6 July 2020
लद्दाख के एक कवि ने गलवान में शहीद हुए जवानों की शहादत को सलाम करते हुए एक कविता लिखी है :
खाके, खाके हां खाके सौगंध मिट्टी की
पीके, पीके हां पीके पानी सिंध का
खाके सौगंध मिट्टी की, पीके पानी सिंध का
शोला बनके बरसा, अरे शोला बनके बरसा
ठीक इसके विपरीत राहुल गांधी के नेतृत्व मेेंं कांग्रेस भारत की सेना का अपमान कर रही है। ४ जुलाई के इंण्डिया टीवी में इसकी चर्चा की गई है।
सच पूछा जाये जिस प्रकार से नेपाल के प्रधानमंत्री ओली नेपाल में चीनी राजदूत होउ यांकी के चंगुल में फंस गये हैं उसी प्रकार से राहुल गांधी का सेना और मोदी विरोधी अभियान भी प्रारंभ हुआ २००८ में एमओयू साईन करने के बाद और डोकलाम विवाद के समय चीनी राजदूत से गुपचुप दो बार मुलाकात करने के बाद।
गलवान घाटी में शहीद २० भारत के जवानों ने जो पराक्रम दिखाया और भारत के प्रधानमंत्री मोदी जिस प्रकार से लद्दाख पहुंचकर भारत की सेना का मनोबल बढ़ाया और चीन की विस्तारवादी नीति के समक्ष चुनौती प्रस्तुत की उससे चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग और नेपाल के पीएम ओली की कुर्सी खतरे में पड़ गई है, तथा राहुल गांधी के अगुवाई में कांग्रेस सेना को जो अपमान कर रही है उसे कांगे्रस को भारत की अधिकांश जनता उसी प्रकार से संदेह की नजर से देख रही है जिस प्रकार से १९६२ में कम्युनिस्ट पार्टी को देखती थी।
२००८ मेें बीजिंग ओलंपिक के समय सोनिया गांधी जी की उपस्थिति मेें राहुल गांधी ने उस समय के कम्युनिस्ट पार्टी के जनरल सेके्रटरी और उप राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एमओयू पर दस्तखत हुए थे। उसके बाद राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन की सरकार और चीन की एम्बेसी से डोनेशन भी मिला जिसे कांग्रेस विरोधी घूंस की संज्ञा दे रहे हैं।
राहुल गांधी को चाहिये कि अब वे सार्वजनिक घोषणा कर जो २००८ में एमओयू पर दस्तखत किये थे उसे भंग कर दें।
राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस कर रही है सेना का अपमान!
पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ खूनी झड़प के बाद बदले परिदृश्य़ में कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी के नेतृत्व में जिस तरह से सोशल मीडिया पर राजनीति का खेल खेला जा रहा है, वह भारतीय सेना का अपमान प्रतीत होता है। जबकि ऐसे माहौल में सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर देश के खिलाफ सिर उठाने वाली ताकतों को कुचलने के लिए तत्पर रहना चाहिए। उधर, सेना ने भी कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लेह दौरे और सैनिकों से मुलाकात को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे ट्वीट किये जा रहे हैं जो दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं।
इसका पूरा उल्लेख संपादकीय के नीचे दिया गया है।
पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने दो दिन पूर्व एक ट्वीट किया: लद्दाखियों का वीडियो। अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर देश से झूठ बोलने का आरोप भी लगाया। इनमें पांच हैं कांग्रेस वाले वे भी लद्दाख के बाहर अन्य स्थानों के।
इसकी भी विस्तृत चर्चा इस संपादकीय के नीचे अलग से की गई है।
कांगे्रस के नेता और प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी भारत विरोधी गार्जियन दैनिक अंग्रेजी के अखबार के एक आर्टिकल का हवाला देते हुए कहा है कि लद्दाख के फिंगर फोर्ट पेंगसांग में चीन की सेना घुस आई है।
कांग्रेस के एक पार्षद के हवाले से गार्जियन में उक्त लेख प्रकाशित हुआ है। कांग्रेस के आलोचकों का कहना है कि कांगे्रस ने ही गार्जियन में वह लेख प्रकाशित करवाया है।
गार्जियन में अपने लेख में कांग्रेस के जिस पार्षद की पहचान 60 वर्षीय ताशी छेपाल के रूप में की गई, जो उनके अनुसार एक सेवानिवृत्त भारतीय सेना का कप्तान था, जिसने 1962 के भारत-चीन युद्ध को लड़ा था, यह बताने के लिए कि गालवान वैली को भारतीय क्षेत्र माना जाता था और तब ऐसा नहीं था। चीनी पोस्ट भी इसके करीब हैं। लद्दाखियों के रूप में उनके राजनीतिक प्रचार को प्रचारित करने के लिए पकड़ा गया था, जिन्होंने उन्हें इतने महत्वपूर्ण समय में निम्न-स्तरीय राजनीति का सहारा लेने के लिए दोषी ठहराया।
इसकी भी चर्चा इस संपादकीय के नीचे अलग से की गई है।
द गार्जियन में इसी प्रकार के भारत को बदनाम करने के कई बार लेख प्रकाशित हो चुके हैं। २७ नवंबर २०१० को भी सोनिया गांधी के विश्वसनीय अनीश कपूर का भी एक लेख प्रकाशित हुआ था।
भारत की सेना को बदनाम करने का प्रयास किसी के द्वारा भी किया जाना अनुचित है।
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