जिससे कि वहां पढ़ रहे भारतीय छात्रों को किसी प्रकार की मुसीबत का सामना ना करना पड़े. दरअसल यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम इंफोर्समेंट ने घोषणा की है कि उन विदेशी छात्रों को देश छोड़ना होगा जिनके विश्वविद्यालय कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस सेमेस्टर में सिर्फ ऑनलाइन कोर्स ऑफर कर रहे हैं. यानी कि अगस्त महीने से शुरू होने वाले ऑनलाइन कोर्स संस्थानों के छात्र, अपनी पढ़ाई अमेरिका में रहकर नहीं कर पाएंगे. जाहिर है अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले के बाद सैकड़ों-हजारों भारतीय छात्रों को मौजूदा हालात के बीच अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है.
अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की परेशानी को देखते हुए विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री डेविड हेल के साथ ऑनलाइन बातचीत की. अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कई सारे विश्वविद्यालय और कॉलेज को अभी अपने अकेडमिक कैलेंडर की घोषणा करनी है. ऐसे समय में इमिग्रेशन नियमों में किसी तरह के बदलाव से यहां पढ़ाई करने की चाहत रखने वाले छात्रों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.
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दूतावास ने कहा, ‘हमने संबंधित अमेरिकी अधिकारियों के सामने अपनी समस्या रखी है. सात जुलाई को अमेरिका-भारत के बीच हुई बैठक में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री डेविड हेल के सामने अपनी बात रखी.’
सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी पक्ष ने इस पर गौर करते हुए कहा है कि वे भारतीयों के हितों को ध्यान में रखेंगे और कोशिश करेंगे कि इस फैसले का उनपर कम प्रभाव पड़े. अमेरिका ने भारत से यह भी कहा कि इस फैसले के कार्यान्वयन से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश जारी होना अभी बाकी है.
इमिग्रेशन एजेंसी ने कहा कि मौजूदा समय में जो छात्र अमेरिका में इन पाठ्यक्रमों में रजिस्टर्ड हैं, उन्हें अपने देश लौट जाना चाहिए या वैधता बनाए रखने या आव्रजन नियमों के तहत संभावित कार्रवाई से बचने के लिए अन्य उपाय जैसे उन स्कूलों में स्थानांतरण कराना चाहिए जहां पारंपरिक कक्षाओं में पढ़ाई हो रही है.
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