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हेमंत, इरादों की स्याही से लिखी तकदीर की इबारत, 72 साल से मिल रही सिर्फ तारीख समेत कई अहम खबरें पढ़ें अपने प्रिय अखबार शुभम संदेश में – Lagatar

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Ranchi : बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया. किसी तरह मेहनत-मजदूरी कर मां ने अपने बच्चों का भरण- पोषण कर उन्हें पैरों पर खड़ा किया. बेटा घर चलाने के लिए गया से रांची आकर दिहाड़ी मजदूरी करने लगा. इसी बीच मां का पैर टूट गया. मां के इस दर्द के एहसास से ज्यादा दर्द दीपांशु को होने लगा. आर्थिक तंगी में दीपांशु को कुछ नहीं सूझा तो वह अपनी किडनी बेचने को तैयार हो गया.

वर्ष 2024 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव को लेकर देश में विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम में जुटे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद हेमंत और नीतीश ने संयुक्त रूप से जो बयान दिए वह इस मुलाकात की सार्थकता को दर्शाते हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन उर्फ गुरुजी के पुत्र और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नीतीश कुमार को अपना गार्जियन बताया.

मेरे पुख्ता इरादे खुद मेरी तकदीर बदलेंगे, मैं मोहताज नहीं हाथों में किस्मत की लकीरों का… किसी शायर की ये पंक्तियां चतरा जिले के टंडवा प्रखंड अंतर्गत पड़ते सिसई निवासी सोमेश कुमार पांडेय पर एकदम सटीक बैठती हैं. विपरीत परिस्थितियों में अपने हाथों अपनी जिंदगी की इबारत लिखने वाले सोमेश को कुदरत और किस्मत ने कई जख्म दिए. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. आज वह आयकर विभाग में सेवाएं दे रहे हैं.

यदि 72 साल से सिर्फ तारीख पे तारीख मिलती रहे और नतीजा सिफर रहे तो मुवक्किल को मायूसी ही होगी. झारखंड के सबसे पुराने केस में भी ऐसा ही हो रहा है. खूंटी कोर्ट में 300 एकड़ जमीन के पार्टीशन सूट की कानूनी लड़ाई जारी है. मामला 72 साल से चला आ रहा है. इस लंबित केस में खूंटी सिविल कोर्ट के सब जज की अदालत में एक बार फिर सुनवाई हुई, लेकिन फिर एक नयी तारीख मिली है. दरअसल 72 वर्षों से चल रहे पार्टीशन सूट की कानूनी लड़ाई दो भाईयों के बीच 1951 में शुरू हुई थी. जिसपर अब तक कोई फैसला नहीं आ पाया है.

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