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कोरोना वैक्सीन के मानव परीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने में अभी 10 से 12 दिन और लग सकते हैं

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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कोरोना वैक्सीन के परीक्षण के लिए 12 केंद्र और अस्पताल चिन्हित किए थे. यहां पर COVAXIN का फेज-1 और फेज-2 ट्रायल होना था. इन केंद्रों में वैक्सीन परीक्षण की प्रक्रिया 7 जुलाई से शुरू हो जानी थी, लेकिन इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक इसमें 10 दिन तक का और समय लग सकता है.

दिल्ली AIIMS को नहीं मिली एथिक्स कमेटी की मंजूरी

सूत्रों ने बताया है कि इन केंद्रों में जिन लोगों पर टीके का परीक्षण किया जाएगा, उनके पंजीकरण की प्रक्रिया अबतक शुरू नहीं हो पाई है. दिल्ली एम्स के विशेषज्ञ डॉ संजय राय ने कहा कि उन्हें अबतक एथिक्स कमेटी की मंजूरी नहीं मिली है और जबतक ये मंजूरी नहीं मिलती है, काम शुरू नहीं किया जा सकता है.

पटना AIIMS को मंजूरी मिली लेकिन रजिस्ट्रेशन शुरू नहीं

पटना एम्स को एथिक्स कमेटी की मंजूरी मिल गई है लेकिन पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है. नागपुर गिल्लुर्कर मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के डॉ. चंद्रशेखर ने कहा कि वहां रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, इसके बाद उम्मीदवारों को चुना जाएगा और उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी, इसके बाद ही ट्रायल के लिए उन्हें चुना जाएगा. उन्होंने कहा कि योग्य उम्मीदवारों को चुनने में ही 10 से 12 दिन लग जाएंगे. यहां पर वैक्सीन ट्रायल के लिए 50 लोगों की नियुक्ति की जाएगी. NIMS हैदराबाद में भी कोरोना वैक्सीन का परीक्षण होना है. इस केंद्र को एथिक्स कमेटी की मंजूरी मिल गई है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि यहां पंजीकरण प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है. बेलगाम के जीवन रेखा अस्पताल ने कहा कि ICMR की डेडलाइन को पूरा कर पाना मुश्किल है. ICMR ने कहा था कि 15 अगस्त तक कोरोना का वैक्सीन आ सकता है. बता दें कि एक वैक्सीन को बाजार में लॉन्च करने से पहले मानव परीक्षण के तीन चरणों में गुजरना पड़ता है. सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने अबतक फेज-1 और फेज-2 ट्रायल की मंजूरी दी है. क्लिनिक्ल ट्रायल्स रजिस्ट्री ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत बायोटेक के फेज-1 और फेज-2 के ट्रायल में 15 महीने लग सकते हैं. सिर्फ फेज वन के ट्रायल में ही 1 महीना लगने की संभावना है.