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महिला स्व-सहायता समूह ने मत्स्य पालन से कमाएं लाखों रूपए : आर्थिक संबलता का बना आधार

विकासखण्ड जगदलपुर के मारकेल गांव की 10 आदिवासी महिलाओं की विष्वा महिला स्व-सहायता समूह कर रही मत्स्य पालन। समूह को मत्स्य पालन से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 5 लाख 77 हजार और वित्तीय वर्ष 2019-2020 में 6 लाख 51 हजार की आमदनी हुई। इस प्रकार से मछली पालन का व्यवसाय ग्राम मारकेल के आदिवासी महिलाओं के लिए कम खर्च एवं कम मेहनत से अतिरिक्त आय का जरिया बनकर उनके आर्थिक संबलता का आधार बन गया है। विष्वा महिला स्व-सहायता समूह के महिलाओं में अपने इस सफल व्यवसाय के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि समूह गठन के पूर्व वे गरीबी रेखा में जीवन यापन कर रहे थे। स्वयं के पास उपलब्ध भूमि में खेती-किसानी करते थे, प्रति एकड़ 15-20 क्वि. धान का उत्पादन करते थे, इस उत्पादन से वे संतुष्ट नहीं थे। मत्स्य विभाग के मैदानीय अधिकारियों के संपर्क में आने के बाद मारकेल के महिलाओं ने समूह गठन किया। विभाग की योजना अन्तर्गत मछली पालन से संबंधित जानकारी मिलने से प्रभावित होकर ग्राम पंचायत से सिवना तालाब को 10 वर्षीय पट्टे पर लेकर मछली पालन का कार्य करने लगे। मछली पालन कार्य को 2013-14 में प्रारंभ किए थे। सिवना तालाब का जल क्षेत्र 8.53 हेक्टेयर है।

      मत्स्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अन्तर्गत मत्स्य बीज, परिपूरक आहार, सिफेक्स, मत्स्यााखेट उपकरण एवं आईसबाक्स प्रदाय कर समूह को संसाधनो से पूर्ण किया। विभाग द्वारा समय-समय पर आयोजित किये जाने वाले मछुआ प्रषिक्षण कार्यक्रम एवं तकनीकी उन्नयन प्रषिक्षण प्रदाय कर उन्हे मछली पालन की तकनीकी जानकारी दी गई है ।

      वर्तमान में समूह द्वारा पट्टे पर आबंटित तालाब में गुणवत्तायुक्त मछली बीज का संचयन एवं परिपूरक आहार के प्रयोग से मत्स्योत्पादन में निरन्तर वृद्धि कर आर्थिक स्तर में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही हैै। प्राप्त आय से समूह के सदस्यों द्वारा  अपने घरेलु उपयोग की वस्तुओ का क्रय किया गया है तथा मकानों की मरम्मत की गयी कुछ सदस्यों द्वारा पक्का मकान बनवाया गया है कुछ सदस्यों द्वारा आवष्यकता अनुसार सायकल/मोटर सायकल क्रय किये है सदस्यों द्वारा अपने बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने स्कुल भेजा जा रहा है। इस प्रकार से मत्स्य पालन का यह व्यवसाय गरीब आदिवासी महिलाओं के लिए अत्यंत लाभ का व्यवसाय साबित होकर उनके स्वरोजगार का सषक्त माध्यम बन गया है।