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छुट्टी हमारा अधिकार, हक में कटौती बर्दाश्त नहीं

Ranchi: झारखंड के विश्वविद्यालयों और कॉलेज शिक्षकों की नाराजगी कम नहीं हो रही है. गर्मी छुट्टी में कटौती को लेकर उनका आंदोलन जारी है. वे कहते हैं कि छुट्टी हमारा अधिकार है. हम अपने हम में कटौती बर्दाश्त नहीं करेंगे. उनका मानना है कि सभी विश्वविद्यालयों का अपना पाठ्यक्रम और कार्यक्रम निर्धारित है. इसमें अचानक परिवर्तन करना या कोई निर्णय थोप देना शिक्षकों पर दबाव बनाने जैसा है. इसे शिक्षक अपने तर्कों के आधार पर अमानवीय, अनैतिक और नियम विरुद्ध बताते हुए इस पर फिर से विचार करने की बात कर रहे हैं. शुभम संदेश की टीम ने इस मामले में शिक्षकों से बात की है. पेश है रिपोर्ट.
छुट्टी कटौती से थम नहीं रही विवि और कॉलेज शिक्षकों की नाराजगी

जमशेदपुर

छुट्टी पर फिर से विचार किया जाए : डॉ. सोनाली सिंह

जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान विभाग की प्रो (डॉ.) सोनाली सिंह ने कहा कि गर्मी छुट्टी को लेकर विचार करने की जरूरत है. अचानक गर्मी छुट्टी में कटौती कर दी गयी. गर्मी छुट्टी के दौरान शिक्षक-शिक्षिकाएं रिसर्च समेत अन्य अकादमिक कार्य करते हैं. साथ ही कोई स्वास्थ्य कारणों से अन्यत्र जाता है, तो कोई किसी अन्य अनिवार्य कार्य से जाता है. दूसरी ओर यहां मई के महीने में अधिक गर्मी पड़ती है. तापमान चरम पर होता है. ऐसे में विद्यार्थी और अभिभावक भी गर्मी छुट्टी की मांग करते हैं.

मई माह में छुट्टी की जानी चाहिए : डॉ. सनातन दीप

जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के संगीत विभागाध्यक्ष डॉ. सनातन दीप ने कहा कि गर्मी छुट्टी में अचानक कटौती कर दी गयी. यहां मई के महीने में सर्वाधिक गर्मी पड़ती है. पूर्व में इसे ध्यान में रखते हुए छुट्टी की घोषणा की जाती रही है. एक से 20 जून तक गर्मी की छुट्टी किये जाने का कोई औचित्य नहीं है. क्योंकि 15 जून तक मॉनसून का आगमन हो जाता है. ऐसे में गर्मी और तापमान को देखते हुए मई के महीने में छुट्टी की जानी चाहिए. वहीं शोध कार्य वगैरह के लिए भी शिक्षकों को छुट्टी की आवश्यकता होती है.

गर्मी छुट्टी में हुई कटौती उचित नहीं : प्रो विनोद कुमार

जमशेदपुर के करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज वाणिज्य विभाग के प्रो विनोद कुमार ने कहा कि गर्मी छुट्टी में कटौती उचित नहीं है. गर्मी छुट्टी और दुर्गा पूजा की ही छुट्टी होती है, जब शिक्षक रिसर्च वर्क समेत अन्य अकादमिक कार्य करते हैं. इसका उद्देश्य कॉलेज, विश्वविद्यालय और विद्यार्थियों का विकास होता है. इन सबका विकास होता तो समाज का भी उत्थान होगा. अतः कहा जा सकता है कि मसला सीधे-सीधे समाज से जुड़ा है. इस पर राजभवन को विचार करना चाहिए.

छुट्टी मिलेगी तभी रिसर्च वर्क होगा : प्रो. विजय प्रकाश

जमशेदपुर स्थित एलबीएसएम कॉलेज के प्रो. विजय प्रकाश ने कहा कि गर्मी की छुट्टी में कटौती की जाती है, तो अर्न लीव (ईएल) को बढ़ाया जाना चाहिए. ऐसा होगा तभी शिक्षक-शिक्षिकाएं अपनी जिम्मेवारी समुचित तौर पर निभा सकेंगे. छुट्टी मिलेगी तभी वे रिसर्च वर्क, वर्कशॉप, परीक्षा कार्य समेत अन्य अकादमिक कार्य कर सकेंगे. कुल मिलाकर गर्मी छुट्टी में कटौती को सही नहीं माना जा सकता है. यदि राजभवन अपने इस आदेश पर अटल रहता है, तो शिक्षक-शिक्षिकाओं की अर्न लीव बढ़ाने पर विचार किया जाना चाहिए.

धनबाद
गर्मी की छुट्टी कटौती अमानवीय, अनैतिक व नियम के विरुद्ध

राज्य के विश्वविद्यालयों में गर्मी छुट्टी में 50 प्रतिशत कटौती का विरोध आंदोलन का रूप ले रहा है. शिक्षक कहीं धरना दे रहे हैं, तो कहीं जुलूस निकालकर या काला बिल्ला लगाकर इस आदेश को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. शिक्षकों इन निर्णय को अमानवीय, अनैतिक और नियम विरुद्ध बताया है. शिक्षक वेकेशनल स्टाफ हैं. ऐसी हालत में गर्मी की छुट्टी उनका हक है. हक में कटौती बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

रिसर्च व अध्ययन के लिए छुट्टी जरूरी : प्रो. जय गोपाल मुंडा

बीबीएमकेयू शिक्षक संघ के सदस्य प्रो जय गोपाल मुंडा ने बताया कि अच्छा पढ़ाने एवं उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों को उचित दिशा देने के लिए रिसर्च व अध्ययन जरूरी है. गर्मी की छुट्टी में जो समय मिलता है, वह शिक्षकों के लिए प्रिपेरेट्री डे के रूप में काम आता है. वे अपना शोध कार्य नयी सामग्री के अध्ययन जैसे कार्य करते हैं. ऐसे में शिक्षकों से गर्मी की छुट्टी कटौती अमानवीय, अनैतिक और नियम के विरुद्ध है. भीषण गर्मी में विद्यार्थियों को भी कई तरह की परेशानी हो रही है.

यह व्यवस्था तो एक दिन लागू होने ही थी : संजय सिन्हा

गुरु नानक कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. संजय सिन्हा ने कहा कि सेमेस्टर सिस्टम लागू करने के बाद छुट्टियों का रेसनलाइजेशन जरूरी था. सेमेस्टर सिस्टम में 6 मुख्य और 6 इंटरनल परीक्षाएं लेनी होती हैं. इसके लिए नियमित कक्षाओं का संचालन जरूरी है. इस व्यवस्था को आज नहीं तो कल लागू किया जाना ही था. लेकिन इसे लागू करने का तरीका गलत है. इसे लागू करने के बाद शिक्षकों को छुट्टी में परीक्षा लेने, मूल्यांकन एवं अन्य कार्य से मुक्त किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षक छुट्टी में पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर रिसर्च और अध्ययन का कार्य कर सकें.

बिना किसी प्रक्रिया के छुट्टी कम करना गलत : प्रो. एमके पांडेय

पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज के शिक्षक सह संघ के सदस्य प्रो एमके पांडेय ने बताया कि यूजीसी के स्टेट्यूट के अनुसार शिक्षक वेकेशनल एंप्लॉय की श्रेणी में आते हैं. ऐसे में गर्मी की छुट्टी पर उनका पूरा हक है. छुट्टी का निर्धारण यूजीसी और झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुरूप किया गया है. ऐसे में बिना किसी प्रक्रिया के कटौती गलत है. छुट्टियों में शिक्षक रिसर्च कार्य करते हैं. विश्व स्तर पर नई सामग्री का अध्ययन करते हैं, ताकि उसका लाभ विद्यार्थियों तक पहुंचा सके.

कटौती से पहले बातचीत बातचीत करनी थी : प्रो. विमल

पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज के प्रोफेसर सह संघ के सदस्य प्रो विमल मिंज ने कहा कि अचानक छुट्टी में कटौती के आदेश से शिक्षक वर्ग आहत है. छुट्टी में शिक्षकों ने हेल्थचेक अप, पारिवारिक कार्यक्रम, शैक्षणिक भ्रमण और रिसर्च जैसे कार्यों के लिए प्लान तैयार किया था, जिसे रद्द कर देना पड़ा. छुट्टी कटौती के पूर्व शिक्षकों से बातचीत होनी चाहिए थी.उसके बाद ही छुट्टी कटौती का निर्णय लेना चाहिए था. यदि छुट्टियों में एकरूपता लाने का प्रयास है तो शिक्षकों को भी अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह ईएल और सीएल मिलनी चाहिए.

घाटशिला

छुट्टियों में बदलाव करना पूरी तरह गलत : डॉ. विशाल

घाटशिला महाविद्यालय के इतिहास विभाग के शिक्षक डॉ. कुमार विशाल ने बताया कि आजादी के पहले से ग्रीष्मावकाश स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालय तक मिलती थी. अचानक छुट्टियों में बदलाव करना पूरी तरह गलत है. सबसे बड़ी बात यह है कि गर्मी के समय में क्लास में छात्रों की उपस्थिति भी काफी कम हो गई है. ऐसे में गर्मी की छुट्टी अत्यंत आवश्यक है. शिक्षक राज्यपाल के आदेश का पालन करने को मजबूर हैं. फिर भी काला बिल्ला लगाकर मौन विरोध कर रहे हैं.

गर्मी छुट्टी में कटौती हर दृष्टि से गलत : प्रो. विकास मुंडा

घाटशिला महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विषय के प्रोफेसर विकास मुंडा ने कहा कि शिक्षक वोकेशनल स्टाफ की श्रेणी में आते हैं. इसलिए उनकी गर्मी छुट्टी का अवकाश कटौती करना गलत है. छुट्टी कटौती का राज्य स्तर पर विरोध के बाद अब कॉलेज स्तर पर भी शुरू हो गया है. शुरुआत में काला बिल्ला लगाकर सांकेतिक प्रदर्शन शुरू है. यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो शिक्षक संघ बैठक कर आगे की रणनीति तय करेगी.शिक्षक अपनी छुट्टी कटौती को लेकर काफी गंभीर हैं.

राज्यपाल से छुट्टी कटौती का किया था विरोध : राम विनय

घाटशिला महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग के शिक्षक राम विनय कुमार श्याम ने कहा कि शिक्षकों ने कुलपति के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर छुट्टी कटौती का विरोध किया था. इसके बावजूद 24 मई से काला बिल्ला लगाकर शिक्षक सांकेतिक विरोध शुरू कर दिया है. शिक्षक काम भी करेंगे, लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से विरोध भी जताएंगे. सचिवालय द्वारा आदेश वापस नहीं लिया गया तो शिक्षक आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेंगे. गर्मी छुट्टी कटौती करना सरासर गलत है. कटौती करना भी था तो अगले सत्र से किया जाना चाहिए था.

राजभवन के आदेश का पालन करना ही होगा : प्रो. संजेश तिवारी

घाटशिला महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर संजेश तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय तथा कॉलेज का कैलेंडर पहले से ही निर्धारित रहता है. लेकिन इस कैलेंडर की अवहेलना की गई है. राजभवन सचिवालय को लागू करना ही था तो पहले ही लागू करने की जरूरत थी. राजभवन का आदेश पालन करना ही होगा, परंतु छात्रों-शिक्षकों के हित को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए. छात्र, अभिभावक एवं शिक्षकों को गर्मी छुट्टी का इंतजार साल भर से रहता है. इस छुट्टी का प्लान पहले से तैयार होता है.

तीसरे दिन भी जारी रहा महाविद्यालय के शिक्षकों का विरोध-प्रदर्शन

घाटशिला महाविद्यालय शिक्षक संघ इकाई द्वारा शुक्रवार को तीसरे दिन भी काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रदर्शन किया गया. मालूम हो कि झारखंड राज्य सचिवालय ने सभी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के शिक्षकों की छुट्टी में कटौती की गई है. इस कटौती के विरोध में कोल्हान विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों के शिक्षक संघ पिछले 24 मई से विरोध कर रहे हैं. यह विरोध शुक्रवार को जारी रखते हुए इसे आगामी 28 मई तक काला बिल्ला लगाकर विरोध करने का फैसला किया है. इसके बाद 29 मई को कलम बंद हड़ताल होगी और 30 मई को सभी शिक्षक सामूहिक अवकाश पर रहेंगे. पूरे राज्य के शिक्षक संघ की योजना है कि यदि हमारे इन विरोध प्रदर्शन से छुट्टी कटौती की अधिसूचना राज्य भवन वापस नहीं लेता है तो पूरे राज्य के शिक्षक सड़क पर उतरेंगे. हर हाल में ये अन्यायपूर्ण अधिसूचना वापस लेना ही होगा. मौके पर डॉ. नरेश कुमार, डॉ. डीसी राम, प्रो. इंदल पासवान, डॉ. एसपी सिंह, डॉ. कुमार विशाल, डॉ. संजेश तिवारी, प्रो. विकाश मुंडा, प्रो. सोमा सिंह उपस्थित थे.

पाकुड़
छुट्टी में कटौती से शिक्षकों में आक्रोश है : डॉ. अजय कुमार

इस संबंध में केकेएम कॉलेज पाकुड़ में पदस्थापित शिक्षक डॉ. अजय कुमार दास ने बताया कि गर्मी की छुट्टी में कटौती किया जाना ठीक नहीं है. इसे लेकर शिक्षकों में आक्रोश है. हर साल गर्मी छुट्टी में शिक्षक घरेलू कामकाज का शेड्यूल बनाते थे. शेड्यूल यह होता था कि कहां जाना है, क्या करना है.

छुट्टी में कटौती से शोध कार्य पर असर पड़ेगा : डॉ. समर

केकेएम कॉलेज पाकुड़ में तैनात शिक्षक डॉ. समर कुमार सिंह ने बताया कि गर्मी छुट्टी में शिक्षक शोध कार्य करते थे. कई सिक्षक पीएचडी की थीसिस लिखते थे. छुट्टी में कटौती किए जाने से शोध कार्य पर असर पड़ेगा. इसलिए इस मामले में फिर से विचार करने की जरुरत है.

शिक्षकों के कामकाज पर भी असर पड़ेगा : प्रो. माया सिंघा

केकेएम कॉलेज पाकुड़ में पदस्थापित प्रोफेसर माया सिंघा ने बताया कि गर्मी की छुट्टी में कॉलेज शिक्षक शोध कार्य करते थे. प्रमोशन के लिए शोध किया जाना जरूरी है. उनका कहना है छुट्टी हमारा हक हैं और यह हमें मिलनी चाहिए. छुट्टी में कटौती का असर शिक्षकों के कामकाज पर पड़ेगा.

पहले इस प्रकार का प्रावधान नहीं था : डॉ. नीलम कुमारी

केकेएम कॉलेज पाकुड़ में पदस्थापित डॉ. नीलम कुमारी का कहना है कि विश्वविद्यालय सेवा में पहले इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं था. इस बार राजभवन की ओर से आदेश निर्गत कर छुट्टी में 50% कटौती कर दी गई है. आदेश जारी किए जाने से पूर्व राज्य के विश्वविद्यालयों में पदस्थापित वाइस चांसलर की बैठक हुई.

गिरिडीह

पुनर्विचार हो, अवकाश पूर्ववत रहे : डॉ. पीएम पाठक

गिरिडीह कॉलेज के जूलॉजी के शिक्षक डॉ. पीएम पाठक का कहना है कि हमारी छुट्टी पहले से तय होती है. इस दौरान हमलोग रिसर्च से लेकर स्वास्थ्य जांच जैसी तमाम जरूरी कार्य करते हैं. बिना जानकारी और बिना सहमति के अचानक छुट्टी रद्द कर देना अव्यवहारिक और अनैतिक है. राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलपति को एक बार इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. शिक्षक संघ अपनी मांगों को लेकर कटिबद्ध है. छुट्टी हमारा हक है. इसलिए इसमें कटौती ठीक नहीं है. हमारी छुट्टी फिर से बहाल की जानी चाहिए.

कटौती पूरी तरह अव्यवहारिक है, फिर विचार हो : बलभद्र सिंह

गिरिडीह कॉलेज के हिन्दी विभाग के शिक्षक बलभद्र सिंह का कहना है कि चांसलर द्वारा झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अध्यापकों के अवकाश मे कटौती की गई है जो पूरी तरह गैर वाजिब और अव्यवहारिक है. राजभवन के इस फैसले से शिक्षकों के पीएचडी शोध जैसे दूसरे जरूरी काम प्रभावित होंगे. जिसके कारण इस फ़ैसले के खिलाफ शिक्षक आंदोलन करने को मजबूर हैं. राज्यपाल को फौरन इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. जब तक निर्णय वापस नहीं होता, शिक्षकों का आंदोलन जारी रहेगा.

चाईबासा

गर्मी छुट्टी में 50 प्रतिशत की कटौती सरासर अन्याय है : पिंकी कुमारी

चाईबासा के जीसी जैन कॉमर्स कॉलेज की सहायक प्रोफेसर पिंकी कुमारी कहती हैं कि विश्वविद्यालय में जिस तरह से सरकार की ओर से 50% की गर्मी छुट्टी की कटौती हुई है, वह सरासर अन्याय है. इसमें शिक्षक से लेकर विद्यार्थियों को काफी नुकसान हो रहा है. सरकार से मांग है कि गर्मी छुट्टी संबंधित अधिसूचना को वापस ले और शत-प्रतिशत छुट्टी प्रदान करे, ताकि शिक्षकों के हित में निर्णय हो सके. गर्मी छुट्टी में परेशानी का सामना विद्यार्थियों को अधिक करना पड़ता है. साथ ही सभी शिक्षक अपने-अपने कार्यक्रम निर्धारित किए रहते हैं. वर्तमान में अचानक यदि सरकार इस तरह से अधिसूचना जारी करती है तो नुकसान होता है. विश्वविद्यालय एक ऑटोनॉमस बॉडी है.

छुट्टी में कटौती की अधिसूचना अगले सत्र से जारी होनी चाहिए : विकास मिश्रा

कोल्हान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर विकास मिश्रा कहते हैं कि गर्मी छुट्टी संबंधित विश्वविद्यालय में पहले से अधिसूचना जारी हो गई रहती है. उसी आधार पर सारी तैयारी होती है, लेकिन अचानक सरकार की ओर से एक अधिसूचना जारी कर 50% गर्मी छुट्टी में कटौती की जाती है. इस तरह से यह निर्णय सरासर गलत है. शिक्षकों के हित में यह निर्णय सही नहीं है. अचानक इस तरह का निर्णय नहीं होना चाहिए. सरकार की ओर से इस अधिसूचना को निरस्त कर नई अधिसूचना जारी करने की जरूरत है. कोल्हान विश्वविद्यालय में अधिकतर शिक्षक बाहर से ही आते हैं. गर्मी छुट्टी में अपने गांव जाने की तैयारी में सब रहते हैं, लेकिन जिस तरह से निर्णय लिया गया है. यह शिक्षक हित में नहीं है.

चक्रधरपुर

एकेडमिक कैलेंडर में बदलाव गलत : प्रो. निशा कुमारी

चक्रधरपुर के जवाहर लाल नेहरु कॉलेज की प्रोफेसर निशा कोन्गाड़ी ने कहा कि छुट्टियों के लिए एकेडमिक कैलेंडर में अचानक बदलाव किया जाना समझ से परे है. एकेडमिक कैलेंडर जनवरी माह में जारी की जाती है, लेकिन राजभवन ने अचानक छुट्टियों के कैलेंडर में बदलाव किया है. कॉलेज में दूर-दराज से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं. गर्मी की छुट्टी के दौरान छात्रों का कॉलेज आना भी संभव नहीं हो पाता है. वहीं छुट्टियों में शिक्षक शोध, शिक्षा से संबंधित कार्य को पूरा करते हैं.

छुट्टियों में लगातार की जा रही कटौती : प्रो. शाश्वती कुमारी

चक्रधरपुर के जवाहर लाल नेहरु कॉलेज की प्रोफेसर शाश्वती कुमारी ने कहा कि पूर्व में ज्यादा छुट्टियां मिलती थीं, लेकिन नये-नये आदेश जारी कर छुट्टियों में लगातार कटौती की जा रही है. प्रत्येक विश्वविद्यालय में शिक्षकों का एसोसिएशन है. शिक्षकों के प्रतिनिधि से इस बारे में राय मांगी जानी चाहिए थी. अचानक आदेश जारी करना उचित नहीं है. अचानक कटौती किया जाना यूजीसी के मानकों में भी नहीं है. इसे लेकर ही पूरे राज्य के विश्वविद्यालयों में विरोध किया जा रहा है.

छुट्टियों में अपडेट करने का मिलता है मौका : प्रो. संजय

चक्रधरपुर के जवाहर लाल नेहरु कॉलेज के प्रो. संजय बारी ने कहा कि छुट्टियों का अर्थ सिर्फ घूमना-फिरना ही नहीं होता है. शिक्षकों के लिए छुट्टियां काफी महत्व रखती हैं. हमेशा शिक्षा में कई प्रकार के बदलाव आते हैं. ऐसे में छुट्टियों के दौरान ही शिक्षकों को स्वयं अपडेट करने का मौका मिल पाता है. शिक्षकों का कार्य पठन-पाठन से जुड़ा होता है, इसलिए शिक्षकों को भी स्वयं पढ़ाई करनी होती है. शोध कार्य करने होते हैं, ऐसे में अगर शिक्षकों को छुट्टियां नहीं मिलेंगी तो शिक्षा व्यवस्था पर भी असर पड़ेगा.

हजारीबाग
छुट्टी कटौती से विभावि के शिक्षकों में आक्रोश

अवकाश कटौती के विरोध में शुक्रवार को भी विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर काम किया. साथ ही सरकार, राजभवन और विभावि प्रशासन के निर्णय पर आक्रोश जताते हुए बैठक कर आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया.

सम्मान से खिलवाड़ है : डॉ. मिथिलेश कुमार

मार्खम कॉलेज के डॉ मिथिलेश कुमार ने कहा कि बिना वार्ता के ग्रीष्मावकाश में कटौती कर शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है. ग्रीष्मावकाश शिक्षकों का मौलिक अधिकार है. इस निर्णय को वापस ले लेना चाहिए. ननवेकेशनल सेवा में 16 दिनों का अवकाश देने का प्रावधान है. लेकिन विभावि के शिक्षकों का मात्र आठ दिनों का अवकाश प्राप्त है और 16 दिनों का अर्जित अवकाश मिलता है.शिक्षकों के अवकाश में एकतरफा कटौती यूजीसी के नियमों का घोर उल्लंघन है.

पुनर्विचार करने की जरूरत : डॉ. सुबोध

विभावि पीजी हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ सुबोध सिंह शिवगीत ने कहा कि राजभवन को निर्णय पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. शिक्षकों से वार्ता कर ग्रीष्मावकाश में कटौती का निर्णय लेना चाहिए था. ग्रीष्मावकाश शिक्षकों का मौलिक अधिकार है. अगर अधिकार के लिए आंदोलन की जरूरत पड़ी, तो वह भी करेंगे. हम सब शिक्षक काला बिल्ला लगाकर इस हठात नीति का विरोध कर रहे हैं.

परेशान करने से क्या मिलेगा : डॉ. गंगानाथ

पीजी शिक्षक संघ के डॉ. गंगानाथ झा ने कहा कि शिक्षकों के ग्रीष्मावकाश में कटौती करने से क्या मिलेगा. इस मुद्दे पर विभावि प्रशासन को एकतरफा निर्णय लेने के पहले शिक्षकों से बात करने की जरूरत थी. यह शिक्षकों को परेशान करनेवाला फैसला है. एकरूपता लानी है, तो हर चीज में समान संहिता लागू करने की जरूरत है. हर विवि का अपना पाठ्यक्रम और अपना कार्यक्रम निर्धारित है.

मिलना चाहिए उनका अधिकार : डॉ राजू

पीजी शिक्षक संघ के प्राध्यापक डॉ. राजू राम ने कहा कि शिक्षक अपने कर्तव्यों का भलीभांति निर्वहन करते हैं. उन्हें उनका मौलिक अधिकार मिलना चाहिए. दबाव बनाकर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार संभव नहीं है. ग्रीष्मावकाश में अचानक कटौती कर शिक्षकों की मान मर्यादा का हनन किया गया है. यह बर्दाश्त के बाहर है. सभी के अपने-अपने निजी काम हैं. छुट्टियों के अनुसार शिक्षकों ने अपना कार्यक्रम निर्धारित कर रखा है.

निर्णय को वापस लेने की जरूरत : डॉ. एसजेड हक

पीजी शिक्षक संघ के प्राध्यापक डॉ. एसजेड हक ने कहा कि ग्रीष्मावकाश में अचानक कटौती का निर्णय सरकार को वापस लेने की जरूरत है. मौसम भी तो देखना चाहिए. अभी गर्मी भी अपने परवान पर है.

साहिबगंज

 

शिक्षकों के जरूरी काम प्रभावित होंगे : डॉ. सिंधान सिंह मुंडा

डॉ.सिंधान सिंह मुंडा, साहिबगंज महाविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि हम लोग यूजीसी के गाइडलाइंस से वोकेशनल सेवा के अंतर्गत कार्यरत हैं. आकस्मिक अवकाश में कटौती कर 16 से 8 कर दिया गया. उसके बाद अचानक ग्रीष्मावकाश में भी मनमानी करते हुए कटौती कर दी. इसे लेकर शिक्षकों को विश्वास में नहीं लिया गया. अवकाश कटौती के कारण शिक्षकों के जरूरी काम प्रभावित होंगे. इसलिए इस दिशा में राजभवन को फिर से इस मामले में विचार करने की जरुरत है.

आकस्मिक अवकाश में कटौती गलत है : डॉ. अनिल कुमार

डॉ.अनिल कुमार, सह सचिव, साहिबगंज महाविद्यालय शिक्षक संघ, का कहना है कि यूजीसी एक्ट के अनुसार शिक्षक वोकेशनल संवर्ग में आते हैं, लेकिन अब उनको नॉन वोकेशनल वर्ग जैसा समझा जा रहा है. एक तरफ छुट्टियों में 50 प्रतिशत तक की कटौती और दूसरी ओर आकस्मिक अवकाश में भी कटौती गलत है. छुट्टियों में कटौती के बदले ईएल की संख्या 12 दिन प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 33 दिन करनी चाहिए. जब तक उनकी मांगों पर अमल नहीं होता है, आंदोलन ज़ारी रहेगा. इसलिए इस मामले में एक बार फिर से विचार करने की जरुरत है.

अवकाश में अचानक कटौती से परेशानी बढ़ गई है : डॉ. मनोज

अवकाश में अचानक कटौती करने से शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है. छुट्टी में कटौती के कारण पूर्व से कई शिक्षकों का स्वास्थ्य जांच के लिए बाहर जाने का कार्यक्रम स्थगित हो गया. शिक्षकों के ज़रूरी शोध कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं. राजभवन को यह निर्णय वापस लेना होगा. शिक्षक संघ राज्य भर के सभी सरकारी कर्मचारियों और प्राध्यापकों की छुट्टी का पैमाना एक समान करने की मांग कर रहा है. इस मामलें में फिर से विचार करने की जरुरत है. ताकि शिक्षकों की परेशानी कम हो सके और वे अपना काम सुविधापूर्ण तरीके से कर सके.

यूजीसी के नियमानुसार अवकाश मिलना चाहिए : डॉ. फोधो सोरेन

डॉ.फोधो सोरेन, साहिबगंज कॉलेज के दर्शनशास्त्र के शिक्षक का कहना है कि हम शिक्षकों को यूजीसी के नियमानुसार अवकाश मिलना चाहिए. अचानक अवकाश में कटौती कर शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. अवकाश अवधि में शोध का कार्य, पारिवारिक कार्यक्रम सहित दूसरे ज़रूरी कार्य प्रभावित हो रहे हैं. इस मामले में सभी को गंभीर रुप से सोचने की जरुरत है. अवकाश में कटौती करने के लिए अधिनियम में परिवर्तन करे सरकार. केवल झारखंड में छुट्टियों में कटौती तर्कसंगत नहीं है.

जामताड़ा

शिक्षक करेंगे कलमबंद हड़ताल : डॉ. अनिल कुमार

विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की छुट्टियों में की गई कटौती के खिलाफ आंदोलनरत है. शिक्षक संघ का कहना है कि हमारे बारे में विचार विश्वविद्धालय तय करे न कि राजभवन. सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय सेवा शिक्षक संघ(स्कमुस्टा) से जुड़े डॉ अनिल कुमार टेटे ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों में कटौती के खिलाफ 29 मई को कलमबंद हड़ताल का निर्णय लिया गया है.

निर्णय के खिलाफ संघर्ष करेंगे : डॉ. पीयूष मालपहाड़िया

जामताड़ा कॉलेज के शिक्षक डॉ. पीयूष मालपहाड़िया ने कहा कि फुटाज, स्कमुस्टा सहित राज्यभर के सभी विश्वविद्यालय व महाविद्यालय के शिक्षक गर्मी की छुट्टियों के अव्यवहारिक निर्णय के खिलाफ संघर्ष कर रहें हैं.उम्मीद है कि राजभवन छुट्टियों में कटौती के खिलाफ हो रहे आंदोलन को देखते हुए जरूर पुर्नविचार करेगी.

हमारी मांगें जायज हैं, विचार होना चाहिए : डॉ. बंदोपाध्याय

जामताड़ा कॉलेज के शिक्षक डॉ. एसएन बंदोपाध्याय ने कहा कि विश्विद्यालय व महाविद्यालय के शिक्षकों के जायज मांगों पर पुर्नविचार होना चाहिए. सिदो कान्हू विश्वविद्यालय में दुर्गापूजा व दिसंबर महीने में ठंड को लेकर दी जाने वाली छुट्टियों में भी कटौती हुई है.हमारी मांगें जायज हैं. इसपर विचार होना चाहिए.

जायज मांगों पर पुर्नविचार होना ही चाहिए : डॉ. मालोती

जामताड़ा कॉलेज के शिक्षक डॉ. मालोती मांझी ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों में कटौती अव्यवहारिक निर्णय है. ऐसा पहली बार हुआ है जब छुट्टियों का निर्धारण राजभवन की ओर से जारी किया गया है. जबकि छुट्टियों का निर्धारण विश्वविद्यालय के स्तर से होनी चाहिए.फिलहाल शिक्षकों के आंदोलन को देखते हुए छुट्टियों की सूची पर पुर्नविचार होना

रांची

गर्मी की छुट्टी में कटौती करना गलत है, फिर से विचार होना चाहिए : कंजीव लोचन

रांची विश्वविद्यालय के इतिहास के सहायक प्राध्यापक कंजीव लोचन ने कहा कि छुट्टी में कटौती करना गलत है. जिस प्रकार से अचानक कटौती कर दी गई है यह ठीक नहीं है. किसी भी चीज के लिए एक प्लानिंग होती है. हम कुछ भी काम करते हैं तो प्लानिंग के साथ करते हैं. इसकी भी कोई प्लान होनी चाहिए थी. जो पहले से चली आ रही है. उसे अचानक खत्म कर दिया गया. अगर छुट्टी की कटौती की गई है तो हमें जो 12 ईएल मिलती है उसे बढ़ाना चाहिए. जो नहीं बढ़ाया गया है.गर्मियों की छुट्टी में हम मौज करने नहीं जाते हैं. विद्यार्थियों के हित में काम करते हैं. कई प्रकार के ऐसे शैक्षणिक कार्य भी होते हैं, जो हम छुट्टियों में कर पाते हैं. इसलिए हमें छुट्टी जरूरी है.

राज्यपाल से मिलकर शिक्षकों की सारी समस्याओं को रखूंगा : डॉ. राज कुमार

रांची विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. राज कुमार का कहना है ने बताया कि छुट्टी कटौती को लेकर राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है. समय मिलते ही राज्यपाल से मिलकर शिक्षकों की समस्याओं को रखुूगा. हम शिक्षक केवल शिक्षक विद्यार्थी हित में काम करते हैं. हमें छुट्टी इसलिए चाहिए होती है क्योंकि हमें शोध कार्य और अन्य शैक्षणिक कार्य करने पड़ते हैं. हम कई ऐसे काम करते हैं जो विद्यार्थी हित में होता है. राज्यपाल से मिलकर केवल छुट्टी नहीं शिक्षकों की और भी बातों को रखूंगा. मैं शिक्षकों के प्रमोशन की भी बात करुंगा. आज तक सहायक प्राध्यापकों की एक भी प्रोन्नति नहीं हुई है.