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विवि और कॉलेजों में रिक्तियां भरी जाएं, बिहार की तर्ज पर हो आयोग का गठन

राज्यपाल की पहल का शिक्षाविदों ने किया स्वागत, सभी ने सराहना की

Ranchi : झारखंड के कॉलेजों में शिक्षकों की कमी से पढ़ाई बाधित होने, समय पर कोर्स पूरा नहीं होने की समस्सा झारखंड में आम है. 2008 में जेपीएससी के माध्यम से कुछ पदों को भरा गया था, लेकिन मामला विवादों में घिर गया. इसे लेकर अब सीबीआई जांच चल रही है. इसके बाद से अब तक राज्य में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली नहीं हुई है. राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब 4500 पद रिक्त हैं. झारखंड में बिहार की तर्ज पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन की मांग लंबे समय से चल रही है, ताकि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली की जा सके. बड़ी बात यह है कि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को महसूस किया है और वे चाहते हैं कि बिहार की तर्ज पर आयोग के माध्यम से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति हो. उन्होंने विश्वविद्यालय सेवा आयोग की स्थापना के लिए राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है. आयोग के गठन से शिक्षकों की नियुक्ति का मार्ग तो प्रशस्त होगा ही, कॉलेजों में पढ़ाई भी ढंग से होगी. शिक्षकों की प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नति सहित कई मामलों में सहूलियत मिलेगी. राज्य के शिक्षाविद् भी चाहते हैं कि इस दिशा में शीघ्र पहल शुरू हो, ताकि शिक्षकों की कमी दूर की जा सके और पढ़ाई प्रभावित न हो. उनका यह भी कहना है कि इससे राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण सुधार की पूरी संभावना होगी और जेपीएससी से वर्क लोड खत्म हो जाएगा. साथ ही विद्यार्थियों को इससे काफी फायदा होगा. शुभम संदेश की टीम ने आयोग के मुद्दे पर शिक्षकों से बातचीत की है. जानिए क्या कहते हैं राज्य के शिक्षक…

झारखंड के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में ​शिक्षकों की कमी से पढ़ाई होती है प्रभावित

विनोबाभावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के रास्ते प्रशस्त होंगे. शिक्षकों की नियुक्ति, परीक्षा, प्रोन्नति आदि के लंबित मामलों का निष्पादन होगा. सरकार के इस कदम से विश्वविद्यालय और कॉलेज के शिक्षकों का हित ही होगा.

जेपीएससी का बोझ कम होगा : डॉ पीसी देवघरिया

विभावि में समाज विज्ञान के डीन और अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ प्रकाश चंद्र देवघरिया ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन विवि शिक्षकों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. इससे जेपीएससी का बोझ भी घटेगा. जेपीएससी पर परीक्षा लेने, नियुक्तियां करने समेत काफी बोझ हैं. इससे विश्वविद्यालय से संबंधित परीक्षा, नियुक्तियां, प्रोन्नति आदि लंबित रह जाते हैं.

आयोग का गठन हो तो बेहतर होगा : डॉ. सुकल्याण

विभावि राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन स्वागत योग्य है. निश्चित रूप से यह पहल सेविश्वविद्यालय की समस्याओं के समाधान के लिए कारगर होगा. विश्वविद्यालय का अपना आयोग हो जाने पर किसी दूसरी संस्था पर से निर्भरता खत्म हो जाएगी. इस मामले में स्वतंत्र रूप से सभी काम हो पाएंगे. इससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिलेगा.

सभी लंबित मामलों का होगा निष्पादन : डॉ. विकास कुमार

विभावि के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. विकास कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन के लिए तेजी से पहल किए जाने की जरूरत है. आयोग के गठन से कई फायदे होंगे. उच्च शिक्षा में लंबित मामलों का तेजी से निष्पादन होगा. झारखंड में गिने-चुने ही यूनिवर्सिटी प्रोफेसर हैं. प्रोन्नति लंबित रहने की वजह से ही अर्हता रखनेवाले शिक्षकों का मामला भी जहां का तहां है. विवि सेवा आयोग के गठन से बहुत सारी समस्याओं का हल होगा.

हर हाल में हो सेवा आयोग का गठन : डॉ. केदार सिंह

विभावि में हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ केदार सिंह ने कहा कि हर हाल में झारखंड में विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन होना चाहिए. इससे जहां झारखंड लोक सेवा आयोग पर शिक्षकों की नियुक्ति, प्रोन्नति आदि की निर्भरता खत्म होगी, वहीं समस्याओं का निष्पादन भी तेजी से हो पाएगा. झारखंड गठन के 23 साल हो गए. अब तक किसी ने इस पर पहल नहीं की. अब अगर ऐसा होता है, तो कदम स्वागतयोग्य है.

आयोग बनने से शिक्षक-छात्र दोनों को फायदा : डॉ. अजय

विभावि राजनीति विज्ञान के डॉ. अजय बहादुर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से न सिर्फ शिक्षकों का हित होगा, बल्कि परोक्ष रूप से इसका फायदा विद्यार्थियों को भी मिलेगा. शिक्षकों की नियुक्ति और प्रोन्नति का लाभ विद्यार्थियों को भी मिलेगा. इसके लिए तेजी से पहल करने की जरूरत है. यह उच्च शिक्षा की दिशा में उठाया जानेवाला बड़ा और नेक कदम होगा. विवि सेवा आयोग के गठन से उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन होगा.

विभावि राजनीति विज्ञान के डॉ. अजय बहादुर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से न सिर्फ शिक्षकों का हित होगा, बल्कि परोक्ष रूप से इसका फायदा विद्यार्थियों को भी मिलेगा. शिक्षकों की नियुक्ति और प्रोन्नति का लाभ विद्यार्थियों को भी मिलेगा. इसके लिए तेजी से पहल करने की जरूरत है. यह उच्च शिक्षा की दिशा में उठाया जानेवाला बड़ा और नेक कदम होगा. विवि सेवा आयोग के गठन से उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन होगा.

जमशेदपुर : विवि सेवा आयोग का गठन स्वागत योग्य : डॉ. विजय

एबीएम कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. विजय कुमार पीयूष का कहना है कि राज्य में विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन का प्रयास स्वागत योग्य है.इससे राज्य में वर्षों से लंबित विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति एवं प्रोन्नति की मांग का निष्पादन हो पाएगा.राज्य में उच्च शिक्षा जगत में शिक्षा के स्तर में सुधार होगा.जेपीएससी पर जरुरत से ज्यादा बोझ होने के कारण वर्षों से शिक्षको की प्रोन्नति लंबित है.वहीं राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है.2008 के बाद से विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है. विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से जहां शिक्षकों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा,वहीं शिक्षकों की प्रोन्नति की मांग पर विचार किया जा सकेगा.

आयोग के गठन की पहल अच्छी है : डॉ. अशोक झा

एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ.अशोक झा का कहना है कि राज्य में विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन की पहल अच्छी है.निश्चित रुप से यह राज्य के शिक्षण एवं शिक्षा के स्तर में सुधार में सहायक होगा.वर्षों से विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की मांगे लंबित हैं. आयोग के गठन से शिक्षकों की नियुक्ति एवं प्रोन्नति की राह आसान होगी.लेकिन यह सब निर्भर करता है सरकार की इच्छाशक्ति पर, उपलब्ध संसाधन पर और सरकार एवं राजभवन के आपसी तालमेल पर.आयोग का गठन बहुत जरुरी है. इससे राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण सुधार की पूरी संभावना है.वर्तमान समय में विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है. जिसका सीधा असर शिक्षा के स्तर पर पड़ता है.

राज्य के शिक्षा स्तर में होगा सुधार : डॉ. राकेश

झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संविदा शिक्षक संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार पाण्डेय का कहना है कि झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय सेवा आयोग की स्थापना के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, जो महत्वपूर्ण कदम है. राज्य में विश्वविद्यालय आयोग के गठन से नियमित नियुक्तियां (शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की) होंगी. इससे न सिर्फ विश्वविद्यालयों,महाविद्यालयों के कार्यों में सुधार होगा बल्कि विद्यार्थियों को उचित और संपूर्ण शिक्षा भी प्राप्त होगी.

आयोग के गठन से बहाली का मार्ग खुल जाएगा : डॉ.राजीव

बहारगोड़ा कॉलेज के शिक्षक डॉ. राजीव कुमार का कहना है कि ‘विश्वविद्यालय सेवा आयोग’ के गठन से निश्चित समय पर विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय प्राध्यापकों की नियुक्ति संभव होगी और रिक्त पदों पर शिक्षक पदस्थ हो सकेंगे.झारखंड लोक सेवा आयोग के पास राज्य के विभिन्न संस्थानों में कर्मचारी-पदाधिकारी की नियुक्ति का कार्यभार होने के कारण विश्वविद्यालय में खाली पड़े पदों पर नियुक्ति में स्वाभाविक रूप से विलंब हो जाती है. प्रदेश के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार होगा. विश्वविद्यालय की गुणवत्ता उसके यहां होने वाले शोध-कार्यों के आधार पर ही लगाई जाती है. आज झारखंड प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शोधकर्ताओं को शोध-निर्देशकों की कमी झेलनी पड़ रही है.

धनबाद : आखिर क्यों नहीं हो रहा विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन

झारखंड में बिहार की तर्ज पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन कर विवि और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली की मांग लंबे समय से की जा रही है. राज्यपाल भी आयोग के माध्यम से विवि व कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के पक्ष में हैं. कॉलेज के शिक्षक भी मानते हैं कि इससे नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आएगी. उच्च शिक्षा विभाग को भी इस मामले में उत्सुकता दिखानी चाहिए.

नियुक्ति प्रक्रिया में आएगी तेजी : प्रो धर्मेंद्र

बीबीएमकेयू के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आएगी. बेहतर अभ्यर्थियों के चुनाव में भी आयोग सहायक सिद्ध होगा. कॉलेज एवं विश्वविद्यालय शिक्षकों की प्रोन्नति प्रक्रिया में भी तेजी आएगी. देश की बेहतरीन प्रतिभाओं को कॉलेज एवं विश्वविद्यालय सेवा की ओर आकर्षित करने में मदद मिलेगी. झारखंड में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सहायता मिलेगी.

लंबे समय से हो रही आयोग गठन की मांग : प्रो राजीव

पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज के केमिस्ट्री विभाग के प्रो. राजीव प्रधान ने बताया कि वह काफी समय से विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन की मांग कर हो रही है.क्योंकि जेपीएससी सिर्फ असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति के लिए समर्पित संस्थान नहीं है. यहां कभी मेंबर तो कभी अध्यक्ष नहीं होते, सरकारी दखल होने की वजह से भी यह संस्था ठीक से काम नहीं कर पाती है. समर्पित संस्था होने से केवल असिस्टेंट शिक्षक नहीं बल्कि प्राचार्य की नियुक्ति हो सकेगी.

आयोग का गठन सही कदम होगा: प्रो हिमांशु

बीबीएमकेयू के केमिस्ट्री विभाग के प्रो हिमांशु शुक्ला ने बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए बिहार की तर्ज पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन बिल्कुल सही निर्णय होगा. सरकार की ओर से यदि इस तरह का कोई प्रस्ताव आता है तो वह स्वागत योग्य है. यह असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए समर्पित संस्था होगी, जो शिक्षकों की नियुक्ति, प्रोन्नति समेत लगभग सभी प्रकार की समस्या दूर करने में कारगर साबित होगा.

अड़चनों को दूर करने की जरूरत : डॉ. मुकुंद

बीबीएमकेयू के हिंदी विभाग के प्रो मुकुंद रविदास बताते हैं कि असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) विश्वसनीय संस्था है. ऐसी स्थिति में नई संस्था बनाकर नियुक्ति की प्रक्रिया चलाने की खास जरूरत नहीं है. इसके स्थान पर यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि जेपीएससी द्वारा की जाने वाली बहाली में क्या तकनीकी खामियां आ रही हैं. उसे दूर करते हुए नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए.

चाईबासा : शिक्षकों की भारी कमी, सेवा आयोग का गठन जरुरी है : डॉ मुरारी वैध

झारखंड के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है. सरकार को इसकी विस्तृत जानकारी है. अयोग का गठन कर शिक्षकों की नियुक्ति करना सही होगा. लेकिन राज्य सरकार इस पर किसी तरह की गंभीरता नहीं दिखा रही है. चाईबासा जीसी जैन कॉमर्स कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. मुरारी वैध कहते हैं कि बिहार की तर्ज पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन कर विवि और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की बहाली की मांग वर्षों से है. कॉलेजों में शिक्षक नहीं होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी तरह से बाधित हो रही है. राज्य के विश्वविद्यालय में कई विषयों के एक भी शिक्षक नहीं हैं. अनुबंध के तहत कई शिक्षक सेवा दे रहे हैं. उन्हें भी यूजीसी गाइडलइन के तहत भुगतान नहीं हो रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार को इस मामले को गंभीरता लेने की जरूरत है. सहायक प्रोफेसर की अति आवश्यकता विश्वविद्यालयों में हो रही है. कोल्हान विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर की भारी कमी है.

असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली की मांग लंबे से रही है : डॉ. विजय प्रकाश

कोल्हान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. विजय प्रकाश कहते हैं कि बिहार की तर्ज पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन कर विवि और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली की मांग लंबे समय से की जाती रही है. राज्यपाल भी आयोग के माध्यम से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के पक्ष में हैं, पर सरकार गंभीर नहीं है. झारखंड में आयोग गठन कर नियुक्ति होगी तो कॉलेजों में लाभ पहुंचेगा. शिक्षकों की पदोन्नति का मामला भी सुलझ जायेगा. कॉलेजों में भारी संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं. राज्यपाल के आदेश के बावजूद भी यहां बहाली प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है. हालांकि बैकलॉक के आधार पर कुछ शिक्षकों की बहाली हो रही है. कोल्हान विश्वविद्यालय में लगभग 1500 से अधिक सहायक प्रोफेसर के पद अब भी रिक्त हैं. कई बार प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है. सृजन पद के अनुसार प्रस्ताव तैयार कर कोल्हान विश्वविद्यालय ने एचआरडी को प्रस्ताव भेजा, लेकिन सरकार पूरी तरह से मौन है.

विश्वविद्यालय सेवा आयोग गठन से होंगे कई फायदे : डॉ. रवि रंजन

कोल्हान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. रवि रंजन कहते हैं कि झारखंड में विश्वविद्यालय सेवा आयोग गठन से निश्चित समय पर विश्वविद्यालय/महाविद्यालय प्राध्यापकों की नियुक्ति संभव होगी. साथ ही रिक्त पदों पर शिक्षक पदस्थ हो सकेंगे. चूंकि झारखंड लोक सेवा आयोग के पास राज्य के विभिन्न संस्थानों में कर्मचारी-पदाधिकारी की नियुक्ति का कार्यभार होने के कारण विश्वविद्यालय में खाली पड़े पदों पर नियुक्ति में स्वाभाविक रूप से विलंब हो जाता है. विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन हो जाने से विश्वविद्यालय/महाविद्यालय में प्राध्यापकों की नियुक्ति में देर नहीं होगी. प्रदेश के विश्वविद्यालय/महाविद्यालय में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को सबसे बड़ा लाभ होगा कि उनकी कक्षाएं खाली नहीं रहेंगी, क्योंकि उनके संस्थान में अध्यापकों की कमी नहीं होगी. आज अधिकांश संस्थानों के प्रायः विभागों में अध्यापकों के पद रिक्त होने से इसका दुष्प्रभाव विद्यार्थियों पर ही पड़ रहा है.

रामगढ़ : राज्यपाल का प्रयास सराहनीय, इस पर पहल हो : प्रो शाहनवाज खान

प्रोफेसर शाहनवाज खान कहते हैं कि राज्यपाल का प्रयास सराहनीय है. इस पर पहल होनी चाहिए. विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभागों और उनके अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षकों की घोर कमी है. 4500 शिक्षकों की रिक्तियां तो केवल स्वीकृत पदों पर है, जबकि छात्र शिक्षक अनुपात पर शिक्षकों की स्वीकृत की जाए, तो इसकी संख्या हजारों में जा सकती है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार जो नए-नए विषयों को शामिल किए जा रहे हैं, उसके लिए कोई शिक्षक पहले से नियुक्त नहीं हैं .क्योंकि उच्च शिक्षा में अध्यापन के लिए विषय विशेषज्ञ की जरूरत होती है. इन विषयों के लिए अलग से शिक्षकों का पद स्वीकृत किया जाना चाहिए और उनकी भी नियुक्ति की जानी चाहिए. राज्य के विद्यार्थियों का भला करना है तो वक्त पर शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है. वर्ष 2008 में जो नियुक्ति हुई है, उसके बाद वर्ष 2017 में बैकलॉग और रेग्युलर पदों पर नियुक्ति का विज्ञापन निकला, बहुत सारे आवेदन भी पड़े. पर अब तक बैकलॉग की नियुक्ति भी पूरी तरह से नहीं हो पाई है.

रिक्त पदों पर जल्द योग्य शिक्षकों की बहाली हो : प्रो सुब्रतो घोष

जेएम महाविद्यालय भुरकुंडा में बॉटनी के प्रोफेसर सुब्रतो घोष कहते हैं कि वर्ष 2020 में स्नातक पाठ्यक्रम भारत के हर महाविद्यालय में लागू होता है. उनमें नए विषयों को जोड़ा गया है, जिसमें योग शिक्षा, साइबर शिक्षा, इंटर्नशिप और कई विषय जोड़े गए हैं. संबंधित विभाग में कोई भी योग्य शिक्षक नहीं होने के कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है . झारखंड में सरकारी महाविद्यालय से ज्यादा एफिलेटेड महाविद्यालय की संख्या है, जो कि सरकारी अनुदान पर चलते हैं. सरकारी महाविद्यालय से ज्यादा छात्रों की संख्या एफिलेटेड महाविद्यालय में है. लेकिन सम्मानजनक वेतन न मिल पाना उनका दुर्भाग्य है. केवल सरकारी अनुदान के सहारे वह अपना जीवन यापन कर रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि जल्द ही सरकार रिक्त पदों की बहाली कर शिक्षा में सुधार लाने का प्रयास करे. साथ ही वैसे प्रोफेसर जिनका जीवन यापन अनुदान से चल रहा है, उन लोगों को सरकार ठोस पहल कर सम्मानजनक वेतन पाने का अधिकार दिलाए.

4500 पद झारखंड के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त हैं .

2008 में जेपीएससी के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, लेकिन विवाद के कारण जांच का चक्कर

रांची : आयोग का गठन हो, तो सबसे सराहनीय काम होगा : डॉ. विनय भरत

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के ईएलएल विभाग के प्राध्यापक डॉ. विनय भरत ने कहा कि विवि सेवा आयोग के गठन की बात हो रही है. यदि ऐसा होता है तो यह राजभवन और सरकार की ओर से उठाए गए प्रयास में अब तक का सबसे सराहनीय कार्य होगा. गौरतलब है कि एकीकृत बिहार में पटना विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (बिहार अधिनियम 24, 1976) के तहत निर्धारित बिहार के विश्वविद्यालय और घटक महाविद्यालयों में शिक्षकों (प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर) की नियुक्ति की सिफारिश के लिए बिहार सरकार के कानून द्वारा अधिनियमित एक स्वायत्त निकाय बिहार विश्वविद्यालय आयोग की स्थापना हुई थी. लेकिन झारखंड अलग होने के बाद कई एसटेब्लीसमेंट को पुनर्स्थापित करने का काम शेष रह गया. जैसे झारखंड कला परिषद, झारखंड साहित्य परिषद शामिल हैं. झारखंड विश्वविद्यालय सेवा आयोग भी उनमें से एक है. इसका गठन बाकी है. लिहाजा, विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति की भी जिम्मेदारी झारखंड राज्य सेवा आयोग के ऊपर है. 2008 की नियुक्ति अब तक की पहली और आखिरी नियुक्ति साबित हुई है. दूसरी तरफ विगत 15 सालों में विश्वविद्यालय के 70 प्रतिशत पद खाली हो गए. स्थिति यह है कि विश्वविद्यालय घंटी आधारित और कॉन्ट्रैक्ट आधारित शिक्षकों के भरोसे चल रही है. दूसरी ओर राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के न होने की वजह से 2008 में नियुक्त शिक्षकों की पहली प्रोमोशन भी लंबित है. विश्वविद्यालय सेवा आयोग, नई दिल्ली के मानकों पर कई पायदान खिसकती झारखंड के विश्वविद्यालयों को एक अदद राज्य आयोग की तलाश है. जिसके गठन के बाद नई नियुक्तियां, प्रोमोशन, वेतनमान निर्धारण, सेवा समांजन, सेवा विस्तार, सेवा निर्विति और पेंशन निर्धारण जैसे अर्जेंट कार्यों का शीघ्र निष्पादन हो सकेगा.

आयोग बनने से शिक्षकों की कमी दूर की जा सकेगी : डॉ. त्रिभुवन

एसएस मेमोरियल कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. त्रिभुवन कुमार शाही ने कहा कि विश्वविद्यालय आयोग बनने से शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सकता है. विश्वविद्यालय में शिक्षकों को बहाल किया जा सकता है. राज्यपाल ने एक अच्छी पहल की है. जो प्रोफेसर बनने के लिए पढ़ाई की है. उनके लिए यह बहुत ही अच्छा होगा. अभी जेपीएससी द्वारा रिक्तियों को भरा जा रहा है.

राज्यपाल की पहल सराहनीय है इसका स्वागत : डॉ. एमलीन केरकेट्टा

डोरंडा कॉलेज बीएड की प्राध्यापक डॉ. एमलीन केरकेट्टा ने कहा है कि उच्च शिक्षा के लिए राज्यपाल ने जो पहल की है, वह बहुत अच्छा है. अगर यह लागू हो जाता है, तो बहुत अच्छा होगा. समय- समय पर शिक्षकों की नियुक्ति हो पाएगी. वहीं जिनका प्रमोशन नहीं हो रहा है, उनका प्रमोशन भी समय पर हो जाएगा. जेपीएसी में शिक्षक बहाली को लेकर काफी समस्या हो रही , जिसके चलते विद्यार्थी और शिक्षक के अनुपात में बढ़ोतरी हो रही है.

इस निर्णय का हृदय से स्वागत है बहुत अच्छी पहल है : अटल पांडेय

रांची विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक अटल पांडेय ने कहा कि यूजीसी और राजभवन द्वारा छात्रों के हित में जो पहल की गई है, वह बहुत अच्छी है. इससे शिक्षकों की कमी की समस्या का समाधान हो जाएगा. इस निर्णय का हृदय से स्वागत करता हूं. यह छात्रहित और शिक्षा हित में बहुत जरूरी कदम है. वर्ष 2020 में मैंने विश्वविद्यालय संवाद के नाम से शिकायत निवारण शुरू करने का प्रस्ताव रखा था, यह सिंडीकेट से पास होने के बावजूद आज तक लागू नहीं किया गया.

झारखंड के सभी विवि शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं : अवधेश ठाकुर

डोरंडा कॉलेज के सहायक प्राध्यापक अवधेश ठाकुर ने कहा कि झारखंड के सभी विश्वविद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. राज्यपाल के इस निर्णय से शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सकता है. इस प्रकार की पहल स्वागत योग्य है. विश्वविद्यालय सेवा आयोग बनने से शिक्षक बहाली का रास्ता आसान हो जाएगा. जेपीएससी के पास कई काम होते हैं जिसकी वजह से काम समय पर नहीं हो पाता है.