Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

हमारे लोकतंत्र के गर्व का अनुपम अहसास कराएगी नई संसद – Lagatar

Ranchi : भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में रविवार को एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को देश की सबसे बड़ी पंचायत के नए भवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. नए भवन की तरह ही लोकार्पण समारोह भी आधुनिकता और पौराणिकता का संगम होगा. समारोह में वेद मंत्रों की भी गूंज होगी, तो ऐतिहासिक राजदंड सेंगोल की स्थापना भी. नए संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही भारतीय लोकतंत्र की खुशबू दुनिया में और महकेगी. यह हमें लोकतंत्र के गर्व का अहसास कराएगी. वहीं यहां से निकला चिंतन बदलती वैश्विक व्यवस्था में दुनिया को नई दिशा देगा. नए संसद भवन के निर्माण में भारतीय रीति-रिवाजों और ज्ञान की परंपराओं का वैभव तो नजर आएगा ही, इसके वास्तु में पौराणिकता और आधुनिकता का मिश्रण भी दिखेगा. यह विरासत भावी पीढ़ियों को देश की शक्ति का अहसास कराएगी.

पौराणिकता-आधुनिकता का अनूठा संगम है नई इमारत

नया संसद भवन

1. तिकोने आकार के कारण इस भवन का अधिक उपयोग हो सकेगा.
2. टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड ने प्रधानमंत्री के इस सपने को किया साकार.
3. 4 मंजिला है नया संसद भवन, विशालता के साथ सुरक्षित भी है.
4. 21 महीने में तैयार किया गया प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट
5. 971 करोड़ रुपए की लागत आई है नई संसद के निर्माण पर

नई संसद में नया क्या

1. सुरक्षित व आधुनिक तकनीक से पूरी तरह सुसज्जित
2. बड़े हॉल, आधुनिक ऑडियो-वीडियो सिस्टम से लैस
3. प्लॉनिंग रेटेड ग्रीन बिल्डिंग, बिजली की खपत कम
4. भविष्य की जरूरतों को देखते हुए पर्याप्त स्थान

ऐसे तैयार हुआ था पुराना संसद भवन
12 फरवरी 1921 को संसद भवन की नींव रखी गई
18 जनवरी 1927 को भारत के वॉयसरॉय व गवर्नर जनरल इरविन ने उद्घाटन किया.
इसे बनाने में 6 साल लगा था.
पुराने भवन में 144 स्तंभ और 12 गेट हैं.
इसे बनाने में 83 लाख का खर्चा आया था.
मूल स्वरूप में रहेगा प्राचीन गौरव

नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले लोगों में जिज्ञासा है कि पुराने भवन का क्या होगा? सरकार ने कहा है कि इस भवन को संरक्षित रखा जाएगा. संभव है इसे संग्रहालय बना दिया जाए ताकि लोग देश के संसदीय इतिहास से रूबरू हो सकें.

कई घटनाक्रम का साक्षी रहा पुराना ऐतिहासिक संसद भवन

वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण, करीब एक सदी तक भारत की नियति को दिशा देने के प्रतीक और अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहे ऐतिहासिक पुराने संसद भवन का उद्धाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया था, जिसके बाद से यह इमारत कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम की साक्षी बनी. अब पुराना संसद भवन भी पवित्र विधानपालिका के स्थान के रूप में अपना 96 साल पुराना दर्जा नए भवन को सौंप देगा. भारत के लोकतंत्र के मंदिर के तौर पर पूजा जाने वाला पुराना संसद भवन बीते करीब एक दशक में ब्रिटेन के साम्राज्यवादी शासन का साक्षी बना और उसके कक्षों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे क्रांतिकारियों भगत सिंह एवं बटुकेश्वर दत्त द्वारा फेंके गए बम के धमाकों की गूंज सुनी. इस इमारत ने देश में आजादी का सवेरा होते देखा और इसे 15 अगस्त 1974 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक नियति से साक्षात्कार भाषण की गवाह बनने का सौभाग्य मिला. ब्रिटेन के ड्यूक ऑफ कनॉट ने 12 फरवरी, 1921 को संसद भवन की आधारशिला रखी थी और कहा था कि यह भवन भारत के पुनर्जन्म के प्रतीक के रूप में खड़ा रहेगा. इस इमारत को सर हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था, जिन्हें सर एडविन लुटियंस के साथ रायसीना हिल क्षेत्र में नई शाही राजधानी को डिजाइन करने के लिए चुना गया था.

सेंंट्रल विस्टा… मोदी ने जो विरासत दी है, सदियों तक याद रखी जाएगी

डॉ. बिमल पटेल एक आर्किटेक्ट हैं जिन्हें शहरीकरण की प्लानिंग को लेकर खास महारथ हासिल है. वह व्यावसायिक और ढांचागत योजनाओं की सीमाओं को परे धकेलते हुए ऐसे तरीके खोज रहे हैं, जिसके तहत वास्तुकला यानी आर्किटेक्चर, शहरी रचना और शहरी नियोजन मिल कर भारतीय शहरी जीवन को और बेहतर बना सकें. वर्तमान में वह एचसीपी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और साथ ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के चीफ आर्किटेक्ट भी हैं. भविष्य में शहरों की प्लानिंग और सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर शुभम संदेश ने उनसे विस्तार से बातचीत की है.

सवाल- फ्रांस ने पेरिस की सबसे भव्य सड़क शांजे लीजे का मेकओवर करने और उसे भव्य गार्डेन बनाने का फैसला किया है. क्या भारत के शहरी क्षेत्रों में भी इस तरह की चीजों पर पुनर्विचार किए जाने की जरूरत है?

जवाब- हां, भारत के शहरी क्षेत्रों में इस तरह की चीजों के लिए पुनर्विचार किए जाने की जरूरत है, जिससे उन शहरों के प्रति भावनात्मक जुड़ाव बढ़े. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट इसका एक उदाहरण है. इसके दोनों तरफ बने सार्वजनिक उद्यानों का सौंदर्यीकरण करने के लिए कर्तव्य पथ का भी पुनर्निर्माण किया जा रहा है. दरअसल, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का केंद्र बिंदु इसे एक सार्वजनिक म्यूजियम के रूप में तैयार करना है. इसके तहत एक बेहद अहम सार्वजनिक जगह को नए रूप में ढाला जा रहा है.

सवाल- सेंट्रल विस्टा के निर्माण के पीछे असल फिलॉसफी क्या है?

जवाब- हमारा मानना है कि इससे सार्थक बदलाव आएगा, जिसे भविष्य में विरासत के तौर पर याद किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की राजधानी से अंग्रेजों की यादें मिटाने की अनूठी पहल की है. यह देर से उठाया गया सही कदम है.

सवाल- शहरी इलाकों में पुनर्निर्माण के दौरान उसके इस्तेमाल और प्रोडक्टिविटी आदि पर भी गौर किया जाता है. सेंट्रल विस्टा से वर्क प्रोडक्टिविटी में कैसे सुधार आएगा.

जवाब- सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से सबकुछ करीब आ जाने से अलग-अलग मंत्रालयों और उनके कामकाज में तालमेल बैठा कर वर्क प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी. दरअसल, सभी इमारतें एक-दूसरे के आसपास होंगी और सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से इनकी कनेक्टिविटी बेहद आसान होगी. इससे बेहतर ऑफिस इंफ्रास्ट्रक्चर बनेगा और वर्किंग एनवायरनमेंट में इजाफा होगा.

सवाल- शहरी इलाकों में नई इमारतें बनाने और पुरानी इमारतों के पुनर्निर्माण में एनवायरमेंटली फ्रेंडली आइडिया आप कैसे लागू करेंगे?

जवाब- पहले से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की मदद से इस प्रोजेक्ट में बेहद अहम तरीके से एनर्जी कंजप्शन कम होगा. खेतीबाड़ी में ट्रीटेड पानी का दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा. साथ ही, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल को प्रमोट किया जाएगा.

सवाल- पुरानी संसद में एक सप्ताह के दौरान कुछ सौ लोगों को ही आने की अनुमति मिलती थी. क्या यह व्यवस्था ऐसे ही लागू रहेगी.

जवाब-हां, हकीकत में सेंट्रल विस्टा में वीआईपी के आने-जाने वाले रास्तों को अलग कर दिया जाएगा, जिससे इस इलाके में आम नागरिकों और विजिटर्स को बिना किसी रोक-टोक आने-जाने की सहूलियत मिलेगी.

सवाल-लुटियंस दिल्ली में नजर आनेवाले पेडों को अंग्रेजों ने लगवाया था. क्या अब नए पेड़ लगाए जाएंगे.

जवाब-नए पेड़ लगाए जाएंगे, लेकिन ऐसा तभी होगा, जब वर्तमान स्थिति में लगे पेड़-पौधे सूख जाएंगे.

सवाल- नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को म्यूजियम बनाया जाएगा. लेकिन कई पुरानी इमारतों में काफी बदलाव किया जा रहा है. इन्हें यादगार कैसे बनाया जाएगा. क्या इनमें भी बदलाव होगा या ये पुराने रूप में ही रहेंगी.

जवाब- नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को बिना किसी बदलाव के उनकी मूल स्थिति में ही रखा गया है. पब्लिक म्यूजियम के रूप में तब्दील करने के लिए इनमें जरूरी काम किया जा रहा है.

सवाल- पुरानी संसद की इमारत वृत्ताकार थी, लेकिन नई संसद का आकार ट्राएंगल यानी त्रिभुज की तरह होगा. ऐसा क्यों किया गया?

जवाब- वर्तमान संसद भवन को देश के काफी लोग पसंद करते रहे हैं. इसे ज्यामितीय आधार पर एक चक्र के रूप में बनाया गया था. नए संसद भवन को डिजाइन करते वक्त पुरानी इमारत की आइकॉनिक संरचना की नकल नहीं की गई. हालांकि, सेंट्रल विस्टा के निर्माण में भी ज्यामितीय आधार को ध्यान में रखते हुए इसे ट्राएंगल के रूप में बनाया गया है, जो विकल्प के रूप में ज्यादा कारगर पाया गया. दरअसल, नई इमारत को ट्राएंगल के आधार पर ही बांटा गया है. इनमें तीन प्राथमिक जरूरतों लोकसभा, राज्यसभा और प्रांगण का ध्यान रखा गया है. इसमें ट्राएंगल प्लॉट को इस तरह तैयार किया गया है, जिससे बेहतर तरीके से ज्यादा स्पेस मिला. ज्यामितीय आधार पर देखा जाए तो विभिन्न धर्मों से संबंधित पवित्र इमारतों में भी त्रिकोण यानी ट्राएंगल को काफी अहम माना गया है. इस परिसर के दो रूप नजर आएंगे, जो एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से काम करेंगे. दरअसल, यहां एनेक्सी और लाइब्रेरी दोनों का निर्माण किया गया है, जो लेजिस्लेटिव एनक्लेव के रूप में नजर आएगा.

सवाल- संसद के नए भवन को लेकर वास्तु दर्शन क्या है?

जवाब-नए संसद भवन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि लोग इससे खुद को जोड़ सकें. वास्तु के हिसाब से देखें तो नई संसद भी वर्तमान गोलाकार इमारत के अनुरूप ही है और दोनों की ऊंचाई एक समान है.

सवाल- क्या हमें आप सेंट्रल विस्टा के लिए चुने गए खास पत्थरों के बारे में जानकारी दे सकते हैं?

जवाब-सेंट्रल विस्टा से जुड़ी इमारतों के बाहरी हिस्से पर गुलाबी और पीले रंग के धौलपुर बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. बाहरी फर्श लाखा ग्रेनाइट से तैयार की गई है, जो बेहद मजबूत है और इसका इस्तेमाल व रखरखाव काफी आसान है.

सवाल- अंग्रेजों द्वारा बनाए गए संसद भवन में औपनिवेशिक अथॉरिटी की झलक मिलती है. नया सेंट्रल विस्टा किसका प्रतीक होगा?

जवाब- नया सेंट्रल विस्टा भारत सरकार की लोकतांत्रिक प्रकृति का प्रतीक होगा. इसका वास्तुशिल्प शक्ति का माध्यम बनेगा. इसमें सरकारी कार्यालयों की जगह सार्वजनिक संग्रहालयों को केंद्र बिंदु में रखा गया है.

सवाल- परामर्श प्रक्रिया के दौरान सेंट्रल विस्टा के लिए आप किस तरह की प्रतिक्रियाएं मिलीं?

जवाब- व्यावहारिक तरीकों को लेकर हमें काफी प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिससे विभिन्न इमारतों पर बेहतर तरीके से काम किया जा सके. इस प्रक्रिया में हाउसकीपिंग स्टाफ से लेकर आला अधिकारी तक शामिल थे.

सवाल- काशी धाम कॉरिडोर की सफलता को आप किस तरह देखते हैं?

जवाब- यह देख कर खुशी होती है कि अधिकांश लोग मंदिर चौक और परिसर की वास्तुकला से बेहद खुश हैं. मंदिर को लेकर दिखा उनका उत्साह काफी संतोषजनक है. यह बेहद अहम है.

सवाल- किसी सार्वजनिक स्थान और सार्वजनिक स्थल के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में क्या अंतर देखते हैं आप?

जवाब- अगर आप किसी भी डिजाइन को समस्या और समाधान की नजर से देखते हैं. तो दोनों में कोई अंतर महसूस नहीं होता है.

पीएम ने ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए खुद ली दिलचस्पी

करीब 21 महीने तक लगातार चले काम के बाद इंडिया गेट के सामने सेंट्रल विस्टा एवेन्यू अब बन कर तैयार है. यहां की सड़क को पहले ही कर्तव्य पथ का नाम दिया गया है. 4087 पेड़, 114 आधुनिक संकेतों और सीढ़ीदार बगीचों के साथ पहले ये राजपथ के नाम से जाना जाता था. पूरे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की लागत करीब 20 हजार करोड़ बताई जा रही है. सेंट्रल विस्टा में करीब 3.90 लाख वर्ग मीटर का ग्रीन एरिया है. पीएम मोदी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति का अनावरण भी करेंगे. 9 सितंबर से लोग यहां घूम सकेंगे. दिल्ली में इंडिया गेट से लेकर जो रास्ता राष्ट्रपति भवन तक जाता है, उस पूरे इलाके को सेंट्रल विस्टा के नाम से जाना जाएगा. इस इलाके में राष्ट्रपति भवन, नया संसद भवन, नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक (इन दोनों ब्लॉक्स में विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय है), इंडिया गेट, नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया समेत कई ऑफिस हैं. इन्हें सामूहिक रूप से सेंट्रल विस्टा कहते हैं. इसकी कुल लंबाई लगभग 3.2 किलो मीटर है.

सेंट्रल विस्टा में बना उपराष्ट्रपति एन्क्लेव

सेंट्रल विस्टा में उपराष्ट्रपति के लिए भी अलग से एन्क्लेव तैयार गया है. इससे पहले आधिकारिक तौर पर उपराष्ट्रपति कार्यालय नहीं था, उनके आवास को ही उपराष्ट्रपति भवन के तौर पर जाना जाता था. अब भारत के नए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ हैं. जिन्हें सेंट्रल विस्टा में बने उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में बैठने का पहला सौभाग्य मिलेगा.

रिकार्ड समय में प्रोजेक्ट पूरा, कई भवन तैयार

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सरकार ने रिकार्ड समय में पूरा किया है. इनमें नया संसद भवन, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुनर्विकास, कॉमन केंद्रीय सचिवालय के तीन भवन, उप-राष्ट्रपति एन्क्लेव और एक्जिक्यूटिव एन्क्लेव शामिल हैं. इसमें सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास का काम पूरा हो गया. इसी का प्रधानमंत्री उद्घाटन करने जा रहे हैं.

क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक के 3.2 किलोमीटर के स्ट्रेच को री-डेवलप किया गया है.
 सेंट्रल विस्टा में नया संसद भवन बनाया गया है, जो हर तरह से आधुनिक है. भवन में सदस्यों के बैठने की संख्या भी ज्यादा है.
केंद्रीय सचिवालय का भी सेंट्रल विस्टा के तहत निर्माण किया जा रहा है, ये संसद भवन के बगल में होगा.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया पीएम आवास और उपराष्ट्रपति आवास बनाया जा रहा है. ये भी भवन के बिल्कुल पास होंगे.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में कुल खर्च 20 हजार करोड़ का बताया गया है. तमाम भवनों के निर्माण व सौंदर्यीकरण का काम शामिल है.
राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, हैदराबाद हाउस, वॉर मेमोरियल, रेल भवन और वायु भवन सेंट्रल विस्टा के री-डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं हैं.
किन-किन इमारतों में बदलाव नहीं होगा और किनमें होगा?

इस इलाके में स्थित छह इमारतों में इस रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इनमें राष्ट्रपति भवन, हैदराबाद हाउस, इंडिया गेट, रेल भवन, वायु भवन और वॉर मेमोरियल शामिल हैं. वहीं, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक दोनों को नेशनल म्यूजियम में बदला जाएगा. संसद की मौजूदा इमारत को पुरातात्विक धरोहर में बदल दिया जाएगा. मौजूदा जामनगर हाउस को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में बदल दिया जाएगा. इसके साथ ही चार नई इमारतें नए सिरे से बनाई गई हैं. इसमें नए संसद भवन के साथ ही उप-राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास के साथ नया सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बनाया गया है. इस रि-डेवलपमेंट के लिए कुछ इमारतें गिराईं भी गई हैं. इसमें मौजूदा नेशनल म्यूजियम, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, उप-राष्ट्रपति भवन, उद्योग, निर्माण, जवाहर भवन, विज्ञान, कृषि भवन, शास्त्री और रक्षा भवन जैसी इमारतें शामिल हैं.

सेंट्रल विस्टा के अंदर क्या-क्या

इस वक्त सेंट्रल विस्टा के अंदर राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, रेल भवन, वायु भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन, शास्त्री भवन, निर्माण भवन, नेशनल आर्काइव्ज, जवाहर भवन, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स, उपराष्ट्रपति का आवास, नेशनल म्यूजियम, विज्ञान भवन, रक्षा भवन, वाणिज्य भवन, हैदराबाद हाउस, जामनगर हाउस, इंडिया गेट, नेशनल वॉर मेमोरियल और बीकानेर हाउस आते हैं.

सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में क्या-क्या हुए

सेंट्रल विस्टा के पूरे क्षेत्र को नए सिरे से विकसित करने के प्रोजेक्ट का नाम सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट है. इसमें मौजूदा कुछ इमारतों में कोई बदलाव नहीं होगा तो कुछ को किसी और काम में इस्तेमाल किया जाएगा, कुछ को रिनोवेट किया जाएगा तो कुछ को गिरा कर उनकी जगह नई इमारतें बनाई जाएंगी. सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुननिर्माण पूरा होने के बाद इसका उद्घाटन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं.

नए संसद भवन की जरूरत क्यों

भारत की लोकतांत्रिक भावना का प्रतीक, संसद भवन सेंट्रल विस्टा के केंद्र में अवस्थित है. ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन वर्तमान संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है, जिसके निर्माण में छह वर्ष (1921-1927) लगे. अधिक स्थान की मांग को पूरा करने के लिए वर्ष 1956 में संसद भवन में दो और मंजिलें जोड़ी गईं. भारत की समृद्ध विरासत के 2,500 वर्षों को प्रदर्शित करने के लिए संसद संग्रहालय को वर्ष 2006 में जोड़ा गया. आधुनिक संसद के उद्देश्य के अनुरूप इस इमारत को बड़े पैमाने पर संशोधित किया जाना था. भवन के आकार के बारे में प्रारंभिक विचार-विमर्श के बाद, दोनों आर्किटेक्ट, हर्बर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस द्वारा एक गोलाकार आकार को अंतिम रूप दिया गया था क्योंकि यह काउंसिल हाउस के लिए एक कालेजियम डिजाइन का अनुभव देती थी.