Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

सावन माह शुरू हो चुका है। इस साल सावन माह में चतुग्रर्ही वक्री योग बना है

गुरु, शनि, राहु और केतु चारों ग्रह एक साथ वक्री रहेंगे। सोमवार से शुरू और सोमवार को ही सावन खत्म होने से इस माह का महत्व और अधिक बढ़ गया है।

ज्योतिषाचार्य पं. रामगोविंद शास्त्री के मुताबिक राहु-केतु तो वक्री रहते हैं, लेकिन उन्हीं के साथ गुरु और शनि भी वक्री हो गए हैं, सावन में यह दुर्लभ योग है। गुरु स्वयं की राशि धनु में वक्री, शनि अपनी राशि मकर में वक्री, राहु मिथुन में और केतु धनु राशि में वक्री हैं। इस माह में कामिका एकादशी 16 को, हरियाली अमावस्या 20 को, हरियाली तीज 23 को, विनायकी चतुर्थी व्रत 24 को, नाग पंचमी 25 को, पुत्रदा एकादशी 30 को और रक्षा बंधन तीन अगस्त को मनाया जाएगा। तीज पर देवी पार्वती, चतुर्थी पर गणेशजी, पंचमी पर नागदेवता, एकादशी पर विष्णुजी, अमावस्या पर पितर देवता और पूर्णिमा पर चंद्रदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए।

सावन माह के स्वामी वैकुंठनाथ तो श्रवण नक्षत्र के स्वामी हैं चंद्रदेव

पंडित संतोष शर्मा ने बताया कि सावन पांचवां हिंदी माह है। इसके स्वामी वैकुंठनाथ हैं और श्रवण नक्षत्र में इसकी पूर्णिमा आने से इसे श्रावण या सावन माह कहा जाता है। श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्रदेव हैं। चंद्र का एक नाम सोम भी है। चंद्रवार को ही सोमवार कहते हैं। शिवपुराण के अनुसार शिवजी और पार्वतीजी का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, उस दिन सोमवार ही था। इस साल ये तिथि 19 दिसंबर को रहेगी। रोहिणी नक्षत्र के स्वामी भी चंद्र हैं। चंद्रदेव को शिवजी ने अपने मस्तक पर स्थान दिया है। पार्वतीजी के साथ विवाह सोमवार को होने से और चंद्रदेव का वार होने से भी शिवजी को सोमवार विशेष प्रिय है।

शिवजी को चढ़ाई जाती है शीतलता देने वाली चीजें

पंडित पवन शास्त्री रीवा वाले के मुताबिक सोम यानी चंद्र शीतल ग्रह है। शिवजी ने विषपान किया था, जिससे उन्हें बहुत ज्यादा तपन होती है, इसलिए शिवजी शीतलता देने वाली चीजों को पसंद करते हैं। इसलिए उन्होंने चंद्र को मस्तक पर धारण किया है। चंदन, बिल्व पत्र, जलाभिषेक, दूध, दही, घी, शहद ये सभी चीजें भी ठंडक देने वाली हैं। हल्दी गर्म रहती है, इस वजह शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए। शास्त्रीजी के मुताबिक जो लोग शिवालय नहीं जा सकते हैं, वे अपने घर में ही शिवलिंग का अभिषेक और पूजन कर सकते हैं। जिसके घर पर शिवलिंग न हो, वह आंगन में लगे किसी पौधे को शिवलिंग मानकर या मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन कर सकते हैं। मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजन करने को ही पार्थिव शिवपूजन कहा जाता है। ये पूजा शुभ फल देने वाली मानी जाती है।