असीम सेनगुप्ता नईदुनिया, अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के लुंड्रा विकासखंड के जोरी गांव के निवासी रामसुंदर को यह पता ही नहीं था कि उसके गांव से लगे जंगल में सालों से खिलने वाला धवई फूल उसे नकद रकम भी देगा। जब वह धौरपुर बाजार गया तो देखा कि कुछ महिलाएं धवई फूल की खरीदी कर रही है।
घर आते ही खाली बैठे परिवार के सदस्यों के साथ वह इस फूल को जमा करने लगा। अगली बार वह फूल लेकर बाजार गया तो हाथोंहाथ उन्हें खरीद लिया गया। रामसुंदर के जैसे उत्तरी छत्तीसगढ़ के गांवों में रहने वाले जरूरतमंद परिवारों के लिए लघु वनोपज इस बार वरदान बनकर सामने आई।
जिन उत्पादों को गांव वाले अनुपयोगी मानते थे, वे लगभग आठ करोड़ रुपये के निकले। सरकार द्वारा लघु वनोपज का समर्थन मूल्य निर्धारित करने के बाद वन विभाग के माध्यम से शुरू हुई खरीदी में ग्रामीणों को लगभग आठ करोड़ रुपए का भुगतान किया जा रहा है।
हर्रा, बहेरा, धवई फूल, महुआ फूल, चरोटा, चिरौंजी, साल बीज, इमली आदि वनोपज की खरीदी पहली बार वन विभाग से जुड़े महिला समूहों के जरिए की जा रही है। नतीजतन 18 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से महुआ की खरीदी करने वाले साहूकारों को भी 30 रुपये प्रति किलो से अधिक दर पर खरीदी करनी पड़ी।
यही स्थिति दूसरी लघु वनोपजों के दाम को लेकर भी रही। अक्टूबर 2019 से ही लघु वनोपज की खरीदी की जा रही है। यह होता था अब तक उत्तरी छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र के हाट बाजार के आसपास साहूकार अपनी दुकानें लगाकर लघु वनोपज की खरीदी बहुत कम दाम में करते थे।
यहां तक कि वस्तु विनिमय के तहत खड़ा नमक देकर बदले में वनोपज ले ली जाती थी और शहरों में ऊंची दर पर सप्लाई करते थे।
जिलेवार लघु वनोपज की खरीदी
जिला खरीदी (रुपये)
सरगुजा एक करोड़ 41 लाख बलरामपुर 79 लाख 21 हजार कोरिया एक करोड़ 26 लाख 20 हजार सूरजपुर 88 लाख 86 हजार जशपुर तीन करोड़ 42 लाख 37 हजार योजना का लाभ ग्रामीणों को सशक्त योजना के नहीं होने के कारण जो लाभ वनवासियों को मिलना चाहिए था, वह बिचौलियों की जेब में चला जाता था। लेकिन अब वन-धन विकास योजना से ग्रामीणों को सीधा लाभ मिल रहा है। सरगुजा में एक करोड़ 41 लाख रुपए का सात हजार क्विंटल लघु वनोपज खरीदी जा चुकी है।
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