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सब्जियां, तेल और शक्कर में आई तेजी 11 दिन में डीजल 10.57 रुपए महंगा,

मंगलवार को मिलाकर कुल 11 दिनों में 10 रुपए 57 पैसे की तेजी के बाद अब डीजल 78 रुपए 57 पैसे हो चुका है। चालू माह की 1 तारीख को यह 68 रुपए प्रति लीटर की दर पर चल रहा था। अब तेजी के बाद बाजार हलाकान है तो ट्रांसपोर्ट कंपनियां बढ़ते खर्च की पूर्ति के रास्ते तलाश रही है। सराफा बाजार को छोड़कर हर सेक्टर डीजल की बेलगाम कीमतों से परेशान है।

बीते 10 दिन में जिस तरह प्रति लीटर भाव बढ़े उसके बाद अंतरप्रांतीय कारोबार में प्रमुख ट्रांसपोर्ट सेक्टर अब माल भाड़ा बढ़ाने में लगा है। खाद्य पदार्थों के परिवहन किराया में 5 से 7 प्रतिशत बढ़ोतरी के बाद लोडिंग की जा रही है तो सब्जियों में यह भाड़ा 8 से 9 फ़ीसदी तक बढ़ाए जा चुके हैं। एक यही क्षेत्र है जिसने सबसे पहले खुदरा बाजार में सबसे पहले कीमतें बढ़ा दी है।

प्रतिदिन भाव तय करने की छूट के बाद पेट्रोल-डीजल कंपनियों को मानो मनमानी करने की छूट मिल गई है। नियंत्रण के प्रभावी कदम नहीं उठाने के बाद यह क्षेत्र कोरोना संक्रमण काल का फायदा उठाने पर आमादा है। आपदा को अवसर में बदलने का मौका शायद इससे पहले तेल कंपनियों को नहीं मिला। इसलिए देश के इतिहास में यह शायद पहला मौका है जब डीजल की कीमतें पेट्रोल के बराबर आकर खड़ी हो चुकी है।डीजल की कीमतें बढ़ने का पहला असर फल और सब्जी मंडी पर पड़ चुका है। जल्द खराब होने की वजह से इसे ज्यादा दिनों तक रखा नहीं जा सकता। लिहाजा डीजल की कीमतों में तीसरी तेजी के बाद ही भाड़ा बढ़ा दिया गया। अपने प्रदेश में आलू के लिए उत्तर प्रदेश तो लहसुन और प्याज के लिए महाराष्ट्र पर ज्यादा निर्भरता है। कुल मांग की 80 प्रतिशत आपूर्ति इन्हीं राज्यों से होती रही है।खाद्य तेल, गुड, शक्कर और दाल दैनिक उपयोग की चीजों में सबसे पहले नंबर पर है। इनकी मांग की आपूर्ति के लिए हम महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक पर निर्भर है। गुड़ के लिए जहां उत्तर प्रदेश का मुंह ताकना पड़ता है तो शक्कर के लिए महाराष्ट्र तक दौड़ लगानी पड़ती है।दाल के लिए हमारी निर्भरता शुरू से कर्नाटक पर रही है तो खाद्य तेलों के लिए आंध्र प्रदेश की मदद की दरकार रहती आई है। हालांकि प्रदेश में काफी हद तक राजनांदगांव से आपूर्ति हो रही है लेकिन ब्रांडेड तेलों के लिए हम अब भी पड़ोसी राज्यों पर निर्भर हैं। इन राज्यों से छत्तीसगढ़ के लिए निकलने वाली ट्रकों ने माल भाड़ा में 5 से 7 प्रतिशत वृद्धि की जानकारी कंपनियों तक पहुंचा दी है कपड़ा बाजार के लिए वैसे भी मानसून का सीजन कम ग्राहकी वाला माना जाता है। लेकिन बाद के त्योहारी दिनों की तैयारियों के लिए ऑर्डर इसी माह से दिए जाने लगते हैं। मूलतः गुजरात और राजस्थान पर कपड़ा के लिए निर्भरता पर भी डीजल की बढ़ती कीमतों का असर पड़ेगा। ट्रांसपोर्ट कंपनियों ने गुजरात और राजस्थान की टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज को सूचना भेज दी है कि वह आने वाले कुछ दिनों में छत्तीसगढ़ के लिए भाड़ा में एक प्रतिशत की वृद्धि कर रहे हैं।