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छत्तीसगढ़ में 667 नई सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा राज्य में किसानों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए फैसला

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नई समितियों के गठन के बाद प्रदेश में सहकारी समितियों की संख्या 1333 से बढ़कर 2000 हो जाएगी। किसानों को कम से कम दूरी पर अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ऐसा किया जा रहा है। 
सहकारी समितियों के माध्यम से राज्य में धान खरीदी से लेकर किसानों को खाद-बीज तथा ऋण देने की तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। राज्य सरकार ने कुछ दिन पहले ही प्रदेश की सभी सहकारी समितियों के पुनर्गठन के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। इसके लिए सभी जिलों में प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है। दरअसल राज्य में किसानों की बढ़ती संख्या तथा लोगों की खेती को ओर बढ़ते रुझानों को ध्यान में रखकर सरकार ने सहकारी समितियों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। किसान अपना लगभग पूरा काम सहकारी समितियों के माध्यम से ही किया जाता है। कई जिलों में समितियों की दूरी काफी अधिक होने के कारण किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन नई समितियों के बन जाने से किसानों को अब अपने जरूरी काम निपटाने के लिए ज्यादा दूर का सफर नहीं करना पड़ेगा। 

इस आधार पर तय होंगी समितियां 
नई समितियों के गठन के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। सामान्य क्षेत्र में कृषि योग्य रकबा 1500 तथा अनुसूचित क्षेत्र में 2000 हेक्टेयर होगा। कार्यक्षेत्र की दूरी सामान्य क्षेत्र में 10 किलोमीटर तथा अनुसूचित क्षेत्र में 20 किलोमीटर रखा जाएगा। इसी तरह न्यूनतम सदस्यों की संख्या साढ़े सात सौ होगी। एक सोसायटी में एक ग्राम पंचायत और एक पटवारी हल्का के सभी गांव शामिल होंगे और ये गांव एक ही विधानसभा क्षेत्र के होंगे। यह भी देखा जाएगा कि कार्यक्षेत्र दो विकासखंडों या दो तहसीलों में न हों।  
हाईकोर्ट से पुनर्गठन पर राेक नहीं
राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना की कंडिका-8 काे अपास्त कर दिया है। लेकिन सोसाइटियों के पुनर्गठन पर रोक नहीं लगाई गई है।

“नई समितियाें के गठन से राज्य में किसानों को मिलने वाली सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी वहीं किसानों के काम आसानी से होंगे। उन्हें खाद-बीज के लिए ज्यादा दूर का सफर नहीं करना पड़ेगा।”