Ranchi : राज अस्पताल रांची के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश कुमार दुबे तथा पेट, आंत एवं लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ. रवीश रंजन के सयुंक्त प्रयास से मरीज की सीआरआरटी मशीन के द्वारा हिमोडाईफिलट्रेशन की गयी.
मरीज एक्यूट किडनी फेल्योर एवं (ACLF) एक्यूट लिवर फेल्योर की बीमारी से ग्रसित था. चिंता से उनका ब्ल्ड प्रेशर बेहद कम हो गया था. ऐसे में सामान्य डायलिसिस करना संभव नहीं था. ऐसी परिस्थिति में सीआरआरटी (कंटीन्यूअस रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी ) की जरूरत थी. झारखंड में राज अस्पताल, रांची ने मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए इस मशीन को अस्पताल में उपलब्ध कराया है, ताकि मरीजों को राज्य से बाहर इलाज के लिए नहीं जाना पड़े.
कंटीन्यूअस रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (CRRT) में मरीज के खून को साफ करने के लिए इस विधि को अपनाया जाता है. इस थेरेपी के दौरान मरीज के रक्त को एक खास तरह के फिल्टर से गुजारा जाता है, जो खून में से तरल पदार्थ और यूरिमिक विषाक्त पदार्थों को बाहर करने के साथ ही साफ रक्त को वापस शरीर में भेज देता है. दरअसल यह एक तरह का डायलिसिस ही है. सामान्य डायलिसिस में 2-4 घंटे का समय लगता है. वहीं सीआरआरटी एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, इसमें लंबा समय लगता है. डॉक्टरी भाषा में कहें तो, यह एक रीनल रिप्लेसमेंट विधि है, जिसमें इंटरमीटेंट हीमोडायलिसिस और पेरिटोनियल डायलिसिस शामिल है. इसी धीमी रफ्तार के डायलिसिस के रूप में 24 घंटे या उससे ज्यादा समय के लिए लगातार किया जाता है. दरअसल सीआरआरटी पंप से चलने वाले वेनोवेनस एक्स्ट्राकोर्पोरियल सर्किट से किया जाता है और खून को साफ करके किडनी की मदद करता है.
विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार मरीज जब इलाज के लिए आया था तो उनका रक्तचाप इतना कम था कि वो रिकॉर्ड में भी नहीं आ रहा था. ऐसे में सीआरआरटी मशीन से मरीज की हिमोडाईफिलट्रेशन की गयी, जिससे तत्काल रक्तचाप और पल्स रेट ठीक हुआ तथा पीएच भी सामान्य हुआ. विशेष तौर पर अत्यधिक हेमो डायनमिक अस्थिर मरीज, हृदयाघात, एक्यूट किडनी फेल्योर, सिर में चोट, जहर का सेवन, एआरडीएस (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम ), लिवर फेल्योर या कई अंगों के फेल होने की स्थिति में सीआरआरटी का इस्तेमाल किया जाता है. मरीज के इलाज में गहन चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. मोहिब अहमद का भी योगदान रहा.
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