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शिवराज आज अपने मंत्रियों के बीच करेंगे विभागों का बंटवारा

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ज्योतिरादित्य सिंधिया के जोड़-तोड़ से शिवराज चौहान की अगुआई में बीजेपी की सरकार तो बन गई. तमाम कवायदों के बाद शिवराज कैबिनेट का विस्तार भी पिछले गुरुवार को हो गया है, लेकिन मंत्रियों के विभागों का बंटवारा छह दिनों के बाद भी नहीं हो सका है. सीएम शिवराज भोपाल वापस लौट आए हैं, ऐसे में मंत्रियों के बंटवारे पर बुधवार को फैसला हो सकता है?

मध्य प्रदेश में मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे पर मंथन कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को दिल्ली से भोपाल वापस पहुंच गए हैं. माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री वापसी के साथ ही अपने मंत्रियों को विभाग बांट देंगे, लेकिन उन्होंने बंटवारे को एक दिन और टाल दिया था. इस तरह से आज यानी बुधवार को विभागों को बंटवारा तय माना जा रहा है. हालांकि मंत्रियों के बीच विभाग के बंटवारे को लेकर पिछले छह दिनों से माथापच्ची की जा रही है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के जोड़-तोड़ से शिवराज चौहान की अगुआई में बीजेपी की सरकार तो बन गई. तमाम कवायदों के बाद शिवराज कैबिनेट का विस्तार भी पिछले गुरुवार को हो गया है, लेकिन मंत्रियों के विभागों के बंटवारे पर पेच फंस गया है. शिवराज कैबिनेट में सीएम सहित कुल 34 मंत्री हो गए हैं. सिंधिया के कोटे के मंत्रियों के लिए बड़े और मलाईदार माने जाने वाले विभाग रखे जाने के दावे किए जा रहे हैं, जिसे लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो दिनों तक दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मंथन किया.

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शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे, राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं से विभागों के बंटवारे के मुद्दे पर विचार विमर्श कर मंगलवार को भोपाल पहुंचे हैं. माना जा रहा है कि दो दिन के मंथन के बाद विभागों के बंटवारे की रणनीति तय हो चुकी है और बुधवार को विभागों का बंटवार किए जाने की संभावना है.

दरअसल, कमलनाथ सरकार में सिंधिया खेमे के पास स्वास्थ्य, राजस्व, महिला एवं बाल विकास, स्कूल शिक्षा, परिवहन, श्रम और खाद्य विभाग थे. बताया जा रहा है कि सिंधिया ये विभाग अपने समर्थकों को दिलाने की जुगत में हैं. इन विभागों के अलावा कुछ अन्य अहम विभागों पर भी सिंधिया और उनके सहयोगी मंत्रियों की निगाहें हैं. दरअसल, पहले विस्तार में उनके करीबी तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को कमल नाथ सरकार की अपेक्षा कम महत्वपूर्ण विभाग मिले थे.

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वहीं, नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, राजस्व, महिला एवं बाल विकास, परिवहन, वाणिज्यिक कर, लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, स्कूल शिक्षा, उद्योग और जल संसाधन विभाग को लेकर पेच फंसा हुआ था. मुख्यमंत्री इनमें से कुछ विभाग नए मंत्रियों को देने पर तो सहमत हैं, लेकिन कुछ विभाग वरिष्ठ मंत्रियों को जिनमें गोपाल भार्गव, जगदीश देवड़ा, विजय शाह, भूपेंद्र सिंह, यशोधराराजे सिंधिया जैसे नेता को को देना चाहते हैं, ताकि संतुलन बना रहे.

बता दें कि शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों शिव के विष पीने की बात कहकर अपने दिल का गुबार तो निकाल दिया, लेकिन उनकी पीड़ा कम नहीं हो सकी. मंत्रिमंडल विस्तार के 6 दिन बीत जाने के बावजूद विभागों का बंटवारा नहीं हो सका. शिवराज की सरकार बनाने का सबसे अहम भूमिका ज्योतिरादित्य सिंधिया की रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि सिंधिया इस एवज में अपने समर्थकों को अच्छे और प्रभावी विभाग दिलवाना चाहते हैं.