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LAC के 3 इलाकों से चीन से हटाई सेनाएं, वार्ता के बीच Indian फौज करती रहेगी पेट्रोलिंग

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भारत लद्दाख में पैगॉन्ग झील के किनारे फिंगर्स क्षेत्र के हिस्से में गश्त करता रहेगा। इसे दो देशों के बीच तनाव कम होने के बाद क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चीनी घुसपैठ के बाद बचाया गया था। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि पेट्रोलिंग को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है, लेकिन मामले के शांत होने के बाद इसे फिर से बहाल किया जाएगा। हम अपने प्रत्येक प्वाइंट का भौतिक रूप से सत्यापन करेंगे।

भारत ने पारंपरिक रूप से विवादित क्षेत्र में सभी आठ फिंगर्स में गश्त करने के अधिकार का दावा किया है और उनका मानना ​​है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा या LAC यहां फिंगर 8 पर है। वहीं, चीन का मानना ​​है कि LAC फिंगर 4 पर स्थित है, जिसके आगे क्षेत्र उन्हीं का है। इस साल मई में, चीनी बलों द्वारा भारतीय सैनिकों को फिंगर 8 की दिशा में जाने से रोकने के बाद यहां हुई हिंसक झड़पों में कई भारतीय सैनिक घायल हो गए थे।

मगर, चीनी सैनिकों के पीछे की कार्यवाही सफलतापूर्वक होने की प्रक्रिया के बाद उम्मीद है कि चीन फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच के क्षेत्र को खाली कर देगा। सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों से संकेत मिलता है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव होने के बाद से विवादित क्षेत्र में 186 से अधिक चीनी टेंट और शेल्टर स्थापित किए गए हैं।

अब तक, चीन द्वारा फिंगर 4 क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती में मामूली गिरावट आई है। हालांकि, वे फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच रिज-लाइनों पर अभी भी कब्जा किए हुए हैं। फिलहाल, चीनी और भारतीय सेनाओं ने गलवन घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा में आपसी सहमति के बाद अपनी सेनाओं को 2-2 किलोमीटर पीछे हटा लिया है।

परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र को स्थापित करने के लिए संयुक्त सचिव स्तर पर महत्वपूर्ण वार्ता जारी रहेगी। इसमें अप्रैल महीने के दौरान पांच क्षेत्रों में चीनी घुसपैठ की रिपोर्ट आने से पहले लद्दाख में यथास्थिति की बहाली की बात की जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम सतर्क आशावाद के साथ आगे बढ़ रहे हैं और जमीनी स्तर पर की गई समग्र प्रगति की समीक्षा करेंगे।

बताते चलें कि गलवन क्षेत्र में चीनी बलों के साथ हिंसक संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत और चीन के बीच वार्ता कई स्तरों पर जारी है। तब से लेकर अब तक लद्दाख में लेफ्टिनेंट जनरल, विदेश मंत्री स्तर की बातचीत और दोनों पक्षों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच सैन्य स्तर की वार्ता हुई है। एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा कि यह एक मुश्किल स्थिति थी क्योंकि हमारे पास सौदे का मुकाबला करने के लिए कुछ भी नहीं था। मगर, भारत ने अपने रुख का बचाव किया।