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लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हैं. इसके कारण अध्यापक से लेकर अन्य स्टाफ तक, लाखों लोगों पर बेरोजगारी की मार पड़ी है

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लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हैं. इसके कारण अध्यापक से लेकर अन्य स्टाफ तक, लाखों लोगों पर बेरोजगारी की मार पड़ी है. 40 साल की परमजीत कौर से कुदरत ने पहले ही पति का साया छीन लिया था. अब कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न हुए संकट में नौकरी भी चली गई. परमजीत कौर मोहाली के एक स्कूल में बस अटेंडेंट के तौर पर काम करती थीं.

परमजीत बताती हैं कि लॉकडाउन से पहले उनको हर महीने 7000 रुपये वेतन मिलता था, लेकिन पिछले तीन महीने से एक रुपया नहीं मिला है. घर में रोटी का संकट है, वहीं बच्चों को भी स्कूल से निकालने की नौबत आ गई है. उनके दो बच्चे हैं. बड़ा बेटा 10वीं कक्षा में पढ़ता है, तो वहीं छोटा बेटा कक्षा दो की छात्रा है. स्कूल की ओर से लगातार फीस की मांग की जा रही है.

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परमजीत ने कहा कि पिछले तीन महीनों के दौरान उन्हें न तो स्कूल की ओर से कोई मदद मिली और ना ही बस मालिक की ओर से. इस दौरान कुछ सामाजिक संगठनों की ओर से एक-दो बार राशन जरूर मिला, लेकिन फिर भी वह पेट की आग बुझाने के लिए 7000 रुपये कर्ज ले चुकी हैं. परमजीत ने कहा कि अगर स्कूल नहीं खुला, तो बच्चों की पढ़ाई छुड़वाने की नौबत आ जाएगी.

परमजीत कौर कोई अकेली नहीं हैं, जो इस तरह की तरह की समस्या से जूझ रही हैं. परमजीत की तरह चंडीगढ़ शहर में ऐसी सैकड़ों महिलाएं हैं, जिन्हें पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है और उनके सामने अब रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. केवल महिला अटेंडेंट ही नहीं, स्कूल बस के चालक, परिचालक और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भी यही व्यथा है.

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एक स्कूल बस के चालक 31 साल के बलजिंदर सिंह ने कहा कि हमें मार्च से लेकर अभी तक एक रुपये नहीं मिला है. अपनी व्यथा बताते हुए उन्होंने कहा कि बस वालों से मांगने पर वे कहते हैं कि स्कूल से कुछ नहीं मिला. अब हम कहां जाएं. बलजिंदर ने कहा कि मेरे बच्चे भी पढ़ते हैं. उनके स्कूल वाले भी फीस की मांग कर रहे हैं. राशन वाला भी पैसे मांग रहा है. मेरे पास एक भी रुपया नहीं है. अब कहां से दूं. बलजिंदर सिंह और परमजीत कौर की तरह चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला शहर में 40000 से ज्यादा चालक, परिचालक और बस अटेंडेंट बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.

हरियाणा में एक लाख हुए बेरोजगार

पड़ोसी राज्य हरियाणा के स्कूलों में काम करने वाले लगभग एक लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं. इनमें से करीब 60000 निजी स्कूलों के शिक्षक हैं और 10000 स्कूल बस चालक. लॉकडाउन के कारण निजी स्कूल पिछले तीन महीने से बंद पड़े हैं. चंडीगढ़ और पंजाब के अभिभावकों और स्कूल प्रशासन के बीच लॉकडाउन की फीस को लेकर विवाद चल रहा है.

अभिभावक लॉकडाउन पीरियड की फीस नहीं देना चाहते, जबकि स्कूल फीस लेने पर अड़े हुए हैं. इसका खामियाजा निजी स्कूलों में अध्यापन करने वाले शिक्षक, बस चालक, परिचालक और दूसरे सहायक स्टाफ भुगत रहे हैं. हालांकि, बस मालिकों को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से कुछ राहत मिली है. लेकिन उसके बावजूद भी न तो स्कूल और ना ही अभिभावक पैसे देने के मूड में हैं.

बस मालिकों की हालत भी खस्ता

पेशे से ट्रांसपोर्टर मलकीत सिंह पिछले तीन दशक से स्कूल बसें चलवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिंदगी में इस तरह की बेरोजगारी कभी नहीं देखी. मलकीत ने कहा कि कहने को बस मालिक हूं, लेकिन मेरी हालत यह है कि न तो मैं मुफ्त का राशन लेने वाले लोगों की लाइन में खड़ा हो सकता हूं और ना ही किसी से कोई मदद ही मांग सकता हूं. हमारी हालत भी खस्ता है. उन्होंने बेबसी व्यक्त करते हुए कहा कि हमसे जो बन पड़ा, अपने चालकों और परिचालकों के लिए करने की कोशिश की. मलकीत सिंह ने कहा कि अब बात हमारे बस से बाहर हो चुकी है. कहीं हमें अपनी बसें न बेचनी पड़ जाएं.