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सूखते-सिमटते तालाब, पानी की किल्लत से लोगों की दिनचर्या प्रभावित

Ranchi :  तालाब जलस्रोत का महत्वपूर्ण माध्यम है. जिन शहरों और गांवों में तालाबों की संख्या अच्छी होती है, वहां कुओं, चापाकलों या सोलर जल मीनारों में पानी की कमी नहीं होती है. पर हाल के दशक में बहुत तेजी से तालाबों सहित अन्य जलस्रतों ( नदी,नाला, झरना, चुआं) की संख्या घटी है.जिससे कारण गर्मी के इस मौसम में झारखंड में पानी की किल्लत हो गई है. जलस्तर बनाए रखने के लिए तालाब बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. बढ़ रही आबादी के साथ जमीन की कीमत बढ़ी तो कइयों ने तालाब भरकर जमीन बेच दी. दूसरी ओर समय-समय पर तालाबों की रख रखाव ठीक से नहीं होने की वजह से भी तालाबों में पानी नहीं ठहर रहा है. भू माफिया की नजर भी इन दिनों तालाबों पर है. ये माफिया बड़ी संख्या में तालाबों को भरकर जमीन बेच रहे हैं. घटते तालाब और सूखते जल स्रोतों की वजह से ही इस समय झारखंड घोर जल संकट से गुजर रहा है.कुछ इलाकों में तो पानी के जुगाड़ में ही सारा दिन निकल जाता है. पानी की कमी की वजह से जनजीवन किस तरह प्रभावित है, इसपर शुभम संदेश की टीम ने राज्यभर से जानकारी हासिल की है. पेश है रिपोर्ट.

मिट रहा शालीग्राम तालाब का अस्तित्व

पतरातू प्रखंड के भुरकुंडा बाजार स्थित शालीग्राम तालाब का अस्तित्व धीरे-धीरे मिटता जा रहा है. पहले इस तालाब से जवाहर नगर, बोनर धौरा , भुरकुंडा बाजार, ऊपर धौरा सहित कई इलाकों के लोग इस तालाब के पानी का उपयोग करते थे. लेकिन इस समय तालाब के किनारे कचरा भर कर तालाब का अतिक्रमण किया जा रहा है.जानकार बताते हैं कि यह तालाब करीब 60 वर्ष पुराना है. तालाब पहले 3 एकड़ भूमि में फैला था, लेकिन मौजूदा समय में यह सिकुड़ कर करीब 2 एकड़ से भी कम का रह गया है.

तालाब में लगा है कचरे का अंबार : प्रकाश नायक

प्रकाश नायक कहते हैं कि शालीग्राम तालाब काफी पुराना है. पहले इस तालाब में यहां के स्थानीय लोग स्नान करते थे. तालाब में मछली पालन के साथ-साथ पानी फल सिंघाड़े की खेती भी होती थी. लेकिन धीरे-धीरे अब तो कचरे के अंबार में यह तालाब तब्दील होता दिख रहा है. स्थानीय सांसद को इस संबंध में जानकारी दी गई है. अब देखना है कि कब तक इस समस्या का समाधान निकल पाता है. कहा जा है कि तालाब को बचाने के लिए समस्त भुरकुंडा वासियों को अपनी आवाज बुलंद करनी होगी. तभी इस तालाब का अस्तित्व बचाया जा सकता है. इस दिशा में शीघ्र कदम उठाने की जरुरत है.

60 वर्ष पहले बना था यह तालाब: जयप्रकाश

जयप्रकाश कहते हैं कि भुरकुंडा बाजार से सटा हुआ शालिग्राम तालाब का निर्माण शालीग्राम साव के द्वारा करीब 60 वर्ष पूर्व किया गया था. पहले यह तालाब लगभग 3 एकड़ में फैला हुआ था, लेकिन अब धीरे-धीरे सिकुड़ते हुए 2 एकड़ से भी कम का रह गया है. तालाब की जमीन को धीरे-धीरे अतिक्रमण किया जा रहा है. तालाब के किनारे कचरा भरकर जमीन हथियाने का खेल चल रहा है. आने वाले कुछ समय में अगर स्थिति ऐसे ही रही तो तालाब का अस्तित्व खत्म हो जाएगा . वैसे ही यहां पानी की समस्या है. अगर प्राकृतिक स्रोतों को इसी तरह खत्म कर दिया जाएगा तो पानी के लिए लोगों में हाहाकार मच जाएगा.

कचरा डालकर तालाब को भरने का प्रयास : कामेश्वर

कामेश्वर लाल कहते हैं कि तलाब एक किलोमीटर के दायरे में पानी का बहुत बड़ा स्रोत है. इस तालाब के पानी से आसपास के इलाकों के लोग स्नान सहित कई कार्य करते थे . लेकिन तालाब में गंदगी के कारण लोग अब नहीं के बराबर उस तालाब में पहुंचते हैं. अगर तालाब अपने पहले जैसी स्थिति में आ जाए तो यहां के हजारों लोग इसका लाभ ले सकेंगे. लेकिन धीरे-धीरे लोग कचरे से इस तालाब को भरने का प्रयास कर रहे हैं. अगर जल्द ही तालाब बचाने की मुहिम शुरू नहीं की गई तो आने वाले कुछ ही दिनों में तलाब को कचरों से भर दिया जाएगा. तालाब की जमीन धीरे धीरे कम हो रही है.इससे इसका अस्तित्व खतरे में है.

बाड़ेडीह में तालाब सूखा, हाहाकार

पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया नगर पंचायत के वार्ड नंबर 12 में दीघी गांव के बाड़ेडीह टोले में तालाब सूख गया है. इसके कारण यहां के ग्रामीणों को नहाने के लिए परेशानियां झेलनी पड़ रही है. मवेशियों के समक्ष भी जल की समस्या उत्पन्न हो गई है. इस तालाब की खुदाई नगर पंचायत के तहत बीते साल लगभग 24 लाख की लागत से हुई थी. ग्रामीणों का कहना है कि यह तालाब बहुत पुराना था. इस तालाब में सालों भर पानी रहता था. दो टोलों के ग्रामीण इसमें नहाते थे और कपड़ा, बर्तन – धोते थे. पर इस तालाब की खुदाई का काम होने के बाद पहली बार यह तालाब सूख गया है.

तालाब सूखने से ग्रामीण परेशान : उपेन मुर्मू

बाड़ेडीह टोला के उपेन मुर्मू ने कहा कि तलाब सूख जाने से टोले के ग्रामीण परेशान हैं. टोले में पाइप लाइन से जलापूर्ति भी नहीं होती है. हम कुआं और चापाकल के सहारे अपना काम चला रहै हैं. इस तालाब में पानी कभी सूखता नहीं था. तालाब की खुदाई होने के बाद पहली बार यह तलाब सूख गया है. इन दिनों इस इलाके में काफी गर्मी पड़ रही है. इस वजह से भी भू जल का स्तर काफी तेजी से नीचे जा रहा है.

पहली बार गर्मी में सूखा है यह तालाब : गाजू बेसरा

इसी टोले के गाजू बेसरा का कहना है कि प्रचंड गर्मी में यह तालाब पहली बार सूखा है. नहाने के लिए लोगों को काफी हो रही है. कुछ माह पूर्व इस तालाब का लाखों रुपए की लागत से जीर्णोद्धार कराया गया था, परंतु खुदाई प्राक्कलन के मुताबिक नहीं की गई. इसलिए यह तालाब सूख गया. अब स्थिति यह है कि नहाने के लिए हमें भटकना पड़ रहा है. इस दिशा में सरकार को शीघ्र कोई कदम उठाना चाहिए.

चापाकल के पानी से नहाना पड़ता है : सूरजमनी

टोला की सूरजमनी सोरेन ने बताया कि पानी के लिए हम बहुत परेशान हैं. चापाकल से पानी लेकर नहाना पड़ रहा है. तालाब इस बार सूख गया है. तालाब में पानी रहने से उसमें नहाने-धोने में हमें बड़ी सहूलियत होती थी, परंतु इस साल गर्मी शुरू होते ही तालाब का पानी सूख गया. हमारे मवेशी भी पानी के लिए परेशान हो रहे हैं. अगर अगले कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई तो परेशानी और भी बढ़ जाएगी.

नहाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा : कांदन सोरेन

टोला के कांदन सोरेन ने कहा कि इस गर्मी में पहली बार यह तलाब सूख गया है. नहाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. तालाब के जीर्णोद्धार के कार्य में बड़ी लापरवाही बरती गई थी. यही कारण है कि यह तालाब सूख गया. इसके कारण पानी के लिए कई टोलों के लोग परेशान हैं.

जोजोकुड़मा में तालाब सूखने से परेशानी बढ़ी

चक्रधरपुर के आस-पास इन दिनों भीषण गर्मी के कारण पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है. तेलाईडीह पंचायत के जोजोकुड़मा गांव में लगभग पांच एकड़ में फैला तालाब पूरी तरह सूख चुका है. इससे ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तेलाईडीह, जोजोकुड़मा और आसपास के लगभग एक हजार ग्रामीण इस तालाब पर निर्भर रहते थे. तालाब से दैनिक कार्यों के लिए पानी का उपयोग करते थे. ग्रामीण पशुओं को तालाब का पानी पिलाते थे. खुद स्नान भी करते थे. साथ ही इस तालाब में मछली पालन भी होता था. इस भीषण गर्मी में तालाब सूखने से ग्रामीण पानी के लिए परेशान हैं. स्थानीय ग्रामीण बताते हैं यह वर्षों पुराना तालाब है, जिस पर गांव की बड़ी आबादी निर्भर रहती है. बड़ी संख्या में महिला-पुरूष तालाब के पानी का उपयोग करते थे.

सबको पानी कोे लिए भटकना पड़ रहा है : सुभाष सिंहदेव

जोजोकुड़मा गांव के सुभाष सिंहदेव ने कहा कि गांव में पांच एकड़ में फैला तालाब ग्रामीणों के लिए जीवनदायिनी से कम नहीं है, लेकिन इन दिनों भीषण गर्मी के कारण तालाब का पानी पूरी तरह सूख चुका है. इससे ग्रामीण परेशान हैं. ग्रामीणों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. तालाब में पानी रहने से सिंचाई इत्यादि के लिए भी पानी का इस्तेमाल करते थे.

तालाब का जीर्णोद्धार किया जाना जरुरी : विरेन्द्र सिंहदेव

गांव के विरेन्द्र सिंहदेव ने कहा कि वर्षों पुरानी तालाब का जीर्णोद्धार किया जाना जरुरी है, ताकि गर्मी में पानी की दिक्कत न हो. उन्होंने बताया कि गांव के ग्रामीण तालाब पर ही निर्भर रहते हैं. सुबह से ही लोग तालाब में इकट्ठा होना शुरू हो जाते हैं. गांव के तालाब का पानी सूखने से ग्रामीणों को कई प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.

गोड्डा :
प्यास बुझाने वाली कझिया नदी विलुप्ति के कगार पर

गोड्डा शहरी आबादी की प्यास बुझाने वाली कझिया नदी विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी है. नब्बे के दशक तक इस नदी का पानी पाइप के जरिए घरों तक पहुंचाया जाता था. लोग पेयजल के रूप में इस पानी का इस्तेमाल करते थे. पानी पाइप और टंकी के रखरखाव की जिम्मेवारी नगरपालिका को थी. पानी के बदले लोगों से टैक्स भी वसूला जाता था. बदलते समय और शहर की आबादी बढ़ने के साथ-साथ यह नदी लोगों की प्यास बुझाने में नाकाम साबित होने लगी. कझिया नदी सूख चुकी है. अब इस नदी में पानी मिलना तो दूर की बात है, बालू भी नहीं मिलता. नदी की दुर्दशा के लिए माफिया जिम्मेवार हैं. माफिया के द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण की वजह से नदी सिकुड़ चुकी है. पानी और बालू खत्म होने के बाद ईंट भट्टा कारोबारियों की भी बुरी नजर इस नदी पर है. प्रतिदिन मिट्टी काटकर दर्जनों ट्रैक्टरों से ढुलाई की जाती है. नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए कुछ संगठनों ने आवाज भी उठाई, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला.

पावड़ा तालाब सूखा, आसपास के पांच गांवों के लोगों की बढ़ी परेशानी

घाटशिला प्रखंड के पावड़ा गांव का बड़ा तालाब सूखने के कगार पर है. तालाब के सूखने से लगभग पांच गांव के लोगों के लिए परेशानी बढ़ती जा रही है. इस तालाब के पानी का उपयोग पांच गांव के लोग श्राद्ध कर्म से लेकर स्नान ध्यान सहित अन्य कार्य में पिछले 50 वर्षों से करते आ रहे हैं. खासकर यह तालाब राजा जगदीश चंद्र धवल देव का होने के कारण इसके जीर्णोद्धार के लिए सरकारी राशि भी खर्च नहीं की जा सकती है. कारण कि उनके परिवार द्वारा पंचायत को अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है. इसके कारण यह तालाब धीरे-धीरे अपना अस्तित्व भी खोता जा रहा है.

यह ग्रामीणों के लिए जीवन रेखा है : माणिक

पावड़ा गांव के माणिक मुर्मू ने बताया कि यह तालाब एक तरह से आसपास के ग्रामीणों के लिए एक तरह से जीवन रेखा कही जा सकती है. इस वर्ष तालाब का जलस्तर काफी कम होने के कारण गांव के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. उनके पास दूसरा कोई साधन भी नहीं है.

स्नान का एकमात्र साधन है यह तालाब : शीला मुर्मू

कशीदा गांव निवासी शीला मुर्मू ने बताया कि हम लोगों का श्राद्ध कर्म में तालाब एक महत्वपूर्ण भूमिका आदा करता है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के स्नान करने का एकमात्र साधन है. साथ ही साथ पशु-पक्षी के लिए भी यह तालाब काफी उपयोगी साबित होता था, परंतु अचानक सूखने के कगार पर आ गया है.

पशुओं के लिए पानी की किल्लत : विश्वजीत

पावड़ा गांव निवासी विश्वजीत सीट ने बताया कि बचपन से लेकर आज तक इसी तालाब में स्नान करते आ रहे थे, परंतु इस वर्ष अचानक तालाब सूख जाने से घर के पशुओं के लिए भी पानी की किल्लत हो गई है. कई बार पंचायत तथा जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई, परंतु इसका जीर्णोद्धार नहीं होने के कारण तालाब सूखने के कगार पर है.

पहले तो गर्मी के दिनों में भी तालाब सूखता नहीं था : दिकू

गोपालपुर निवासी दिकू टुडू ने बताया कि पावड़ा तालाब हम लोगों के लिए काफी उपयोगी तालाब रहा है. आसपास में यह एकमात्र तालाब था जो कभी भी गर्मी के समय में सूखता नहीं था, परंतु इस वर्ष तालाब के सूखने से हम ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से सप्लाई के पानी पर ही परिवार के लोगों के साथ-साथ घर के पशु भी निर्भर हैं.

हजारीबाग :
ओकनी तालाब की करीब छह एकड़ जमीन गायब हुई

हजारीबाग शहर के अतिप्राचीन ओकनी तालाब का वजूद खतरे में हैं. इसके किनारे कचरा डालकर उसका अतिक्रमण किया जा रहा है. 16 एकड़ में फैला यह तालाब अब महज 10 एकड़ के आसपास बचा है. छह एकड़ को भर दिया गया या फिर अतिक्रमित कर लिया गया. मुहल्लेवासियों का कहना है कि इस तालाब के अस्तित्व को बचाने की जरूरत है. यहां लोग छठ पूजा करते हैं. साथ ही नहाने-धोने और मवेशियों की प्यास इस तालाब के पानी से बुझती है. बोर्ड लगाए जाने के बावजूद तालाब के किनारे कचरे भरे जा रहे हैं.

कोर्ट के आदेश की उड़ाई जा रहीं धज्जियां : राहुल

ओकनी तालाब काली मंदिर के पीछे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. वहां नगर निगम की ओर से ही कचरा डंप किया जा रहा है. पहले से अतिक्रमित ओकनी तालाब का वजूद भी सिमटता चला जा रहा है. कभी करीब 16 एकड़ में फैला यह तालाब अब महज 10 एकड़ के आसपास बचा है.

तालाब के वजूद को बचाने की जरूरत : श्रुति

ओकनी तालाब के वजूद को बचाने की जरूरत है. इसको लेकर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में भी शिकायत दर्ज की गई है. यह निजी तालाब है और यहां हर वर्ष पानी फल सिंघारा उगाया जाता है. इसके लिए नीलामी कराई जाती है. यहां अक्सर प्रवासी पक्षियों को कलरव करते भी देखा जाता है.

पक्षी विहार बनाने की चल रही बात : मीतू

ओकनी तालाब रोड की मीतू कुमारी कहती हैं कि वर्ष 2018 में तत्कालीन डीसी रविशंकर शुक्ला ने इस तालाब के सौंदर्यीकरण के साथ इसे पक्षी विहार बनाने की बात कही थी. लेकिन उससे पहले उनका तबादला हो गया और इसके चारों ओर पहले से कहीं अधिक अतिक्रमण कर लिया गया है.

योजना के अधीन तालाब होता तो बेहतर : विश्वनाथ

ओकनी वार्ड-19 के निवर्ततान पार्षद विश्वनाथ विश्वकर्मा कहते हैं कि अमृत सरोवर योजना के अधीन तालाब आ जाता, तो बेहतर होता. इससे यह तालाब भी संरक्षित होता और इसका विकास भी होता. यहां गंदगी का अंबार नहीं लगना चाहिए. इसके बारे में कई बार निगम से शिकायत की गयी है, पर कोई सुनता ही नहीं.

जांच कर तालाब बचाने की पहल करेंगे : मेयर

नगर निगम हजारीबाग की निवर्तमान मेयर रोशनी तिर्की कहती हैं कि जांच कर तालाब बचाने की पहल करेंगे. वहां कचरा डंप नहीं होना चाहिए. अगर डंप हुआ है, तो उसे उठाना भी चाहिए. इस बारे में सफाई जमादार से बात करेंगी. लोगों को भी यह सोचना चाहिए कि तालाब के किनारे कचरा नहीं फेंकना चाहिए. हमारी कोशिश है कि यह तालाब साफ सुथरा रहे ताकि लोग इसका सही तरीके से उपयोग कर पाए. इस दिशा में हमारे ओर से पहल शुरू हो गई है.

जमशेदपुर :
पोटका में जलमीनार बेकार हुई, कैसे मिले पानी

पोटका प्रखंड के तेतला पंचायत के तुड़ी गांव में मुखिया फंड से 2021 में जलमीनार का निर्माण कराया गया था, लेकिन निर्माण के कुछ दिनों बाद से जलमीनार खराब हो गई है. मुखिया ने ठीक कराने का प्रयास किया, लेकिन जलमीनार ठीक नहीं हो पाई. गांव में स्थित एक चापाकल से गांव के लोग पानी भरते हैं. चापाकल पर लोड ज्यादा होने के कारण वह भी अक्सर खराब हो जाता है. गांव के लोगों को पानी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. चापाकल के खराब होने पर दूर-दराज से पानी लाना पड़ता है. वहीं लाखों रुपए लगाकर बनाया गई जलमीनार बेकार पड़ी हुई है.

गर्मी बढ़ते ही पानी का संकट शुरू : दुर्गा नायक

पोटका पंचायत के तेतला पंचायत के तुड़ी गांव निवासी दुर्गा नायक का कहना है कि गर्मी का मौसम आते ही पानी का संकट हो जाता है. इस क्षेत्र में आम दिनों में भी पेयजल की समस्या बनी रहती है. गर्मी के आते ही पानी की समस्या विकराल हो जाती है. पेयजल का एकमात्र साधन चापाकल भी गर्मी के दिनों में साथ छोड़ देते हैं. दूर-दराज से पानी लाना पड़ता है. मुखिया फंड से निर्मित जलमीनार काफी दिनों से खराब पड़ी है.

पानी भरने में ही आधा समय बीत जाता है : लक्खी नायक

पोटका प्रखंड के तेतला पंचायत के तुड़ी गांव निवासी लक्खी नायक का कहना है कि गर्मी के दिनों में गंभीर पेयजल की समस्या उत्पन्न हो जाती है. पानी की व्यवस्था करने में ही आधा समय चला जाता है. जलमीनार के खराब होने से पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है. मुखिया केवल आश्वासन ही देते हैं कि जल्द ही जलमीनार को ठीक करवा दिया जाएगा, लेकिन एक वर्ष से जलमीनार नहीं बन पाई है.

पोटका में चापाकल ही पानी का एकमात्र साधन है : पार्वती

पोटका पंचायत के तेतला पंचायत के तुड़ी गांव निवासी पार्वती नायक का कहना है कि तुड़ी गांव में एक ही चापाकल है जो पेयजल का एकमात्र साधन है. लाखों रुपए के खर्च कर जलमीनार जब से बनी है, तब से ही खराब पड़ी है. मरम्मत के बाद कुछ दिन चली फिर खराब हो गई. एक चापाकल से पूरे गांव के लोग पानी भरते हैं. काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है. ज्यादा लोड होने से चापाकल भी खराब हो जाता है.

गर्मी का मौसम आते ही डर सताने लगता है : अरुण गोप

पोटका प्रखंड के शंकरदा पंचायत के शंकरदा गांव निवासी अरुण गोप का कहना है कि गर्मी के मौसम आते ही पानी की संकट से डर सताने लगता है.इस क्षेत्र में आम दिनों पेयजल की समस्या बनी रहती है.गर्मी के आते ही पानी की समस्या विकराल हो जाती है.पेयजल का एक मात्र साधन चापानल भी गर्मी के दिनों में साथ छोड़ देते है. दूर दराज से पानी लाना पड़ता है. जलमीनार एक वर्ष से खराब है.एक ही चापानल फिलहाल चालू हालत है.जिससे गांव के लोग पानी भरते हैं.

लापरवाही के कारण नहीं ठीक हो रही जलमीनार : करुणामय

पोटका प्रखंड के शंकरदा गांव के निवासी एवं पूर्व जिला परिषद् करुणामय मंडल का कहना है कि जलमीनार के खराब होने के कारण गर्मी के दिनों में गंभीर पेयजल की समस्या उत्पन्न हो जाती है. जलमीना के मरम्मत के लिए विभाग को कई बार लिखित शिकायत की गई.विभाग द्वारा हर बार मररम्मत करवाने का आश्वासन लेकिन एक वर्ष बीतने के बाद भी जलमीनार की मरम्मत नही हो पाने से गर्मी के दिनों में गांव के लोगों को पानी के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

नदी का पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

महुआडांड़ प्रखंड में गढ़बुढ़नी पंचायत है. इसी गढ़बुढ़नी पंचायत के चुटिया गांव में यादव टोला के ग्रामीण इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी में पानी को लेकर काफी जद्दोजहद कर रहे हैं. टोले में लगभग 50 घर हैं और यहां तकरीबन 200 लोग निवास करते हैं. टोला में मात्र एक चापाकल है, वह भी इस प्रचंड गरमी में पर्याप्त पानी देने में असमर्थ है. 8 – 10 बालटी के बाद चापाकल पानी नहीं निकलता है. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में चापाकल सही तरीके से चल रहा था. इसके बाद उस चापाकल में मोटर और जलमीनार लगा दी गई. करीब छह महीने लोगों को पानी मिला. उसके बाद जलमीनार खराब हो गई. इसकी मरम्मत नहीं की जा सकी. अब आलम यह है कि इस चापाकल से बहुत मुश्किल से पानी निकलता है. लोग अब पास के नदी से पानी लाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि एक साल पहले एक डीप बोरिंग हुई थी. लेकिन वह भी अधूरी है. पूछे जाने पर जल सहिया शकुंतला देवी ने बताया कि फिलहाल डीप बोरिंग के तहत काम जारी है. शीघ्र ही इसे पूरा किया जायेगा.

मुखिया रेणु तिग्गा ने कहा- दूर करेंगे परेशानी

गढ़बुढ़नी पंचायत की मुखिया रेणु तिग्गा ने कहा कि विभाग को पंचायत के सभी खराब पड़े चापाकल और जलमीनारों की सूची भेज दी गयी है. विभाग कब तक इसे संज्ञान में लेता है, यह कहना मुश्किल है. हालांकि उन्होंने कहा कि शीघ्र ही खराब चापाकल और सोलर जलमीनारों को दुरूस्त करा लिया जायेगा.

भीषण गर्मी में सूख गया तालाब पानी के लिए लोगों की परशानी बढ़ी

शहर के पटनिया मोहल्ला में स्थित तालाब करीब 4 बीघा जमीन पर फैला है. इस तालाब में पटनिया टोला और रसुनपुर दहला मोहल्ले के लोग नहाने से लेकर कपड़े की ढुलाई करते थे. भीषण गर्मी में तालाब सूख जाने से दोनों मोहल्ले के लोग परेशान हैं.

पानी की दिक्कत हो गई है : किशोर सिन्हा

पटनिया मोहल्ला निवासी किशोर सिन्हा ने बताया कि तालाब सूख जाने के कारण लोगों को पानी की दिक्कत हो गई है. लोग नहाने से लेकर कपड़ा तक उस तालाब में धोते थे. भीषण गर्मी में लोगों को बिना नहाए रहना पड़ रहा है. इस मोहल्ला में अधिकांश घरों में चापाकल है, लेकिन भीषण गर्मी में धरती का जलस्तर नीचे चले जाने के कारण वह भी पानी देना बंद कर दिया है. कभी बरसात के समय इस तालाब में कमल फूल खिला करते थे.