खुलासा हुआ है, जो किन्ही न किन्हीं कारणों से विवादों में रहा है. छवि रंजन को राज्य सरकार ने जुलाई 2020 में रांची का उपायुक्त बनाया था. वे 10 जुलाई 2022 तक रांची डीसी के पद पर रहे. यानी पूरे दो साल जिले की कमान उनके हाथ में रही. इस दौरान प्रशासनिक कार्यों के अलावा राजस्व कार्यों की प्रमुख भूमिका में भी छवि रंजन ही रहे.

इन कार्यों में छवि रंजन की प्रमुख भूमिका
हेहल अंचल के बजरा मौजा के खाता नंबर 140 की भूमि की एकमुश्त रसीद काटने का आदेश
पुलिस बल की मौजूदगी में करीब आठ एकड़ भूमि पर बाउंड्री करा कर कब्जा दिलाया गया
ओरमांझी में वाटर पार्क के लिए सीएनटी एक्ट की अनदेखी कर आदिवासी खतियान की भूमि ट्रांसफर का आदेश
चेशायर होम रोड की भूमि की गलत ढंग से दस्तावेज तैयार कर उसकी खरीद- बिक्री करने वालों से करीबी
सेना के कब्जे वाली भूमि की खरीद बिक्री की जानकारी के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करना
रातू में वर्षों से प्रतिबंधित सूची में दर्ज गैरमजरुआ प्रकृति की भूमि को प्रतिबंधित सूची से मुक्त कराने का आदेश
4 एकड़ 55 डिसमिल भूखंड की खरीद- बिक्री का मामला भी काफी पेचीदा

सेना के कब्जे में शहर के बीचो-बीच स्थित 4 एकड़ 55 डिसमिल भूखंड की खरीद- बिक्री का मामला भी काफी पेचीदा है. क्योंकि इसकी बिक्री के वक्त तत्कालीन रजिस्ट्रार द्वारा डीड के पहले पन्ने पर जो नोटिंग की गई है, वह संभवत: किसी दूसरे दस्तावेज में नहीं हुई है. इस चर्चित भूमि की रजिस्ट्री 27 सितंबर 2021 को हुई थी. उस वक्त अवर निबंधक के पद पर घासीराम पिंगुआ थे. इस डीड पर उन्होंने एक नोट लिखा था – “उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी को संबोधित अंचल अधिकारी बड़गाईं के ज्ञापांक… (25/9/2021) के अलोक में निबंधन किया गया”, लेकिन इसके बावजूद छवि रंजन ने न तो कोई जांच की और न ही किसी तरह की कोई कार्रवाई ही की.

83 साल की लगान रसीद एक बार में ही काटने का आदेश दे दिया

बजरा मौजा की खाता 140 की लगभग 8 एकड़ भूमि के मामले में उपायुक्त रहते छवि रंजन ने 83 साल की लगान रसीद एक बार में ही काटने का आदेश दे दिया. इतना ही नहीं, वर्षों से जिन लोगों का भूमि पर कब्जा था, उन्हें हटाने और अपने करीबियों को दखल-कब्जा दिलाने के लिए पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति का आदेश भी छवि रंजन ने ही रांची डीसी रहते दिया था. इस मामले में जमशेदपुर के बिष्टुपुर के कांट्रैक्टर एरिया में श्याम सिंह भाटिया और जुगसलाई में रवि सिंह भाटिया के यहां ईडी का छापा पड़ चुका है. झारखंड हाईकोर्ट की डबल बेंच ने श्याम सिंह भाटिया की याचिका खारिज करते हुए खाता नंबर 140 की जमीन की जमाबंदी रद्द करने का आदेश दिया था.

आदिवासी भूमि का नियम विरुद्ध ट्रांसफर का आदेश दिया

ओरमांझी में वाटर पार्क के लिए आदिवासी भूमि का नियम विरुद्ध ट्रांसफर का आदेश भी छवि रंजन ने ही दिया था. वाटर पार्क का निर्माण 8 एकड़ जमीन पर हुआ है. इसके मालिक संजय कुमार चौधरी और नवीन कुमार हैं. संजय बिहार स्थित पटना के रहनेवाले हैं और नवीन मुंगेर के. जमीन आदिवासी रैयत की है. यानी सीएनटी एक्ट के प्रावधानों तहत ही इसकी खरीद-बिक्री हो सकती है. लेकिन वाटर पार्क के लिए रैयत को जमीन बेचने का आदेश रांची के डीसी छवि रंजन ने दिया है. इसके बाद से लगातार यह सवाल उठता रहा है कि क्या रांची डीसी ने वाटर पार्क की आदिवासी जमीन बिक्री करने का आदेश देकर सीएनटी एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन किया है.

चेशायर होम रोड की करीब एक एकड़ भूमि की खरीद- बिक्री का मामला सुर्खियों में

चेशायर होम रोड की करीब एक एकड़ भूमि की खरीद- बिक्री का मामला फिलहाल सबसे ज्यादा सुर्खियों में है. ईडी ने इस मामले में प्रदीप बागची, बड़गाईं अंचल के हल्का कर्मचारी भानु प्रताप, अफसर अली, इम्तियाज खान, तल्हा खान, फैयाज खान और मोहम्मद सद्दाम को गिरफ्तार भी किया है. जमीन के पेपर तैयार करने में एक्सपर्ट अफसर अली को छवि रंजन का करीबी बताया जाता है. कहा तो यह भी जाता है कि छवि रंजन की शह पर ही प्रदीप बागची और अफसर अली ने कोलकाता के दस्तावेज के आधार पर करोड़ों रुपये की जमीन बेच डाली है. हालांकि जिस भूमि की डील इस गैंग ने की है, वो सभी फिलहाल ईडी की जांच के दायरे में है.