Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

(सीहोर)मां दुर्गा की उपासना और उपायों से दूर होंगे सभी कष्ट और होगा शत्रुओं का नाश-पंडित गणेश शर्मा

  • 24-Jun-2023

सीहोर 24 जून । सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवता को समर्पित किए गए हैं। केवल शुक्रवार ही ऐसा दिन है जो मां भगवती आद्यशक्ति को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां भगवती के दुर्गा, लक्ष्मी और काली स्वरूपों की पूजा करनी चाहिए। उनकी पूजा और स्तुति करने से व्यक्ति अपने जीवन में जो चाहे प्राप्त कर सकता है। अगर भक्त इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर लेते हैं तो उनके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है। उक्त विचार शहर के विश्राम घाट स्थित मरीह माता मंदिर में जारी गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा ने कहे। इस मौके पर शुक्रवार को पंडित शर्मा के मार्गदर्शन पर यहां पर उपस्थित मंदिर के संस्थापक गोविन्द मेवाड़ा, जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, रोहित मेवाड़ा, राकेश शर्मा, हिमांशु शर्मा आदि ने स्कंदमाता की पूजा अर्चना की गई। यहां पर सुबह साढ़े सात बजे विशेष हवन का आयोजन नियमित रूप से किया जा रहा है। शनिवार की सुबह नौ बजे कन्याओं को फल वितरण का आयोजन किया जाएगा।इस मौके पर पंडित शर्मा ने देवी के नौ स्वरूपों का वर्णन करते हुए कहा कि पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंदमाता। नवरात्रि में पांचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। इस देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।उन्होंने कहा कि शास्त्रों में इसका काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। अत: मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है। उनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है। यानी चेतना का निर्माण करने वालीं। कहते हैं कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं।

You may have missed