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छत्तीसगढ़ के कोरबा में बुधवार देर शाम नर हाथी की मौत हो गई बीमार होने के चलते करीब 25 दिन से उसका उपचार चल रहा था

मामला वनमंडल के कुदमुरा परिक्षेत्र के गुरमा का है। यहां के आश्रित गांव कटराडेरा स्थित एक मकान में 14 जून को दीवार तोड़कर 8 साल का नर हाथी अंदर घुस आया था। इसके बाद वहीं आंगन में गिर पड़ा। बताया जा रहा है कि उसकी स्थिति काफी खराब थी। 

आंगन में गिरकर तड़पने लगा, लोगों ने वन विभाग को सूचना दी
जानकारी के मुताबिक, 14 जून की दोपहर करीब 12 बजे जंगल की ओर से आया हाथी दीवार तोड़कर मकान में घुस गया। इस दौरान काफी बारिश होने से आंगन में कीचड़ था। हाथी उसी में गिरकर तड़पने लगा। अचानक हाथी को देख पहले तो ग्रामीण डर गए, लेकिन फिर उसकी हालत देखकर वन विभाग को सूचना दी। इसके बाद से ही रायपुर और बैंगलुरू से बुलाए गए वन्य जीव विशेषज्ञ उसका उपचार कर रहे थे। 

पेट में कृमि होने की संभावना को देखते हुए किया जा रहा था इलाज
वन्य जीव विशेषज्ञ हाथी को खड़ा करने का लगातार प्रयास कर रहे थे, लेकिन कोशिशें नाकाम रहीं। एक सप्ताह पहले हाथी को तमोर पिंगला स्थित पुनर्वास केंद्र ले जाने का भी प्रस्ताव बना, पर उसकी हालत में सुधार नहीं सका। डीएफओ गुरूनाथन एन ने बताया कि हाथी में सीवियर वर्म इंफेक्शन, डीहाइड्रेशन व खून की कमी थी। सिस्टेमेटिक ऑर्गन फेलियर के कारण उसकी मौत हो गई। गुरुवार को पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

एक माह में सात हाथियों की मौत
प्रदेश में एक माह के दौरान सात हाथियों की मौत हो चुकी है। इससे पहले नौ जून को सूरजपुर के प्रतापपुर में हथिनी की मौत से यह सिलसिला शुरू हुआ। अगले दिन इसी क्षेत्र में एक गर्भवती हथिनी, फिर बलरामपुर के अवतरी में एक हथिनी, धमतरी के माडमसिल्ली व रायगढ़ के गेरसा में दो नर मृत पाए गए। इसके बाद कोरबा व रायगढ़ में आतंक का पर्याय बन चुके गणेश की करंट लगने से धरमजयगढ़ में मौत हो गई थी।