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साल 2020 में करीब 16 सालों बाद छत्तीसगढ़ में मनाए जाने वाले पारंपरिक पर्व ‘हरेली’ के दिन ‘सोमवती अमावस्या’ का संयोग बन रहा है

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हरेली पर्व पर गांव-गांव में किसान अपने खेत-खलिहानों में कृषि औजारों की पूजा करते हैं और सोमवती अमावस्या पर भोलेनाथ के भक्त विशेष आराधना करते हैं। चूंकि हरेली के दिन ही 20 जुलाई सोमवार और अमावस्या तिथि एक साथ पड़ रही हैं, इसलिए इस बार खेत-खलिहानों में पूजा से लेकर शहर के भव्य मंदिरों में शिवभक्ति का नजारा दिखाई देगा।

पुरुषोत्तम मास वाले सावन में बना था संयोग

पुजारी पं.मनोज शुक्ला के अनुसार 16 साल बाद सावन महीना में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। 20 साल पहले सन्‌ 2000 में सोमवती अमावस्या थी। इसके बाद 2004 में सावन महीने को पुरुषोत्तम मास (अधिक मास) के रूप में मनाया गया था, यानी उस साल दो बार सावन महीना पड़ा था। दूसरे सावन महीने में सोमवती अमावस्या का संयोग बना था। इस साल 2020 में 20 जुलाई को छत्तीसगढ़ का हरेली पर्व मनाया जाएगा। इसे देशभर में हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सोमवती अमावस्या पर पुनर्वसु नक्षत्र के बाद रात्रि में 9.22 बजे से पुष्य नक्षत्र रहेगा। सोमवार को यदि पुष्य नक्षत्र रहे तो उसे सोम पुष्य कहते हैं। रात्रि में सर्वार्थ सिद्धि योग भी है।

सावन महीने में पड़ रही सोमवती अमावस्या पर भगवान भोलेनाथ के साथ ही पितृ पूजा करने से पितृ दोष दूर होने की मान्यता है। जाने-अनजाने में जो गलती हो, उसके लिए पितरों से क्षमा मांगनी चाहिए। साथ ही सूर्यदेव को जल अर्पण करके तुलसी पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।

सालों में एक बार आती है सोमवती अमावस्या

हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने एक अमावस्या आती है परंतु सोमवार के दिन अमावस्या तिथि का संयोग सालों में कभीकभार बनता है। यह संयोग स्नान, दान के लिए शुभ और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन नदियों, तीर्थों में स्नान, गोदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र दान करना पुण्य फलदायी माना जाता है।